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साझेदारी का सामान्य परिचय (General introduction of Partnership )

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साझेदारी का  सामान्य परिचय (General introduction of Partnership ) Table of Contents In this Post साझेदारी का  सामान्य परिचय (General introduction of Partnership ). साझेदारी का अर्थ (Meaning of Partnership)– साझेदारी की परिभाषा (Definition of Partnership)– साझेदारी की आवश्यकता (Need of partnership)– साझेदारी की विशेषताएं (Characteristics of partnership)– दो या दो से अधिक व्यक्तियों का होना – साझेदारो के मध्य समझौता या अनुबंध होना – लाभों का विभाजन – व्यवसाय का होना – व्यवसाय का सञ्चालन सभी के द्वारा या उन सभी की और से किसी एक के द्वारा होना – अधिनियम- असीमित दायित्व- पृथक अस्तित्व नहीं- साझेदारी के प्रकार(Types of Partnership)- दायित्व के अनुसार समयानुसार साझेदारी उद्देश्यानुसार साझेदारी वैधता के अनुसार साझेदारी साझेदारी संलेख(Paartnership Deed) साझेदारी संलेख में सम्मिलित मदें (Contents of Partnership Deed)- साझेदारी संलेख के अभाव में लागू होने वाले नियम(Rules Applicable in Absence of Partnership Deed) साझेदारी का  सामान...

स्थिर एवं परिवर्तनशील पूंजी खाता विधि में अंतर(Difference between Fixed Capital A/c & Fluctuating Capital A/c Method)

स्थिर एवं परिवर्तनशील पूंजी खाता विधि में अंतर(Difference between Fixed Capital A/c & Fluctuating Capital A/c Method)


Contents
  1. स्थिर एवं परिवर्तनशील पूंजी खाता विधि में अंतर(Difference between Fixed Capital A/c & Fluctuating Capital A/c Method)
  2. साझेदारों के मध्य लाभ हानि का बंटवारा (Distribution of Profits Among the Partners)
  3. लाभ- हानि नियोजन खाता(P&L Appropriation A/c)

स्थिर एवं परिवर्तनशील पूंजी खाता विधि में अंतर(Difference between Fixed Capital A/c & Fluctuating Capital A/c Method)

अंतर का आधारस्थिर पूंजी खाता विधिपरिवर्तनशील खाता विधि
1 खातों की संख्यादो खाते होते हैं 1) पूँजी खाता 2 ) चालू खाता.पूँजी खाता ही बनता है.
2 खातों के शेषपूँजी खाते का शेष अपरिवर्तित रहता है, पूँजी और लगाने या निकलने पर ही बदलता है.पूँजी खाते का शेष प्रतिवर्ष बदलता है .
3 शेष का प्रकारपूँजी खाता सदेव क्रेडिट शेष दिखाता है . जबकि चालू खाता डेबिट या क्रेडिट शेष दिखा सकता है.डेबिट या क्रेडिट शेष हो सकते हैं.
4 व्यवहारों का लेखांकनपूँजी खाते में केवल पूँजी का लेखा होगा, अन्य लेनदेन चालू खाते में होंगे.सभी लेनदेन चालू खाते में होंगे.


साझेदारों के मध्य लाभ हानि का बंटवारा (Distribution of Profits Among the Partners)

लाभ-हानि खाते द्वारा प्रकट लाभ या बांटे जाने योग्य लाभ को लाभ- हानि नियोजन खाते के द्वारा साझेदारों के मध्य बांटा जाता है.

लाभ- हानि नियोजन खाता(P&L Appropriation A/c)

इस खाते में साझेदारी संलेख के हिसाब से लाभों का नियोजन होता है. यह एक नाममात्र का खाता है. लाभ – हानि खाते की तरह इसमें क्रेडिट पक्ष में शुद्ध लाभ एवं आहरण पर ब्याज लिखा जाता है. तथा डेबिट में पूँजी पर ब्याज, वेतन, कमीशन, रिज़र्व में ट्रान्सफर  आदि लिखे जाते है दोनों पक्षों का अंतर लाभ या हानि होता है इसे पार्टनर के लाभ हानि अनुपात में बांटा जाता है.
profit and loss appro स्थिर एवं परिवर्तनशील पूंजी खाता विधि में अंतर(Difference between Fixed Capital A/c & Fluctuating Capital A/c Method)


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