साझेदारों के पूँजी खाते (Partner’s Capital Accounts)
साझेदारों के पूँजी खाते (Partner’s Capital Accounts)
साझेदारों के पूँजी खाते बनाने की दो विधियाँ हैं-
स्थिर पूँजी खाता विधि (Fixed Capital Method)–
जब सभी साझेदार यह निश्चित कर लेते हैं की उनकी पूँजी में कोई परिवर्तन नहीं होगा, तो ऐसी दशा में साझेदारों के पूँजी खाते स्थाई पूँजी खाते कहलाते हैं. इस विधि में दो खाते बनाये जाते हैं.
A साझेदार का पूँजी खाता (Partner’s Capital Account)-
इस खाते में केवल साझेदार द्वारा लगाईं गई पूँजी का ही लेखा किया जाता है . पूँजी खाते का शेष प्रतिवर्ष एक सामान ही रहता है . उस विशेष परिस्थिति को छोड़कर जब साझेदार अतिरिक्त पूँजी लगाने व स्थाई रूप से निकले. इस कारण इस खाते का शेष क्रेडिट रहता है.B साझेदार का चालू खाता (Partner’s Current Account)-
साझेदारों के पूंजी लगाने व निकलने के अतिरिक्त अन्य सभी मदों का लेखा इस खाते में किया जाता है. इस खाते के क्रेडिट पक्ष में साझेदारों का वेतन, कमीशन, पूँजी पर ब्याज व लाभों में हिस्से का लेखा किया जाता है. इस खाते के डेबिट पक्ष में साझेदारों के आहरण, आहरण पर ब्याज व हानि में से हिस्से का लेखा किया जाता है. इस खाते का शेष डेबिट या क्रेडिट हो सकता है.
Format : A. Partner’s Capital A/c
DR. CR
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