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Showing posts from January, 2020

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साझेदारी का सामान्य परिचय (General introduction of Partnership )

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साझेदारी का  सामान्य परिचय (General introduction of Partnership ) Table of Contents In this Post साझेदारी का  सामान्य परिचय (General introduction of Partnership ). साझेदारी का अर्थ (Meaning of Partnership)– साझेदारी की परिभाषा (Definition of Partnership)– साझेदारी की आवश्यकता (Need of partnership)– साझेदारी की विशेषताएं (Characteristics of partnership)– दो या दो से अधिक व्यक्तियों का होना – साझेदारो के मध्य समझौता या अनुबंध होना – लाभों का विभाजन – व्यवसाय का होना – व्यवसाय का सञ्चालन सभी के द्वारा या उन सभी की और से किसी एक के द्वारा होना – अधिनियम- असीमित दायित्व- पृथक अस्तित्व नहीं- साझेदारी के प्रकार(Types of Partnership)- दायित्व के अनुसार समयानुसार साझेदारी उद्देश्यानुसार साझेदारी वैधता के अनुसार साझेदारी साझेदारी संलेख(Paartnership Deed) साझेदारी संलेख में सम्मिलित मदें (Contents of Partnership Deed)- साझेदारी संलेख के अभाव में लागू होने वाले नियम(Rules Applicable in Absence of Partnership Deed) साझेदारी का  सामान...

RBSE Class 12 Business Studies Chapter 15 : माल एवं सेवा कर G.S.T.

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माल एवं सेवा कर पाठ्यपुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर लघूत्तरात्मक प्रश्न प्रश्न 1. माल एवं सेवा कर भारत में कब से लागू होगा। इसे देश में लागू करने की प्रक्रिया क्या होगी। उत्तर: माल एवं सेवा कर भारत में 1 जुलाई 2017 – 18 से लागू होगी। देश की 15 विधान सभाएँ अब तक जी एस टी सम्बन्धित संशोधन विधेयक को पारित कर चुकी हैं। अब राष्ट्रपति के मंजूरी मिलने के बाद संविधान संशोधन हो जायेगा। इसके बाद जी एस टी अधिनियम तथा आई जी एस टी अधिनियम को लोक सभा, राज्य सभा द्वारा पारित किया जायेगा। तथा सभी विधान सभाओं द्वारा भी इसे पारित किया जायेगा। कानून बनने के बाद सम्बन्धित नियम बनाते हुये इसे देशभर में लागू किया जायेगा। प्रश्न 2. माल एवं सेवाकंर का संक्षिप्त में परिचय दीजिये। उत्तर: माल एवं सेवाकर (जी एस टी) एक अप्रत्यक्ष कर है जो माल के उत्पादक एवं विक्रेता पर एक समान रूप से लगाया जायेगा यह कर माल एवं सेवा दोनों पर लगेगा। वर्तमान कर प्रणाली में इस प्रकार के तीन कर है – उत्पाद शुल्क, सेवाकर, राज्य वैट इन तीनों के स्थान पर यह अकेला कर है। तीन करों के स्थान पर एक कर होने से सरलता...

RBSE Class 12 Business Studies Chapter 14 : प्रबन्ध का सामाजिक उत्तरदायित्व एवं निगमीय सामाजिक उत्तरदायित्व

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प्रबन्ध का सामाजिक उत्तरदायित्व एवं निगमीय सामाजिक उत्तरदायित्व पाठ्यपुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर अतिलघु उत्तरात्मक प्रश्न प्रश्न 1. सामाजिक उत्तरदायित्व किसे कहते हैं? उत्तर: समाज व्यवसाय जगत से जो अपेक्षाएँ रखता है प्रबन्ध उन समाज की अपेक्षाओं को अपने कौशल द्वारा पूरा करता है इसे ही सामाजिक उत्तरदायित्व कहते हैं। क्योंकि समाज, व्यवसाय की सभी आवश्यकताओं की पूर्ति करना है – तो लाजिमी है कि समाज भी व्यवसाय जगत से कुछ अपेक्षा रखता है। यही प्रबन्ध का समाज के प्रति उत्तरदायित्व है। प्रश्न 2. प्रबन्ध के सामाजिक उत्तरदायित्व की कोई एक परिभाषा दीजिए। उत्तर: एण्डूज के अनुसार – ”प्रबन्ध के सामाजिक उत्तरदायित्व से तात्पर्य समाज के कल्याण के प्रति बुद्धिमता पूर्ण एवं वास्तविक लगाव से है जो किसी संस्थान को चरम विनाशकारी कार्यों को करने से रोकता है तथा मानव कल्याण की अभिवृद्धि में योगदान देने वाली दिशा की ओर प्रवृत्त करता है”। प्रश्न 3. सामाजिक चेतना से क्या आशय है? उत्तर: सामाजिक चेतना का अर्थ: समाज के चौकन्ना, सावचेत, जागरूक अभिप्रेरित रहने से है अर्थात समाज...