RBSE Class 12 Business Studies Chapter 6 व्यवसाय प्रबंध चैप्टर 6 नेतृत्व
विपणन
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर
अतिलघु उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
विपणन प्रबन्ध से क्या आशय है?
उत्तर:
विपणन प्रबन्ध से आशय विपणन से सम्बन्ध रखने वाली क्रियायें, जैसे नियोजन, संगठन निर्देशन तथा नियन्त्रण का प्रबन्ध करना है।
विपणन प्रबन्ध से क्या आशय है?
उत्तर:
विपणन प्रबन्ध से आशय विपणन से सम्बन्ध रखने वाली क्रियायें, जैसे नियोजन, संगठन निर्देशन तथा नियन्त्रण का प्रबन्ध करना है।
प्रश्न 2.
विपणन प्रबन्ध के दो कार्य बताइए।
उत्तर:
विपणन प्रबन्ध के दो कार्य बताइए।
उत्तर:
- बाजार सम्बन्धी सूचनाओं को एकत्रित करना तथा उनका विश्लेषण करना।
- निर्धारित तथ्यों के अनुरूप विपणन योजना तैयार करना।
प्रश्न 3.
ग्राहक समर्थन सेवायें कौनसी हैं?
उत्तर:
बिक्री पश्चात् की सेवा, ग्राहकों की शिकायत दूर करना एवं समायोजनों को देखना, साख सेवायें, रख – रखाव सेवायें, तकनीकी सेवायें प्रदान करना एवं उपभोक्ता सूचनायें देना।
ग्राहक समर्थन सेवायें कौनसी हैं?
उत्तर:
बिक्री पश्चात् की सेवा, ग्राहकों की शिकायत दूर करना एवं समायोजनों को देखना, साख सेवायें, रख – रखाव सेवायें, तकनीकी सेवायें प्रदान करना एवं उपभोक्ता सूचनायें देना।
प्रश्न 4.
विपणन प्रबन्ध का व्यवसायियों के लिये महत्व के दो बिन्दु बताइये।
उत्तर:
विपणन प्रबन्ध का व्यवसायियों के लिये महत्व के दो बिन्दु बताइये।
उत्तर:
- प्रतिस्पर्धा में अस्तित्व बनाये रखना।
- नियोजन का आधार।
प्रश्न 5.
विपणन प्रबन्ध का ग्राहकों के लिये महत्व के दो बिन्दु बताइये।
उत्तर:
विपणन प्रबन्ध का ग्राहकों के लिये महत्व के दो बिन्दु बताइये।
उत्तर:
- ग्राहकों को सस्ती एवं श्रेष्ठ वस्तुओं की उपलब्धि।
- बाजार सूचनाओं की जानकारी प्रदान करना।
प्रश्न 6.
विपणन प्रबन्ध का समाज के लिये महत्व के दो बिन्दु बताइये।
उत्तर:
विपणन प्रबन्ध का समाज के लिये महत्व के दो बिन्दु बताइये।
उत्तर:
- कम मूल्यों पर वस्तुओं की प्राप्ति।
- रोजगार के अवसरों में वृद्धि।
प्रश्न 7.
विपणन प्रबन्ध का राष्ट्र के लिये महत्व के लिये दो बिन्दु बताइये।
उत्तर:
विपणन प्रबन्ध का राष्ट्र के लिये महत्व के लिये दो बिन्दु बताइये।
उत्तर:
- मांग और. पूर्ति में सन्तुलन।
- राष्ट्रीय उत्पादन में वृद्धि।
प्रश्न 8.
विपणन प्रबन्ध से ग्राहकों के ज्ञान में वृद्धि कैसे होती है?
उत्तर:
ग्राहकों को विज्ञापन, विक्रय कला एवं विक्रय संवर्द्धन के माध्यम से वस्तुओं के सम्बन्ध में जानकारी प्रदान करने से उनके ज्ञान में वृद्धि करती है।
विपणन प्रबन्ध से ग्राहकों के ज्ञान में वृद्धि कैसे होती है?
उत्तर:
ग्राहकों को विज्ञापन, विक्रय कला एवं विक्रय संवर्द्धन के माध्यम से वस्तुओं के सम्बन्ध में जानकारी प्रदान करने से उनके ज्ञान में वृद्धि करती है।
लघु उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
विपणन प्रबन्ध का राष्ट्र के लिये महत्व के लिये दो बिन्दु बताइये।
उत्तर:
विपणन प्रबन्ध के चारे कार्य निम्नलिखित हैं –
1. बाजार से सूचनाएँ एकत्र करना तथा उनका विश्लेषण करना – विपणन का कार्य प्रयोगों के साथ आरम्भ होता है। विपणन में प्रयोग कार्य से आशय विपणनकर्ता द्वारा पहले ग्राहकों की आवश्यकताओं का पता लगाता है और वह तरह – तरह से यह जानने का प्रयत्न करता है कि ग्राहक क्या चाहता है अर्थात् किस वस्तु को कब, कितनी मात्रा में क्रय करना चाहता है और वस्तु को वह कहाँ तक (अधिकतम) मूल्य दे सकता है। इन प्रयोगों के आधार पर वह उत्पाद की रूप – रेखा तैयार करता है।
2. बाजार नियोजन – बाजार नियोजन में विपणनकर्ता को अपने विपणन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए चरणबद्ध योजना का निर्माण करना होता हैं। यह योजना विक्रय – संवृद्धि, उत्पादन – संवृद्धि तथा आधुनिक साधनों के द्वारा उत्पाद का निर्माण करना आदि होता है।
3. उत्पाद का रूपांकन एवं विकास – प्रत्येक विपणनकर्ता द्वारा एक योजना के अन्तर्गत ग्राहक को वस्तु या सेवा प्रदान की जाती है। इस योजना में कई तत्व अन्तर्निहित होते हैं, जैसे – गुणवत्ता को मानक, आकार या डिजाइन की विशेषता, पैकिंग आदि। इनके द्वारा अपने उत्पाद को बाजार की प्रतिस्पर्धी शक्तियों की तुलना में बेहतर बनाने का प्रयास करता है तथा पैकिंग के द्वारा अपने उत्पाद की पहचान बनाता है।
4. प्रमाणीकरण एवं श्रेणीयन करना – प्रमाणीकरण से आशय है – उत्पाद की गुणवत्ता को बनाए रखकर उत्पाद में एकरूपता लाना। उत्पाद की गुणवत्ता में विश्वास होना, उसके विक्रय में सहायक होता है। श्रेणीयन के द्वारा उत्पादों को उनके आकार एवं गुणवत्ता के अनुसार वर्गीकरण होता है। आधुनिक व्यवसाय के परिप्रेक्ष्य में उत्पादकों द्वारा प्रमाणीकरण की प्रक्रिया पर ज्यादा ध्यान केन्द्रित किया जाता है इसीलिए उत्पाद का श्रेणीयन करना आवश्यक होता है। श्रेणीयन के द्वारा उत्पादक अधिक गुणवत्ता वाले उत्पाद की अधिक कीमत प्राप्त करता है।
विपणन प्रबन्ध का राष्ट्र के लिये महत्व के लिये दो बिन्दु बताइये।
उत्तर:
विपणन प्रबन्ध के चारे कार्य निम्नलिखित हैं –
1. बाजार से सूचनाएँ एकत्र करना तथा उनका विश्लेषण करना – विपणन का कार्य प्रयोगों के साथ आरम्भ होता है। विपणन में प्रयोग कार्य से आशय विपणनकर्ता द्वारा पहले ग्राहकों की आवश्यकताओं का पता लगाता है और वह तरह – तरह से यह जानने का प्रयत्न करता है कि ग्राहक क्या चाहता है अर्थात् किस वस्तु को कब, कितनी मात्रा में क्रय करना चाहता है और वस्तु को वह कहाँ तक (अधिकतम) मूल्य दे सकता है। इन प्रयोगों के आधार पर वह उत्पाद की रूप – रेखा तैयार करता है।
2. बाजार नियोजन – बाजार नियोजन में विपणनकर्ता को अपने विपणन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए चरणबद्ध योजना का निर्माण करना होता हैं। यह योजना विक्रय – संवृद्धि, उत्पादन – संवृद्धि तथा आधुनिक साधनों के द्वारा उत्पाद का निर्माण करना आदि होता है।
3. उत्पाद का रूपांकन एवं विकास – प्रत्येक विपणनकर्ता द्वारा एक योजना के अन्तर्गत ग्राहक को वस्तु या सेवा प्रदान की जाती है। इस योजना में कई तत्व अन्तर्निहित होते हैं, जैसे – गुणवत्ता को मानक, आकार या डिजाइन की विशेषता, पैकिंग आदि। इनके द्वारा अपने उत्पाद को बाजार की प्रतिस्पर्धी शक्तियों की तुलना में बेहतर बनाने का प्रयास करता है तथा पैकिंग के द्वारा अपने उत्पाद की पहचान बनाता है।
4. प्रमाणीकरण एवं श्रेणीयन करना – प्रमाणीकरण से आशय है – उत्पाद की गुणवत्ता को बनाए रखकर उत्पाद में एकरूपता लाना। उत्पाद की गुणवत्ता में विश्वास होना, उसके विक्रय में सहायक होता है। श्रेणीयन के द्वारा उत्पादों को उनके आकार एवं गुणवत्ता के अनुसार वर्गीकरण होता है। आधुनिक व्यवसाय के परिप्रेक्ष्य में उत्पादकों द्वारा प्रमाणीकरण की प्रक्रिया पर ज्यादा ध्यान केन्द्रित किया जाता है इसीलिए उत्पाद का श्रेणीयन करना आवश्यक होता है। श्रेणीयन के द्वारा उत्पादक अधिक गुणवत्ता वाले उत्पाद की अधिक कीमत प्राप्त करता है।
प्रश्न 2.
विपणन प्रबन्ध के निम्न कार्यों को समझाइये –
1. बाजार विश्लेषण कार्य – विपणन का कार्य प्रयोगों के साथ आरम्भ होता है। विपणन में प्रयोग कार्य से आशय विपणनकर्ता द्वारा पहले ग्राहकों की आवश्यकताओं का पता लगाने के लिए वह तरह – तरह से यह जानने का प्रयत्न करता है कि ग्राहक क्या चाहता है अर्थात् किस वस्तु को कब, कितनी मात्रा में क्रय करना चाहता है और वस्तु का वह कहाँ तक (अधिकतम) मूल्य दे सकता है। इन प्रयोगों के आधार पर वह उत्पाद की रूप – रेखा तैयार करता है।
2. विपणन, नियोजन कार्य – विपणन नियोजन में विपणनकर्ता को अपने विपणन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए चरणबद्ध योजना का निर्माण करना होता है। यह योजना विक्रय – संवृद्धि, उत्पादन – संवृद्धि तथा आधुनिक साधनों के द्वारा उत्पाद का निर्माण करना आदि होता है।
3. विपणन, संचार कार्य – संचार कार्य विपणन का एक महत्वपूर्ण कार्य है जिसके अन्तर्गत प्रत्येक विपणन प्रबन्धक को अपनी संस्था में कुशल संचार की व्यवस्था करनी पड़ती है। विक्रय कला, प्रचार विज्ञान आदि से संस्था अपने विद्यमान तथा भावी ग्राहकों को आवश्यक सन्देश पहुंचाती है।
विपणन प्रबन्ध के निम्न कार्यों को समझाइये –
- बाजार विश्लेषण कार्य।
- विपणन, नियोजन कार्य।
- विपणन, संचार कार्य।
1. बाजार विश्लेषण कार्य – विपणन का कार्य प्रयोगों के साथ आरम्भ होता है। विपणन में प्रयोग कार्य से आशय विपणनकर्ता द्वारा पहले ग्राहकों की आवश्यकताओं का पता लगाने के लिए वह तरह – तरह से यह जानने का प्रयत्न करता है कि ग्राहक क्या चाहता है अर्थात् किस वस्तु को कब, कितनी मात्रा में क्रय करना चाहता है और वस्तु का वह कहाँ तक (अधिकतम) मूल्य दे सकता है। इन प्रयोगों के आधार पर वह उत्पाद की रूप – रेखा तैयार करता है।
2. विपणन, नियोजन कार्य – विपणन नियोजन में विपणनकर्ता को अपने विपणन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए चरणबद्ध योजना का निर्माण करना होता है। यह योजना विक्रय – संवृद्धि, उत्पादन – संवृद्धि तथा आधुनिक साधनों के द्वारा उत्पाद का निर्माण करना आदि होता है।
3. विपणन, संचार कार्य – संचार कार्य विपणन का एक महत्वपूर्ण कार्य है जिसके अन्तर्गत प्रत्येक विपणन प्रबन्धक को अपनी संस्था में कुशल संचार की व्यवस्था करनी पड़ती है। विक्रय कला, प्रचार विज्ञान आदि से संस्था अपने विद्यमान तथा भावी ग्राहकों को आवश्यक सन्देश पहुंचाती है।
प्रश्न 3.
विपणन प्रबन्ध के निम्न कार्यों को समझाइए –
1. पैकेजिंग एवं लेबलिंग – आधुनिक व्यावसायिक लेन देनों में उत्पाद की पैकिंग या लेबलिंग महत्वपूर्ण स्थान रखती है। आकर्षक पैकिंग द्वारा ग्राहक को उत्पाद खरीदने के लिये प्रोत्साहित किया। जा सकता है। लेबलिंग, द्वारा गुणवत्ता, मूल्य, उत्पाद के घटक, उपयोग पद्धति आदि से सम्बन्धित जानकारी प्रदान की जाती है।
2. संग्रहण या भण्डारण – ये जरूरी नहीं कि वस्तु का उपभोग उसी समय पर हो जब वह उत्पादित की गयी है। उपभोग एवं उत्पादन के बीच में काफी समय अन्तराल होता है। इस समय अन्तराल के कारण वस्तुओं को सुरक्षित रखने की व्यवस्था की जाती है जिसे संग्रहण या भण्डारण कहते हैं।
3. परिवहन – विपणन प्रबन्ध के अन्तर्गत वस्तुओं को उत्पादन – स्थल से उपभोक्ता स्थल तक पहुँचाने के लिए परिवहन के विभिन्न साधनों का इस्तेमाल किया जाता है जिससे वस्तुएँ देश एवं प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर पहुँच सकें। परिवहन के द्वारा सिर्फ निर्मित माल को ही दूसरे स्थानों पर नहीं भेजा जाता अपितु उन्हें तैयार करने में लगने वाले कच्चे माल को भी परिवहन द्वारा उनके उत्पाद स्थल से उनके प्रयोग स्थल तक भेजा जाता है।
विपणन प्रबन्ध के निम्न कार्यों को समझाइए –
- पैकेजिंग एवं लेबलिंग
- संग्रहण
- परिवहन।
1. पैकेजिंग एवं लेबलिंग – आधुनिक व्यावसायिक लेन देनों में उत्पाद की पैकिंग या लेबलिंग महत्वपूर्ण स्थान रखती है। आकर्षक पैकिंग द्वारा ग्राहक को उत्पाद खरीदने के लिये प्रोत्साहित किया। जा सकता है। लेबलिंग, द्वारा गुणवत्ता, मूल्य, उत्पाद के घटक, उपयोग पद्धति आदि से सम्बन्धित जानकारी प्रदान की जाती है।
2. संग्रहण या भण्डारण – ये जरूरी नहीं कि वस्तु का उपभोग उसी समय पर हो जब वह उत्पादित की गयी है। उपभोग एवं उत्पादन के बीच में काफी समय अन्तराल होता है। इस समय अन्तराल के कारण वस्तुओं को सुरक्षित रखने की व्यवस्था की जाती है जिसे संग्रहण या भण्डारण कहते हैं।
3. परिवहन – विपणन प्रबन्ध के अन्तर्गत वस्तुओं को उत्पादन – स्थल से उपभोक्ता स्थल तक पहुँचाने के लिए परिवहन के विभिन्न साधनों का इस्तेमाल किया जाता है जिससे वस्तुएँ देश एवं प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर पहुँच सकें। परिवहन के द्वारा सिर्फ निर्मित माल को ही दूसरे स्थानों पर नहीं भेजा जाता अपितु उन्हें तैयार करने में लगने वाले कच्चे माल को भी परिवहन द्वारा उनके उत्पाद स्थल से उनके प्रयोग स्थल तक भेजा जाता है।
प्रश्न 4.
विपणन प्रबन्ध का व्यवसायियों के लिये महत्व के चार बिन्दुओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
1. नियोजन का आधार – विपणन प्रबन्ध बाजार एवं उपभोक्ता से जुड़ी हुई प्रणाली होने कारण व्यवसायियों को ग्राहकों की आवश्यकताओं, इच्छाओं, रुचियों आदि का समुचित ज्ञान हो जाता है जिससे विभिन्न योजनायें बनाने में सरलता हो जाती है।
2. न्यूनतम लागत पर वितरण – जब व्यवसायियों द्वारा विपणन प्रबन्ध प्रक्रिया के अन्तर्गत ग्राहकों की आवश्यकता, इच्छाओं एवं रुचियों के अनुरूप निश्चित योजनानुसार उत्पादित वस्तुओं का वितरण किया जाता है। तो वितरण लागत कम आती है।
3. लाभों में वृद्धि – प्रभावशील विपणन व्यवस्था लाभों को बढ़ाने में सहयोग प्रदान करती है। माल की मांग बढ़ने पर क्रय लागत पर अधिक उत्पादन करके मांग की पूर्ति की जाती है तो लाभार्गों में अवश्य ही वृद्धि होती है।
4. मध्यस्थों की प्राप्ति में सहायक – प्रभावशाली विपणन व्यवस्था के माध्यम से व्यवसायियों को मध्यस्थों, एजेन्ट, थोक व्यापारी, फुटकर व्यापारी, आदि को प्राप्त करने में सरलता होती है। मध्यस्थ उसी उत्पादक का माल बेचते हैं जिनकी विपणन व्यवस्था ग्राहक प्रधान होती है।
विपणन प्रबन्ध का व्यवसायियों के लिये महत्व के चार बिन्दुओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
1. नियोजन का आधार – विपणन प्रबन्ध बाजार एवं उपभोक्ता से जुड़ी हुई प्रणाली होने कारण व्यवसायियों को ग्राहकों की आवश्यकताओं, इच्छाओं, रुचियों आदि का समुचित ज्ञान हो जाता है जिससे विभिन्न योजनायें बनाने में सरलता हो जाती है।
2. न्यूनतम लागत पर वितरण – जब व्यवसायियों द्वारा विपणन प्रबन्ध प्रक्रिया के अन्तर्गत ग्राहकों की आवश्यकता, इच्छाओं एवं रुचियों के अनुरूप निश्चित योजनानुसार उत्पादित वस्तुओं का वितरण किया जाता है। तो वितरण लागत कम आती है।
3. लाभों में वृद्धि – प्रभावशील विपणन व्यवस्था लाभों को बढ़ाने में सहयोग प्रदान करती है। माल की मांग बढ़ने पर क्रय लागत पर अधिक उत्पादन करके मांग की पूर्ति की जाती है तो लाभार्गों में अवश्य ही वृद्धि होती है।
4. मध्यस्थों की प्राप्ति में सहायक – प्रभावशाली विपणन व्यवस्था के माध्यम से व्यवसायियों को मध्यस्थों, एजेन्ट, थोक व्यापारी, फुटकर व्यापारी, आदि को प्राप्त करने में सरलता होती है। मध्यस्थ उसी उत्पादक का माल बेचते हैं जिनकी विपणन व्यवस्था ग्राहक प्रधान होती है।
प्रश्न 5.
विपणन प्रबन्ध का ग्राहकों के लिये महत्व के चार बिन्दुओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
1. सस्ती एवं श्रेष्ठ वस्तुओं की उपलब्धि – व्यवसायियों में बढ़ती हुई प्रतिस्पर्धा के कारण विपणन योजनाओं को प्रभावकारी बनाया जा रहा है। ग्राहकों की इच्छा और आवश्यकता के अनुरूप वस्तुओं के रंग, रूप, आकार की ओर विशेष ध्यान देकर श्रेष्ठ वस्तुओं का उत्पादन किया जा रहा है। प्रभावकारी विपणन के कारण जब दीर्घकालीय उत्पादन होता है तो प्रति इकाई लागत में कमी आती है जिससे ग्राहकों को सस्ती वस्तु उपलब्ध होती हैं।
2. जीवन स्तर में वृद्धि – प्रभावकारी विपणन प्रबन्ध द्वारा जब ग्राहकों को उनकी आवश्यकता के अनुरूप उपयोगी, सुखे सुविधायुक्त, मनोरंजनात्मक एवं विलासिता की वस्तुयें यथासमय एवं यथास्थान पर प्राप्त होती हैं तो ग्राहकों के जीवन स्तर में वृद्धि होती है।
3. विक्रय उपरान्त सेवा का लाभ – वर्तमान में विपणन प्रबन्ध के द्वारा अनेक विक्रय पश्चात् सेवायें, जैसे – मरम्मत, गृह सुपुर्दगी, माल परिवर्तन, उपभोग सम्बन्धी निर्देश आदि निःशुल्क प्रदान की जाती हैं। इससे ग्राहकों को लाभ होता है।
4. बाजार सूचनाओं की उपलब्धि – प्रभावी विपणन व्यवस्था सुदृढ़ संचार व्यवस्था पर आधारित होने के कारण ग्राहकों को बाजार सम्बन्धी सूचनायें आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं। परिणामस्वरूप ग्राहक नयी – नयी वस्तुओं से अवगत होते रहते हैं।
विपणन प्रबन्ध का ग्राहकों के लिये महत्व के चार बिन्दुओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
1. सस्ती एवं श्रेष्ठ वस्तुओं की उपलब्धि – व्यवसायियों में बढ़ती हुई प्रतिस्पर्धा के कारण विपणन योजनाओं को प्रभावकारी बनाया जा रहा है। ग्राहकों की इच्छा और आवश्यकता के अनुरूप वस्तुओं के रंग, रूप, आकार की ओर विशेष ध्यान देकर श्रेष्ठ वस्तुओं का उत्पादन किया जा रहा है। प्रभावकारी विपणन के कारण जब दीर्घकालीय उत्पादन होता है तो प्रति इकाई लागत में कमी आती है जिससे ग्राहकों को सस्ती वस्तु उपलब्ध होती हैं।
2. जीवन स्तर में वृद्धि – प्रभावकारी विपणन प्रबन्ध द्वारा जब ग्राहकों को उनकी आवश्यकता के अनुरूप उपयोगी, सुखे सुविधायुक्त, मनोरंजनात्मक एवं विलासिता की वस्तुयें यथासमय एवं यथास्थान पर प्राप्त होती हैं तो ग्राहकों के जीवन स्तर में वृद्धि होती है।
3. विक्रय उपरान्त सेवा का लाभ – वर्तमान में विपणन प्रबन्ध के द्वारा अनेक विक्रय पश्चात् सेवायें, जैसे – मरम्मत, गृह सुपुर्दगी, माल परिवर्तन, उपभोग सम्बन्धी निर्देश आदि निःशुल्क प्रदान की जाती हैं। इससे ग्राहकों को लाभ होता है।
4. बाजार सूचनाओं की उपलब्धि – प्रभावी विपणन व्यवस्था सुदृढ़ संचार व्यवस्था पर आधारित होने के कारण ग्राहकों को बाजार सम्बन्धी सूचनायें आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं। परिणामस्वरूप ग्राहक नयी – नयी वस्तुओं से अवगत होते रहते हैं।
प्रश्न 6.
विपणन प्रबन्ध का समाज के लिये महत्व का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्रभावी विपणन व्यवस्था के द्वारा सम्पूर्ण समाज लाभान्वित होता है जिनको निम्न बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है –
1. कम मूल्यों पर वस्तुओं की प्राप्ति – प्रभावी विपणन प्रबन्ध द्वारा समाज के लोगों को वस्तुएं एवं सेवायें सामान्यत: कम मूल्य पर प्राप्त होती हैं जिससे समाज के सभी सदस्यों को लाभ प्राप्त होता
है।
2. रोजगार अवसरों में वृद्धि – विपणन प्रबन्ध प्रक्रिया के अन्तर्गत वितरण, विज्ञापन, विक्रय संवर्द्धन, पैकिंग, बाजार अनुसंधान आदि क्रियायें सम्पादित की जाती हैं जिससे समाज के लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त होते हैं।
3. रूढ़ियों एवं कुरीतियों से मुक्ति – समाज में मिलावट, जमाखोरी, भ्रामक विज्ञापन, काला बाजारी आदि बुराइयां पायी जाती हैं जो प्रभावकारी विपणन प्रबन्ध द्वारा दूर की जा सकती है साथ ही जीवन स्तर में परिवर्तन होने से सामाजिक कुरीतियों दूर होने लगती हैं जिससे सामाजिक परिवर्तन होने लगता है।
विपणन प्रबन्ध का समाज के लिये महत्व का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्रभावी विपणन व्यवस्था के द्वारा सम्पूर्ण समाज लाभान्वित होता है जिनको निम्न बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है –
1. कम मूल्यों पर वस्तुओं की प्राप्ति – प्रभावी विपणन प्रबन्ध द्वारा समाज के लोगों को वस्तुएं एवं सेवायें सामान्यत: कम मूल्य पर प्राप्त होती हैं जिससे समाज के सभी सदस्यों को लाभ प्राप्त होता
है।
2. रोजगार अवसरों में वृद्धि – विपणन प्रबन्ध प्रक्रिया के अन्तर्गत वितरण, विज्ञापन, विक्रय संवर्द्धन, पैकिंग, बाजार अनुसंधान आदि क्रियायें सम्पादित की जाती हैं जिससे समाज के लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त होते हैं।
3. रूढ़ियों एवं कुरीतियों से मुक्ति – समाज में मिलावट, जमाखोरी, भ्रामक विज्ञापन, काला बाजारी आदि बुराइयां पायी जाती हैं जो प्रभावकारी विपणन प्रबन्ध द्वारा दूर की जा सकती है साथ ही जीवन स्तर में परिवर्तन होने से सामाजिक कुरीतियों दूर होने लगती हैं जिससे सामाजिक परिवर्तन होने लगता है।
प्रश्न 7.
विपणन प्रबन्ध का राष्ट्र के लिये महत्व का चार बिन्दुओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
1. राष्ट्रीय साधनों का सदुपयोग – देश में विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक एवं पूंजीगत साधन उपलब्ध हैं लेकिन उनका उचित वितरण एवं सदुपयोग भी जरूरी है लेकिन कुशल विपणन प्रबन्ध द्वारा इन साधनों को समय, स्थान, अधिकार, रूप एवं ज्ञान के आधार पर उपयोगिता का सृजन किया जा रहा है।
2. मांग एवं पूर्ति में सन्तुलन – विपणन प्रबन्ध द्वारा मांग और पूर्ति में उचित सन्तुलन बना रहता है। फलस्वरूप राष्ट्र की आर्थिक मन्दी, बेरोजगारी, गरीबी, आदि बुराइयों में कमी आती है।
3. विदेशी मुद्रा अर्जन में सहायक – विपणन प्रबन्ध अन्तर्राष्ट्रीय बाजार अनुसन्धान करके विदेशी बाजारों में फर्म को प्रवेश दिलाता है। साथ ही लागत एवं किस्मों में सुधार करके निर्यात बाजार में वस्तु की पहचान बढ़ाता है। फलस्वरूप विदेशी मुद्रा की प्राप्ति में वृद्धि होती है।
4.सरकारी आय में वृद्धि – प्रभावी विपणन व्यवस्था से माल के उत्पादन, विक्रय तथा आय में वृद्धि होती है जिससे सरकार की प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष करों के माध्यम से आय में वृद्धि होती है।
विपणन प्रबन्ध का राष्ट्र के लिये महत्व का चार बिन्दुओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
1. राष्ट्रीय साधनों का सदुपयोग – देश में विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक एवं पूंजीगत साधन उपलब्ध हैं लेकिन उनका उचित वितरण एवं सदुपयोग भी जरूरी है लेकिन कुशल विपणन प्रबन्ध द्वारा इन साधनों को समय, स्थान, अधिकार, रूप एवं ज्ञान के आधार पर उपयोगिता का सृजन किया जा रहा है।
2. मांग एवं पूर्ति में सन्तुलन – विपणन प्रबन्ध द्वारा मांग और पूर्ति में उचित सन्तुलन बना रहता है। फलस्वरूप राष्ट्र की आर्थिक मन्दी, बेरोजगारी, गरीबी, आदि बुराइयों में कमी आती है।
3. विदेशी मुद्रा अर्जन में सहायक – विपणन प्रबन्ध अन्तर्राष्ट्रीय बाजार अनुसन्धान करके विदेशी बाजारों में फर्म को प्रवेश दिलाता है। साथ ही लागत एवं किस्मों में सुधार करके निर्यात बाजार में वस्तु की पहचान बढ़ाता है। फलस्वरूप विदेशी मुद्रा की प्राप्ति में वृद्धि होती है।
4.सरकारी आय में वृद्धि – प्रभावी विपणन व्यवस्था से माल के उत्पादन, विक्रय तथा आय में वृद्धि होती है जिससे सरकार की प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष करों के माध्यम से आय में वृद्धि होती है।
प्रश्न 8.
विपणन की प्रक्रिया के चार बिन्दुओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
1. बाजार विश्लेषण – विपणन कार्यों को प्रारम्भ बाजार विश्लेषण के साथ प्रारम्भ होता है। इसमें विपणन प्रबन्धक पहले ग्राहकों की आवश्यकताओं का पता लगाने के लिए वह तरह – तरह से यह जानने का प्रयत्न करता है कि ग्राहक क्या चाहता है अर्थात् किस वस्तु का कब, कितनी मात्रा में क्रय करना चाहता है और वह वस्तु का कितना मूल्य दे सकता है। अत: बाजार की मांग एवं पूर्ति का अनुमान बाजार विश्लेषण प्रक्रिया द्वारा प्रारम्भ होता है।
2. विपणन नियोजन – संगठन के विपणन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिये विपणन प्रबन् कि उचित विपणन योजना का निर्माण करता है जिसमें उत्पादन के स्तर में वृद्धि, वस्तुओं का प्रवर्तन आदि जैसे महत्वपूर्ण पक्ष सम्मिलित किये जाते हैं तथा इन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिये क्रियान्वयन कार्यक्रम का निर्धारण किया जाता है।
3. विपणन संचार – संचार कार्य विपणन का एक महत्वपूर्ण कार्य होता है। इस प्रक्रिया में विपणन प्रबन्धक को अपनी संस्था में कुशल विपणन संचार व्यवस्था करनी होती है। विपणन संचार में विज्ञापन, विक्रय सम्वर्द्धन, विपणने अनुसन्धान, विक्रय कला, प्रचार, सुझाव आदि साधन सम्मिलित किये जाते हैं।
4. उत्पादन का रूपांकन एवं विकास – उत्पाद की उपयोगिता एवं बाजार में और अधिक प्रतियोगी बनाने के लिये उत्पादन का रूपांकन एवं विकास जरूरी होता है। जो विपणन प्रबन्धक द्वारा सम्पन्न किया जाता है।
विपणन की प्रक्रिया के चार बिन्दुओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
1. बाजार विश्लेषण – विपणन कार्यों को प्रारम्भ बाजार विश्लेषण के साथ प्रारम्भ होता है। इसमें विपणन प्रबन्धक पहले ग्राहकों की आवश्यकताओं का पता लगाने के लिए वह तरह – तरह से यह जानने का प्रयत्न करता है कि ग्राहक क्या चाहता है अर्थात् किस वस्तु का कब, कितनी मात्रा में क्रय करना चाहता है और वह वस्तु का कितना मूल्य दे सकता है। अत: बाजार की मांग एवं पूर्ति का अनुमान बाजार विश्लेषण प्रक्रिया द्वारा प्रारम्भ होता है।
2. विपणन नियोजन – संगठन के विपणन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिये विपणन प्रबन् कि उचित विपणन योजना का निर्माण करता है जिसमें उत्पादन के स्तर में वृद्धि, वस्तुओं का प्रवर्तन आदि जैसे महत्वपूर्ण पक्ष सम्मिलित किये जाते हैं तथा इन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिये क्रियान्वयन कार्यक्रम का निर्धारण किया जाता है।
3. विपणन संचार – संचार कार्य विपणन का एक महत्वपूर्ण कार्य होता है। इस प्रक्रिया में विपणन प्रबन्धक को अपनी संस्था में कुशल विपणन संचार व्यवस्था करनी होती है। विपणन संचार में विज्ञापन, विक्रय सम्वर्द्धन, विपणने अनुसन्धान, विक्रय कला, प्रचार, सुझाव आदि साधन सम्मिलित किये जाते हैं।
4. उत्पादन का रूपांकन एवं विकास – उत्पाद की उपयोगिता एवं बाजार में और अधिक प्रतियोगी बनाने के लिये उत्पादन का रूपांकन एवं विकास जरूरी होता है। जो विपणन प्रबन्धक द्वारा सम्पन्न किया जाता है।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
विपणन प्रबन्ध के अर्थ तथा महत्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
विपणन प्रबन्ध का अर्थ:
विपणन प्रबन्ध से अभिप्राय उन क्रियाओं के नियोजन, संगठन, निर्देशन एवं नियन्त्रण से है जो उत्पादन एवं उपभोक्ता अथवा उत्पाद एवं सेवा के उपयोगकर्ता के बीच वस्तुओं एवं सेवाओं के विनिमय को सरल बनाते हैं।
विपणन प्रबन्ध के महत्व को अध्ययन की दृष्टि से निम्न प्रकार वर्गीकृत किया जा सकता है –
फर्म में विपणन के महत्व को निम्न बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है –
प्रभावकारी विपणन व्यवस्था से ग्राहकों को निम्न लाभ होते हैं –
समाज में विपणन के महत्व को निम्न बिन्दुओं द्वारा समझा जा सकता है –
विपणन प्रबन्ध का राष्ट्र के लिये महत्व को निम्न बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है –
1. राष्ट्रीय साधनों का सदुपयोग – देश में विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक एवं पूंजीगत साधन उपलब्ध हैं लेकिन उनका उचित वितरण एवं सदुपयोग भी जरूरी है। लेकिन कुशल विपणन प्रबन्धन द्वारा इन साधनों का समय, स्थान, अधिकार, रूप एवं ज्ञान के आधार उपयोगिता का सृजन किया जा रहा है।
2. मांग एवं पूर्ति में सन्तुलन – विपणन प्रबन्ध द्वारा मांग और पूर्ति में उचित सन्तुलन बना रहता है। फलस्वरूप राष्ट्र में आर्थिक मन्दी, बेरोजगारी, गरीबी, आदि बुराइयों में कमी आती है।
3. विदेशी मुद्रा अर्जन में सहायक – विपणन प्रबन्ध अन्तर्राष्ट्रीय बाजार अनुसन्धान करके विदेशी बाजारों में फर्म को प्रवेश दिलाता है। साथ ही लागत एवं किस्मों में सुधार करके निर्यात बाजार में वस्तु की पहचान बढ़ाता है। फलस्वरूप विदेशी मुद्रा की प्राप्ति में वृद्धि होती है।
4. सरकारी आय में वृद्धि – प्रभावी विपणन व्यवस्था से माल के उत्पादन, विक्रय तथा आय में वृद्धि होती है जिससे सरकार को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष करों के माध्यम से सरकारी आय में वृद्धि होती है।
विपणन प्रबन्ध के अर्थ तथा महत्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
विपणन प्रबन्ध का अर्थ:
विपणन प्रबन्ध से अभिप्राय उन क्रियाओं के नियोजन, संगठन, निर्देशन एवं नियन्त्रण से है जो उत्पादन एवं उपभोक्ता अथवा उत्पाद एवं सेवा के उपयोगकर्ता के बीच वस्तुओं एवं सेवाओं के विनिमय को सरल बनाते हैं।
- प्रो. जॉनसन के अनुसार – “विपणन प्रबन्ध व्यावसायिक क्रिया का वह क्षेत्र है जिसमें सम्पूर्ण विक्रय अभियान के सभी चरणों के सम्बन्ध में योजनाओं का निर्माण एवं क्रियान्वयन सम्मिलित है।”
- स्टिफ एवं कण्डिफ के अनुसार – “विपणन प्रबन्ध सम्पूर्ण प्रबन्ध का वह कार्यकारी क्षेत्र है, जो उपक्रम के विपणन उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु उद्देश्यपूर्ण क्रियाओं के संचालन से सम्बन्धित है।”
विपणन प्रबन्ध के महत्व को अध्ययन की दृष्टि से निम्न प्रकार वर्गीकृत किया जा सकता है –
- व्यवसायियों/फर्म के लिये महत्व
- ग्राहकों के लिये महत्व
- समाज के लिये महत्व
- राष्ट्र के लिये महत्व।
फर्म में विपणन के महत्व को निम्न बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है –
- नियोजन का आधार – विपणन प्रबन्ध बाजार एवं उपभोक्ता से जुड़ी हुई प्रणाली होने कारण व्यवसासियों को ग्राहकों की आवश्यकताओं, इच्छाओं, रुचियों आदि का समुचित ज्ञान हो जाता है जिससे उन्हें विभिन्न योजनायें बनाने में सरलता हो जाती है।
- न्यूनतम लागत पर वितरण – जब व्यवसायियों द्वारा विपणन प्रबन्ध प्रक्रिया के अन्तर्गत ग्राहकों की आवश्यकता, इच्छाओं एवं रुचियों के अनुरूप निश्चित योजनानुसार उत्पादित वस्तुओं का वितरण किया जाता है तो निश्चित ही कम लागत आती है।
- लाभों में वृद्धि – प्रभावशील विपणन व्यवस्था लाभों को बढ़ाने में सहयोग प्रदान करती है। माल की मांग बढ़ने पर क्रय लागत पर अधिक उत्पादन करके मांग की पूर्ति की जाती है तो लाभों में अवश्य ही वृद्धि होती है।
- मध्यस्थों की प्राप्ति में सहायक – प्रभावशाली विपणन व्यवस्था के माध्यम से व्यवसासियों को मध्यस्थों, एजेन्ट, थोक व्यापारी, फुटकर व्यापारी आदि को प्राप्त करने में सरलता होती है। मध्यस्थ उसी उत्पादक का माल बेचते हैं जिनकी विपणन व्यवस्था ग्राहक प्रधान होती है।
प्रभावकारी विपणन व्यवस्था से ग्राहकों को निम्न लाभ होते हैं –
- सस्ती एवं श्रेष्ठ वस्तुओं की उपलब्धि – व्यवसायियों में बढ़ती हुई प्रतिस्पर्था के कारण विपणन योजनाओं को प्रभावकारी बनाया जा रहा है। ग्राहकों की इच्छा और आवश्यकता के अनुरूप वस्तुओं के रंग, रूप, आकार की ओर विशेष ध्यान देकर श्रेष्ठ वस्तुओं का उत्पादन किया जा रहा है। प्रभावकारी विपणन के कारण जब दीर्घकालीन उत्पादन होता है तो प्रति इकाई लागत में कमी आती है जिससे ग्राहकों को सस्ती वस्तुएँ उपलब्ध होती हैं।
- जीवन स्तर में वृद्धि – प्रभावकारी के अनुरूप उपयोगी, सुख सुविधायुक्त, मनोरंजनात्मक एवं विलासिता की वस्तुयें यथासमय एवं यथास्थान पर प्राप्त होती हैं तो ग्राहकों के जीवन स्तर में वृद्धि होती है।
- विक्रय उपरान्त सेवा का लाभ – वर्तमान में विपणन प्रबन्धक के द्वारा विक्रय पश्चात अनेक सेवायें, जैसे – मरम्मत, गृह सुपुर्दगी, माल परिवर्तन, उपभोग सम्बन्धी निर्देश आदि नि:शुल्क प्रदान की जाती हैं। इससे ग्राहकों को लाभ होता है।
- बाजार सूचनाओं की उपलब्धि – प्रभावी विपणन व्यवस्था सुदृढ़ संचार व्यवस्था पर आधारित होने के कारण ग्राहकों को बाजार सम्बन्धी सूचनायें आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं। परिणामस्वरूप ग्राहक नवी – नयी वस्तुओं से अवगत होते रहते हैं।
समाज में विपणन के महत्व को निम्न बिन्दुओं द्वारा समझा जा सकता है –
- कम मूल्यों पर वस्तुओं की प्राप्ति – प्रभावी विपणन से प्रबन्ध समाज के लोगों को वस्तुयें एवं सेवायें सामान्यतः कम मूल्य पर प्राप्त होती हैं जिससे समाज के सभी सदस्यों को लाभ प्राप्त होता है।
- रोजगार अवसरों में वृद्धि – विपणन प्रबन्ध प्रक्रिया के अन्तर्गत वितरण, विक्रय संवर्द्धन, पैकिंग, बाजार अनुसंधान आदि क्रियायें सम्पादित की जाती हैं जिससे समाज के लोगों को रोजगार के अवसरों की प्राप्ति होती है।
- रूढ़ियों एवं कुरीतियों से मुक्ति – समाज में मिलावट, जमाखोरी, भ्रामक विज्ञापन, काला बाजारी आदि बुराइयां पायी जाती हैं जो प्रभावकारी विपणन प्रबन्ध द्वारा दूर की जाती हैं। साथ ही जीवन स्तर में परिवर्तन होने से सामाजिक कुरीतियां दूर होने लगती हैं जिससे सामाजिक परिवर्तन होने लगता है।
विपणन प्रबन्ध का राष्ट्र के लिये महत्व को निम्न बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है –
1. राष्ट्रीय साधनों का सदुपयोग – देश में विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक एवं पूंजीगत साधन उपलब्ध हैं लेकिन उनका उचित वितरण एवं सदुपयोग भी जरूरी है। लेकिन कुशल विपणन प्रबन्धन द्वारा इन साधनों का समय, स्थान, अधिकार, रूप एवं ज्ञान के आधार उपयोगिता का सृजन किया जा रहा है।
2. मांग एवं पूर्ति में सन्तुलन – विपणन प्रबन्ध द्वारा मांग और पूर्ति में उचित सन्तुलन बना रहता है। फलस्वरूप राष्ट्र में आर्थिक मन्दी, बेरोजगारी, गरीबी, आदि बुराइयों में कमी आती है।
3. विदेशी मुद्रा अर्जन में सहायक – विपणन प्रबन्ध अन्तर्राष्ट्रीय बाजार अनुसन्धान करके विदेशी बाजारों में फर्म को प्रवेश दिलाता है। साथ ही लागत एवं किस्मों में सुधार करके निर्यात बाजार में वस्तु की पहचान बढ़ाता है। फलस्वरूप विदेशी मुद्रा की प्राप्ति में वृद्धि होती है।
4. सरकारी आय में वृद्धि – प्रभावी विपणन व्यवस्था से माल के उत्पादन, विक्रय तथा आय में वृद्धि होती है जिससे सरकार को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष करों के माध्यम से सरकारी आय में वृद्धि होती है।
प्रश्न 2.
विपणन प्रबन्ध के कार्यों को विस्तारपूर्वक समझाइये।
उत्तर:
विपणन प्रबन्ध के कार्य विपणन प्रबन्ध के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं –
1. बाजार से सूचनाएँ एकत्र करना तथा उनका विश्लेषण करना – विपणन का कार्य प्रयोगों के साथ आरम्भ होता है। विपणन में प्रयोग कार्य से आशय विपणनकर्ता द्वारा पहले ग्राहकों की आवश्यकताओं का पता लगाने के लिए वह तरह – तरह से यह जानने का प्रयत्न करता है कि ग्राहक क्या चाहता है अर्थात् किस वस्तु को कब, कितनी मात्रा में क्रय करना चाहता है और वस्तु का वह कहाँ तक (अधिकतम) मूल्य दे सकता है। इन प्रयोगों के आधार पर वह उत्पाद की रूपरेखा तैयार करता है।
2.बाजार नियोजन – बाजार नियोजन में विपणनकर्ता को अपने विपणन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए चरणबद्ध योजना का निर्माण करना होता है। यह योजना विक्रय – संवृद्धि, उत्पादन – संवृद्धि तथा आधुनिक साधनों के द्वारा उत्पाद का निर्माण करना आदि होते हैं।
3. उत्पाद का रूपांकन एवं विकास – प्रत्येक विपणनकर्ता द्वारा एक योजना के अन्तर्गत ग्राहक को वस्तु या सेवा प्रदान की जाती है। इस योजना में कई तत्व अन्तर्निहित होते हैं, जैसे – गुणवत्ता का मानक, आकार या डिजाइन की विशेषता, पैकिंग आदि। इनके द्वारा वह अपने उत्पाद को बाजार की प्रतिस्पर्धी शक्तियों की तुलना में बेहतर बनाने का प्रयास करता है तथा पैकिंग के द्वारा अपने उत्पाद की पहचान बनाता है।
4. प्रमाणीकरण एवं श्रेणीयन करना – प्रमाणीकरण से आशय है – उत्पाद की गुणवत्ता को बनाए रखकर उत्पाद में एकरूपता लाना उत्पाद की गुणवत्ता में विश्वास होना, उसके विक्रय में सहायक होता है। श्रेणीयन के द्वारा उत्पादों का उनके आकार एवं गुणवत्ता के अनुसार वर्गीकरण होता है। आधुनिक व्यवसाय के परिप्रेक्ष्य में उत्पादकों द्वारा प्रमाणीकरण की प्रक्रिया पर ज्यादा ध्यान केन्द्रित किया जाता है इसलिए उत्पाद का श्रेणीयन करना आवश्यक होता है। श्रेणीयन के द्वारा उत्पादक अधिक गुणवत्ता वाले उत्पाद की अधिक कीमत प्राप्त करता है।
5. पैकेजिंग एवं लेबलिंग – आधुनिक व्यावसायिक लेन – देनों में उत्पाद की पैकिंग या लेबलिंग महत्वपूर्ण स्थान रखती है। आकर्षक पैकिंग द्वारा ग्राहक को उत्पाद खरीदने के लिए उत्साहित किया जा सकता है।
6. ब्राण्ड – नाम निर्धारण – इसका आशय है कि उत्पाद को एक विशेष नाम देना या निर्धारित करना। उत्पादक द्वारा ब्राण्ड का नाम निर्धारण अपने उत्पाद को उत्पादक कम्पनी के नाम से बेचने के उद्देश्य से किया जाता है, जैसे – बजाज, सोनी आदि। कुछ उत्पादक ब्राण्ड नाम द्वारा उत्पाद का विक्रय करते हैं, जैसे – सर्फ, रिन। ये ब्राण्ड हैं जबकि इनकी उत्पादक कम्पनी हिन्दुस्तान लीवर है।
7. विक्रय के बाद (ग्राहक सेवाएँ) – आधुनिक व्यावसायियों परिवेश में यह धारणा सही है कि ग्राहबाजर का राजा होता है इसलिए प्रत्येक व्यवसायी का मुख्य उद्देश्य अपने उत्पाद के द्वारा ग्राहक को सन्तुष्टि प्रदान करना होता है। इस सन्तुष्टि के लिए उत्पादक ग्राहक को सहायता सेवाएँ उपलब्ध कराता है, जैसे – ग्राहक की शिकायत पर ध्यान देना, ग्राहक को सूचना देना तथा अन्य तकनीकी सुविधाएँ व सेवाएँ देना जिससे ग्राहक सन्तुष्ट हो सके और वह उसका स्थायी ग्राहक बना रहे।
8. उत्पाद का मूल्य निर्धारण – उत्पाद का मूल्य निर्धारण से आशय उस धन से है जो ग्राहक सेवा या वस्तु खरीदते समय विक्रेता को देता है। ग्राहक हमेशा ही किसी भी वस्तु या सेवा के मूल्य के प्रति संवेदनशील होता है, अगर एक ही उत्पाद के उसे बाजार में दो मूल्य मिलते हैं तो वह कम मूल्य वाली वस्तु के प्रति आकर्षित हो जाता है। इसलिए उत्पादक को अपने उत्पाद का मूल्य निर्धारण बाजार की स्थितियों के अध्ययन के उपरान्त बहुत सोचसमझ कर करना चाहिए।
9. विक्रय संवर्द्धन – वस्तु का उत्पादन करने के बाद विणनकर्ता को उस वस्तु को ग्राहक को देना होता है। इस प्रयोजनार्थ वह विक्रय संवर्द्धन प्रक्रिया को बढ़ावा देता है। विक्रय संवर्द्धन में उन सभी क्रियाओं को सम्मिलित किया जाता है जो उसको बढ़ाने के लिए आवश्यक होती हैं। विक्रय संवर्द्धन के लिए विपणनकर्ता को विज्ञापन, प्रचार तथा व्यक्तिगत विक्रय का सहारा लेना पड़ता है।
10. वितरण – विपणन प्रबन्ध के महत्वपूर्ण कार्यों में उत्पाद के वितरण से सम्बन्धित योजनाओं को कार्यरूप दिया जाता है, जैसे – वितरण माध्यम का चुनाव, संग्रहण, भण्डारण इत्यादि।
11. परिवहन – विपणन प्रबन्ध के अन्तर्गत वस्तुओं को उत्पादन-स्थल से उपभोक्ता स्थल तक पहुँचाने के लिए परिवहन के विभिन्न साधनों का इस्तेमाल किया जाता है जिससे वस्तुएँ एवं देश एवं प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर पहुँच सकें। परिवहन के द्वारा सिर्फ निर्मित माल को ही दूसरे स्थानों पर नहीं भेजा जाता अपितु उन्हें तैयार करने में लगने वाले कच्चे माल को भी परिवहन द्वारा उसके उत्पाद स्थल से उनके प्रयोग स्थल तक भेजा जाता है।
12. संग्रहण या भण्डारण – ये जरूरी नहीं कि वस्तु का उपयोग उसी समय पर हो जब वह उत्पादित की गयी है। उपभोग एवं उत्पादन के बीच में काफी समय अन्तराल होता है। इस समय अन्तराल के कारण वस्तुओं को सुरक्षित रखने की व्यवस्था की जाती है जिसे संग्रहण या भण्डारण कहते हैं।
विपणन प्रबन्ध के कार्यों को विस्तारपूर्वक समझाइये।
उत्तर:
विपणन प्रबन्ध के कार्य विपणन प्रबन्ध के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं –
1. बाजार से सूचनाएँ एकत्र करना तथा उनका विश्लेषण करना – विपणन का कार्य प्रयोगों के साथ आरम्भ होता है। विपणन में प्रयोग कार्य से आशय विपणनकर्ता द्वारा पहले ग्राहकों की आवश्यकताओं का पता लगाने के लिए वह तरह – तरह से यह जानने का प्रयत्न करता है कि ग्राहक क्या चाहता है अर्थात् किस वस्तु को कब, कितनी मात्रा में क्रय करना चाहता है और वस्तु का वह कहाँ तक (अधिकतम) मूल्य दे सकता है। इन प्रयोगों के आधार पर वह उत्पाद की रूपरेखा तैयार करता है।
2.बाजार नियोजन – बाजार नियोजन में विपणनकर्ता को अपने विपणन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए चरणबद्ध योजना का निर्माण करना होता है। यह योजना विक्रय – संवृद्धि, उत्पादन – संवृद्धि तथा आधुनिक साधनों के द्वारा उत्पाद का निर्माण करना आदि होते हैं।
3. उत्पाद का रूपांकन एवं विकास – प्रत्येक विपणनकर्ता द्वारा एक योजना के अन्तर्गत ग्राहक को वस्तु या सेवा प्रदान की जाती है। इस योजना में कई तत्व अन्तर्निहित होते हैं, जैसे – गुणवत्ता का मानक, आकार या डिजाइन की विशेषता, पैकिंग आदि। इनके द्वारा वह अपने उत्पाद को बाजार की प्रतिस्पर्धी शक्तियों की तुलना में बेहतर बनाने का प्रयास करता है तथा पैकिंग के द्वारा अपने उत्पाद की पहचान बनाता है।
4. प्रमाणीकरण एवं श्रेणीयन करना – प्रमाणीकरण से आशय है – उत्पाद की गुणवत्ता को बनाए रखकर उत्पाद में एकरूपता लाना उत्पाद की गुणवत्ता में विश्वास होना, उसके विक्रय में सहायक होता है। श्रेणीयन के द्वारा उत्पादों का उनके आकार एवं गुणवत्ता के अनुसार वर्गीकरण होता है। आधुनिक व्यवसाय के परिप्रेक्ष्य में उत्पादकों द्वारा प्रमाणीकरण की प्रक्रिया पर ज्यादा ध्यान केन्द्रित किया जाता है इसलिए उत्पाद का श्रेणीयन करना आवश्यक होता है। श्रेणीयन के द्वारा उत्पादक अधिक गुणवत्ता वाले उत्पाद की अधिक कीमत प्राप्त करता है।
5. पैकेजिंग एवं लेबलिंग – आधुनिक व्यावसायिक लेन – देनों में उत्पाद की पैकिंग या लेबलिंग महत्वपूर्ण स्थान रखती है। आकर्षक पैकिंग द्वारा ग्राहक को उत्पाद खरीदने के लिए उत्साहित किया जा सकता है।
6. ब्राण्ड – नाम निर्धारण – इसका आशय है कि उत्पाद को एक विशेष नाम देना या निर्धारित करना। उत्पादक द्वारा ब्राण्ड का नाम निर्धारण अपने उत्पाद को उत्पादक कम्पनी के नाम से बेचने के उद्देश्य से किया जाता है, जैसे – बजाज, सोनी आदि। कुछ उत्पादक ब्राण्ड नाम द्वारा उत्पाद का विक्रय करते हैं, जैसे – सर्फ, रिन। ये ब्राण्ड हैं जबकि इनकी उत्पादक कम्पनी हिन्दुस्तान लीवर है।
7. विक्रय के बाद (ग्राहक सेवाएँ) – आधुनिक व्यावसायियों परिवेश में यह धारणा सही है कि ग्राहबाजर का राजा होता है इसलिए प्रत्येक व्यवसायी का मुख्य उद्देश्य अपने उत्पाद के द्वारा ग्राहक को सन्तुष्टि प्रदान करना होता है। इस सन्तुष्टि के लिए उत्पादक ग्राहक को सहायता सेवाएँ उपलब्ध कराता है, जैसे – ग्राहक की शिकायत पर ध्यान देना, ग्राहक को सूचना देना तथा अन्य तकनीकी सुविधाएँ व सेवाएँ देना जिससे ग्राहक सन्तुष्ट हो सके और वह उसका स्थायी ग्राहक बना रहे।
8. उत्पाद का मूल्य निर्धारण – उत्पाद का मूल्य निर्धारण से आशय उस धन से है जो ग्राहक सेवा या वस्तु खरीदते समय विक्रेता को देता है। ग्राहक हमेशा ही किसी भी वस्तु या सेवा के मूल्य के प्रति संवेदनशील होता है, अगर एक ही उत्पाद के उसे बाजार में दो मूल्य मिलते हैं तो वह कम मूल्य वाली वस्तु के प्रति आकर्षित हो जाता है। इसलिए उत्पादक को अपने उत्पाद का मूल्य निर्धारण बाजार की स्थितियों के अध्ययन के उपरान्त बहुत सोचसमझ कर करना चाहिए।
9. विक्रय संवर्द्धन – वस्तु का उत्पादन करने के बाद विणनकर्ता को उस वस्तु को ग्राहक को देना होता है। इस प्रयोजनार्थ वह विक्रय संवर्द्धन प्रक्रिया को बढ़ावा देता है। विक्रय संवर्द्धन में उन सभी क्रियाओं को सम्मिलित किया जाता है जो उसको बढ़ाने के लिए आवश्यक होती हैं। विक्रय संवर्द्धन के लिए विपणनकर्ता को विज्ञापन, प्रचार तथा व्यक्तिगत विक्रय का सहारा लेना पड़ता है।
10. वितरण – विपणन प्रबन्ध के महत्वपूर्ण कार्यों में उत्पाद के वितरण से सम्बन्धित योजनाओं को कार्यरूप दिया जाता है, जैसे – वितरण माध्यम का चुनाव, संग्रहण, भण्डारण इत्यादि।
11. परिवहन – विपणन प्रबन्ध के अन्तर्गत वस्तुओं को उत्पादन-स्थल से उपभोक्ता स्थल तक पहुँचाने के लिए परिवहन के विभिन्न साधनों का इस्तेमाल किया जाता है जिससे वस्तुएँ एवं देश एवं प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर पहुँच सकें। परिवहन के द्वारा सिर्फ निर्मित माल को ही दूसरे स्थानों पर नहीं भेजा जाता अपितु उन्हें तैयार करने में लगने वाले कच्चे माल को भी परिवहन द्वारा उसके उत्पाद स्थल से उनके प्रयोग स्थल तक भेजा जाता है।
12. संग्रहण या भण्डारण – ये जरूरी नहीं कि वस्तु का उपयोग उसी समय पर हो जब वह उत्पादित की गयी है। उपभोग एवं उत्पादन के बीच में काफी समय अन्तराल होता है। इस समय अन्तराल के कारण वस्तुओं को सुरक्षित रखने की व्यवस्था की जाती है जिसे संग्रहण या भण्डारण कहते हैं।
प्रश्न 3.
विपणन प्रबन्ध की कार्य प्रक्रिया को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वर्तमान में समाज की बढ़ती आवश्यकताओं की पूर्ति की दौड़ में विपणन प्रबन्ध का कार्य क्षेत्र व्यापक हो गया है। विपणन प्रबन्ध की कार्य प्रक्रिया को निम्न बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है –
1. बाजार विश्लेषण – विपणन प्रबन्ध में विपणन कार्यों का प्रारम्भ बाजार विश्लेषण के साथ प्रारम्भ किया जाता है। इसके अन्तर्गत सर्वप्रथम ग्राहकों के सम्बन्ध में विभिन्न निर्णय लिये जाते हैं, जैसे – ग्राहकों को किन – किन वस्तुओं की आवश्यकता है, वह किस मूल्य पर वस्तुओं को चाहते हैं, वर्तमान में ग्राहकों की संख्या एवं उनका क्षेत्र, सम्भावित ग्राहकों की संख्या एवं उनका क्षेत्र, ग्राहकों की क्रय प्रेरणायें एवं आदतें आदि। इसके अतिरिक्त बाजार की प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति का अध्ययन एवं बाजार के वातावरण का अध्ययन भी किया जाता है।
2. विपणन नियोजन – वर्तमान में भविष्य के लिये उचित नियोजन कर लेना किसी भी कार्य अथवा संगठन के लिये आवश्यक हो जाता है क्योंकि विपणन प्रबन्ध की सफलता उचित नियोजन की सुदृढ़ता पर निर्भर करती है। नियोजन के अन्तर्गत भावी परिस्थितियों का विश्लेषण कर अथवा अनुमान लगाकर विपणन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण निर्णय लिये जाते हैं। इसमें निर्धारित लक्ष्यों के अनुरूप एक पूरी विपणन योजना बनायी जाती है तथा क्रियान्वयन कार्यक्रम का निर्धारण भी किया जाता है।
3. विपणन संचार – संचार कार्य विपणन का एक महत्वपूर्ण कार्य होता है। इस प्रक्रिया में विपणन प्रबन्धक को अपनी संस्था में कुशल विपणन संचार व्यवस्था करनी होती है। विपणन संचार में विज्ञापन, विक्रय सम्वर्द्धन, विपणन अनुसन्धान, विक्रय कती, प्रचार, प्रसार, सुझाव आदि साधन सम्मिलित किये जाते हैं।
4. उत्पाद का रूपांकन एवं विकास – उत्पाद की उपयोगिता एवं बाजार में और अधिक प्रतियोगी बनाने के लिये उत्पाद का रूपांकन एवं विकास जरूरी होता है जो विपणन प्रबन्धक द्वारा किया जाता है। उत्पाद की एक अच्छी डिजायन उपयोगिता को बढ़ा सकती है।
5. बाजार वर्गीकरण – विपणन प्रबन्ध के इस कार्य के अन्तर्गत अपने उपक्रम की वस्तुओं की खपत हेतु सम्पूर्ण बाजार की भौगोलिक क्षेत्र, आय, जाति, लिंग, आयु, शिक्षा आदि के आधार पर विभिन्न भागों में विभक्त कर लेता है जिससे कि बाजार के प्रत्येक भाग अथवा विशिष्ट भाग के लिये उपर्युक्त विपणन कार्यक्रम बनाया जा सके।
6. प्रमापीकरण एवं श्रेणीयन – वस्तुओं को पहचानने तथा उनका मूल्य निर्धारण के लिये प्रमापीकरण एवं श्रेणीयन की आवश्यकता पड़ती है। प्रमापीकरण में उत्पादों की किस्म, आकार, आकृति एवं गुण सम्बन्धी विशेषताओं में एकरूपता लाना है जिससे कि उत्पादों के विपणन कार्य में आसानी हो जाये। श्रेणीयन प्रेमापीकरण का ही एक भाग है जिससे उत्पादों को उनमें पायी जाने वाली सामान्य विशेषताओं के आधार पर विभिन्न समूहों में बांटा जाता है।
7. पैकेजिंग एवं लेबलिंग – विपणन प्रबन्ध के इस कार्य में वस्तुओं के रूप रंग एवं किस्म की सुरक्षा के लिये आकर्षक पैकिंग की जाती है ताकि लोग उसको खरीदने के लिये आकर्षित हो सकें। कभी – कभी क्रेता पैकेजिंग से ही उत्पाद की गुणवत्ता का आकलन करते हैं। लेबलिंग में उत्पाद और निर्माता के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण सूचनायें दी जाती हैं, जैसे – उत्पाद का नाम, गुण, उपयोग की अवधि, वजन या मात्रा, मूल्य, प्रयोग विधि, उत्पाद के निर्माता का नाम, पता आदि दिया जाता है।
8. ब्रांडिंग – विपणन प्रबन्ध में महत्वपूर्ण कार्य सही ब्राण्ड नाम का चयन करना। जो उत्पाद को अन्य उत्पादों से भिन्न बनाता है जिससे उत्पाद के लिये उपभोक्ता का लगाव पैदा होता है तथा इससे विक्रय संवर्द्धन में सहायता मिलती है। उत्पादक ब्राण्ड का नाम निर्धारण अपने उत्पाद को कम्पनी के नाम से बेचने के उद्देश्य से किया जाता है।
9. उत्पाद का मूल्य निर्धारण – किसी वस्तु की मांग का उसके मूल्य से सीधा सम्बन्ध है। ग्राहक हमेशा ही किसी भी वस्तु या सेवा के मूल्य के प्रति संवेदनशील होता है, अगर एक ही उत्पाद के बाजार में दो मूल्य मिलते हैं तो वह कम मूल्य वाली वस्तु के प्रति आकर्षित होता है। इसलिये मूल्य को एक महत्वपूर्ण तत्व माना जाता है जो बाजार में किसी उत्पाद की सफलता अथवा, असफलता को प्रभावित करता है।
10. विक्रय – विपणन प्रबन्ध में इस कार्य के अन्तर्गत विपणन विभाग माल के स्वामित्व को हस्तान्तरण करता है या अनुबन्ध करता है जिसमें माल के मूल्य एवं विक्रय शर्तों को निर्धारित करना, मूल्य सूचियों का प्रकाशन करना, विक्रयकर्ताओं की नियुक्ति करना आदि कार्य को सम्मिलित किया जाता है।
11. विक्रय के बाद सेवा सम्बन्धी निर्णय – विपणन प्रबन्ध का कार्य विक्रय के साथ समाप्त नहीं हो जाता, वरन् बिक्री पश्चात् उपभोक्ता को सन्तुष्ट रखना भी विपणन प्रबन्ध का ही कार्य है जिससे ग्राहक पुनः वस्तु का प्रयोग करें। इसके लिये यह निर्णय करना होता है कि कितने दिनों तक, किस प्रकार की सेवा, किसके माध्यम से ग्राहक को देनी है।
12. परिवहन – विभिन्न उत्पादकों से माल एकत्र करने तथा अनेक ग्राहकों को यथासमय माले उपलब्ध कराने के लिये परिवहन की व्यवस्था करना एक महत्वपूर्ण कार्य है। जो वस्तुओं को स्थान उपयोगिता प्रदान करता है।
विपणन प्रबन्ध में उपरोक्त सभी प्रक्रियाओं को सम्पन्न करने के लिये संग्रहण, विपणन – वित्त की व्यवस्था करना, विपणन में निहित जोखिमों को उठाना आदि क्रियाओं की भी आवश्यकता पड़ती है।
विपणन प्रबन्ध की कार्य प्रक्रिया को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वर्तमान में समाज की बढ़ती आवश्यकताओं की पूर्ति की दौड़ में विपणन प्रबन्ध का कार्य क्षेत्र व्यापक हो गया है। विपणन प्रबन्ध की कार्य प्रक्रिया को निम्न बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है –
1. बाजार विश्लेषण – विपणन प्रबन्ध में विपणन कार्यों का प्रारम्भ बाजार विश्लेषण के साथ प्रारम्भ किया जाता है। इसके अन्तर्गत सर्वप्रथम ग्राहकों के सम्बन्ध में विभिन्न निर्णय लिये जाते हैं, जैसे – ग्राहकों को किन – किन वस्तुओं की आवश्यकता है, वह किस मूल्य पर वस्तुओं को चाहते हैं, वर्तमान में ग्राहकों की संख्या एवं उनका क्षेत्र, सम्भावित ग्राहकों की संख्या एवं उनका क्षेत्र, ग्राहकों की क्रय प्रेरणायें एवं आदतें आदि। इसके अतिरिक्त बाजार की प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति का अध्ययन एवं बाजार के वातावरण का अध्ययन भी किया जाता है।
2. विपणन नियोजन – वर्तमान में भविष्य के लिये उचित नियोजन कर लेना किसी भी कार्य अथवा संगठन के लिये आवश्यक हो जाता है क्योंकि विपणन प्रबन्ध की सफलता उचित नियोजन की सुदृढ़ता पर निर्भर करती है। नियोजन के अन्तर्गत भावी परिस्थितियों का विश्लेषण कर अथवा अनुमान लगाकर विपणन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण निर्णय लिये जाते हैं। इसमें निर्धारित लक्ष्यों के अनुरूप एक पूरी विपणन योजना बनायी जाती है तथा क्रियान्वयन कार्यक्रम का निर्धारण भी किया जाता है।
3. विपणन संचार – संचार कार्य विपणन का एक महत्वपूर्ण कार्य होता है। इस प्रक्रिया में विपणन प्रबन्धक को अपनी संस्था में कुशल विपणन संचार व्यवस्था करनी होती है। विपणन संचार में विज्ञापन, विक्रय सम्वर्द्धन, विपणन अनुसन्धान, विक्रय कती, प्रचार, प्रसार, सुझाव आदि साधन सम्मिलित किये जाते हैं।
4. उत्पाद का रूपांकन एवं विकास – उत्पाद की उपयोगिता एवं बाजार में और अधिक प्रतियोगी बनाने के लिये उत्पाद का रूपांकन एवं विकास जरूरी होता है जो विपणन प्रबन्धक द्वारा किया जाता है। उत्पाद की एक अच्छी डिजायन उपयोगिता को बढ़ा सकती है।
5. बाजार वर्गीकरण – विपणन प्रबन्ध के इस कार्य के अन्तर्गत अपने उपक्रम की वस्तुओं की खपत हेतु सम्पूर्ण बाजार की भौगोलिक क्षेत्र, आय, जाति, लिंग, आयु, शिक्षा आदि के आधार पर विभिन्न भागों में विभक्त कर लेता है जिससे कि बाजार के प्रत्येक भाग अथवा विशिष्ट भाग के लिये उपर्युक्त विपणन कार्यक्रम बनाया जा सके।
6. प्रमापीकरण एवं श्रेणीयन – वस्तुओं को पहचानने तथा उनका मूल्य निर्धारण के लिये प्रमापीकरण एवं श्रेणीयन की आवश्यकता पड़ती है। प्रमापीकरण में उत्पादों की किस्म, आकार, आकृति एवं गुण सम्बन्धी विशेषताओं में एकरूपता लाना है जिससे कि उत्पादों के विपणन कार्य में आसानी हो जाये। श्रेणीयन प्रेमापीकरण का ही एक भाग है जिससे उत्पादों को उनमें पायी जाने वाली सामान्य विशेषताओं के आधार पर विभिन्न समूहों में बांटा जाता है।
7. पैकेजिंग एवं लेबलिंग – विपणन प्रबन्ध के इस कार्य में वस्तुओं के रूप रंग एवं किस्म की सुरक्षा के लिये आकर्षक पैकिंग की जाती है ताकि लोग उसको खरीदने के लिये आकर्षित हो सकें। कभी – कभी क्रेता पैकेजिंग से ही उत्पाद की गुणवत्ता का आकलन करते हैं। लेबलिंग में उत्पाद और निर्माता के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण सूचनायें दी जाती हैं, जैसे – उत्पाद का नाम, गुण, उपयोग की अवधि, वजन या मात्रा, मूल्य, प्रयोग विधि, उत्पाद के निर्माता का नाम, पता आदि दिया जाता है।
8. ब्रांडिंग – विपणन प्रबन्ध में महत्वपूर्ण कार्य सही ब्राण्ड नाम का चयन करना। जो उत्पाद को अन्य उत्पादों से भिन्न बनाता है जिससे उत्पाद के लिये उपभोक्ता का लगाव पैदा होता है तथा इससे विक्रय संवर्द्धन में सहायता मिलती है। उत्पादक ब्राण्ड का नाम निर्धारण अपने उत्पाद को कम्पनी के नाम से बेचने के उद्देश्य से किया जाता है।
9. उत्पाद का मूल्य निर्धारण – किसी वस्तु की मांग का उसके मूल्य से सीधा सम्बन्ध है। ग्राहक हमेशा ही किसी भी वस्तु या सेवा के मूल्य के प्रति संवेदनशील होता है, अगर एक ही उत्पाद के बाजार में दो मूल्य मिलते हैं तो वह कम मूल्य वाली वस्तु के प्रति आकर्षित होता है। इसलिये मूल्य को एक महत्वपूर्ण तत्व माना जाता है जो बाजार में किसी उत्पाद की सफलता अथवा, असफलता को प्रभावित करता है।
10. विक्रय – विपणन प्रबन्ध में इस कार्य के अन्तर्गत विपणन विभाग माल के स्वामित्व को हस्तान्तरण करता है या अनुबन्ध करता है जिसमें माल के मूल्य एवं विक्रय शर्तों को निर्धारित करना, मूल्य सूचियों का प्रकाशन करना, विक्रयकर्ताओं की नियुक्ति करना आदि कार्य को सम्मिलित किया जाता है।
11. विक्रय के बाद सेवा सम्बन्धी निर्णय – विपणन प्रबन्ध का कार्य विक्रय के साथ समाप्त नहीं हो जाता, वरन् बिक्री पश्चात् उपभोक्ता को सन्तुष्ट रखना भी विपणन प्रबन्ध का ही कार्य है जिससे ग्राहक पुनः वस्तु का प्रयोग करें। इसके लिये यह निर्णय करना होता है कि कितने दिनों तक, किस प्रकार की सेवा, किसके माध्यम से ग्राहक को देनी है।
12. परिवहन – विभिन्न उत्पादकों से माल एकत्र करने तथा अनेक ग्राहकों को यथासमय माले उपलब्ध कराने के लिये परिवहन की व्यवस्था करना एक महत्वपूर्ण कार्य है। जो वस्तुओं को स्थान उपयोगिता प्रदान करता है।
विपणन प्रबन्ध में उपरोक्त सभी प्रक्रियाओं को सम्पन्न करने के लिये संग्रहण, विपणन – वित्त की व्यवस्था करना, विपणन में निहित जोखिमों को उठाना आदि क्रियाओं की भी आवश्यकता पड़ती है।
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न एवं उनके उत्तर
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
विपणन है –
(अ) विक्रय
(ब) क्रय
(स) सेवाओं एवं वस्तुओं को उत्पादक से उपभोक्ता तक पहुँचाना
(द) कोई नहीं।
विपणन है –
(अ) विक्रय
(ब) क्रय
(स) सेवाओं एवं वस्तुओं को उत्पादक से उपभोक्ता तक पहुँचाना
(द) कोई नहीं।
प्रश्न 2.
विपणन का उद्देश्य है –
(अ) ग्राहकों की सन्तुष्टि वृद्धि
(ब) उपभोक्ताओं की आवश्यकता का निर्धारण
(स) ग्राहकों के जीवन स्तर को उठाना
(द) उपरोक्त सभी
विपणन का उद्देश्य है –
(अ) ग्राहकों की सन्तुष्टि वृद्धि
(ब) उपभोक्ताओं की आवश्यकता का निर्धारण
(स) ग्राहकों के जीवन स्तर को उठाना
(द) उपरोक्त सभी
प्रश्न 3.
“विपणन प्रबन्ध व्यावसायिक क्रिया का वह क्षेत्र है जिसमें सम्पूर्ण विक्रय अभियान के सभी चरणों के सम्बन्ध में योजनाओं का निर्माण एवं क्रियान्वयन सम्मिलित है।” यह कथन है –
(अ) फिलिप कोटलरे का
(ब) स्टिफ एवं कण्डिफ का
(स) प्रो. जॉनसन का
(द) विलियम जे. स्टेन्टन का
“विपणन प्रबन्ध व्यावसायिक क्रिया का वह क्षेत्र है जिसमें सम्पूर्ण विक्रय अभियान के सभी चरणों के सम्बन्ध में योजनाओं का निर्माण एवं क्रियान्वयन सम्मिलित है।” यह कथन है –
(अ) फिलिप कोटलरे का
(ब) स्टिफ एवं कण्डिफ का
(स) प्रो. जॉनसन का
(द) विलियम जे. स्टेन्टन का
प्रश्न 4.
“विपणन विचार का क्रियात्मक रूप ही विपणन प्रबन्ध होता हैं” यह परिभाषा है –
(अ) विलयम जे. स्टेन्टन की
(ब) प्रो. जॉनसन की
(स) फिलिप कोटलर की
(द) इनमें से कोई नहीं
“विपणन विचार का क्रियात्मक रूप ही विपणन प्रबन्ध होता हैं” यह परिभाषा है –
(अ) विलयम जे. स्टेन्टन की
(ब) प्रो. जॉनसन की
(स) फिलिप कोटलर की
(द) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 5.
विपणन कार्यों का प्रारम्भ होता है –
(अ) बाजार विश्लेषण से
(ब) प्रमापीकरण से
(स) उत्पाद मूल्य निर्धारण से
(द) इनमें से कोई नहीं।
विपणन कार्यों का प्रारम्भ होता है –
(अ) बाजार विश्लेषण से
(ब) प्रमापीकरण से
(स) उत्पाद मूल्य निर्धारण से
(द) इनमें से कोई नहीं।
प्रश्न 6.
बाजार विश्लेषण द्वारा किया जाता है –
(अ) ग्राहकों की आवश्यकता, इच्छा, रुचि, का ज्ञान
(ब) बाजार में वस्तु की मांग एवं पूर्ति का अनुमान
(स) भावी ग्राहकों का अनुमान
(द) उपरोक्त सभी
बाजार विश्लेषण द्वारा किया जाता है –
(अ) ग्राहकों की आवश्यकता, इच्छा, रुचि, का ज्ञान
(ब) बाजार में वस्तु की मांग एवं पूर्ति का अनुमान
(स) भावी ग्राहकों का अनुमान
(द) उपरोक्त सभी
प्रश्न 7.
विपणन संचार के महत्वपूर्ण साधन हैं –
(अ) विज्ञापन
(ब) विक्रय संवर्द्धन
(स) विपणन अनुसंधान
(द) उपरोक्त सभी
विपणन संचार के महत्वपूर्ण साधन हैं –
(अ) विज्ञापन
(ब) विक्रय संवर्द्धन
(स) विपणन अनुसंधान
(द) उपरोक्त सभी
प्रश्न 8.
एक वस्तु के बाजार को उप – बाजारों में बांटना कहलाता है –
(अ) श्रम विभाजन
(ब) बाजार विभक्तीकरण
(स) विशिष्टीकरण
(द) इनमें से कोई नहीं
एक वस्तु के बाजार को उप – बाजारों में बांटना कहलाता है –
(अ) श्रम विभाजन
(ब) बाजार विभक्तीकरण
(स) विशिष्टीकरण
(द) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 9.
पूर्व निर्धारित विशिष्टताओं के अनुरूप वस्तुओं का उत्पादन करना जिससे उत्पाद में एकरूपता तथा अनुकूलता आती है, कहते हैं –
(अ) प्रमापीकरण
(ब) बाजार वर्गीकरण
(स) पैकेजिंग
(द) इनमें से कोई नहीं
पूर्व निर्धारित विशिष्टताओं के अनुरूप वस्तुओं का उत्पादन करना जिससे उत्पाद में एकरूपता तथा अनुकूलता आती है, कहते हैं –
(अ) प्रमापीकरण
(ब) बाजार वर्गीकरण
(स) पैकेजिंग
(द) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 10.
उत्पादित वस्तुओं को उनकी किस्म तथा उनके गुणों के अनुसार विभिन्न वर्गों में बांटना कहलाता है –
(अ) ब्रान्डिंग
(ब) लेबलिंग
(स) श्रेणीयन
(द) बाजार विभक्तीकरण
उत्पादित वस्तुओं को उनकी किस्म तथा उनके गुणों के अनुसार विभिन्न वर्गों में बांटना कहलाता है –
(अ) ब्रान्डिंग
(ब) लेबलिंग
(स) श्रेणीयन
(द) बाजार विभक्तीकरण
प्रश्न 11.
श्रेणीयन से लाभ है –
(अ) विक्रय में सरलता
(ब) किस्म की निश्चितता
(स) उत्पादों की पहचान की सरलता
(द) उपरोक्त सभी
श्रेणीयन से लाभ है –
(अ) विक्रय में सरलता
(ब) किस्म की निश्चितता
(स) उत्पादों की पहचान की सरलता
(द) उपरोक्त सभी
प्रश्न 12.
पैकेजिंग द्वारा सुरक्षा प्रदान की जाती है –
(अ) वस्तु के रूप की
(ब) वस्तु की किस्म की
(स) अ और ब सही हैं
(द) इनमें से कोई नहीं
पैकेजिंग द्वारा सुरक्षा प्रदान की जाती है –
(अ) वस्तु के रूप की
(ब) वस्तु की किस्म की
(स) अ और ब सही हैं
(द) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 13.
उत्पाद की पैकिंग पर लगी हुई एक सरल सी पर्ची जिस पर उत्पाद की गुणवत्ता, मूल्य, उत्पाद के घटक, उपयोग विधि आदि सूचनायें लिखी जाती हैं उसे कहते हैं –
(अ) लेबल
(ब) पैकिंग
(स) श्रेणीयन
(द) ब्रान्डिंग
उत्पाद की पैकिंग पर लगी हुई एक सरल सी पर्ची जिस पर उत्पाद की गुणवत्ता, मूल्य, उत्पाद के घटक, उपयोग विधि आदि सूचनायें लिखी जाती हैं उसे कहते हैं –
(अ) लेबल
(ब) पैकिंग
(स) श्रेणीयन
(द) ब्रान्डिंग
प्रश्न 14.
विक्रयोपरान्त सेवाओं में शामिल हैं –
(अ) वस्तुओं की मरम्मत
(ब) गृह सुपुर्दगी
(स) साख सुविधाएँ
(द) उपरोक्त सभी
विक्रयोपरान्त सेवाओं में शामिल हैं –
(अ) वस्तुओं की मरम्मत
(ब) गृह सुपुर्दगी
(स) साख सुविधाएँ
(द) उपरोक्त सभी
प्रश्न 15.
विपणन प्रबन्ध की विक्रय प्रक्रिया में सम्मिलित हैं –
(अ) विक्रय शर्ते निर्धारित करना
(ब) मूल्य सूची प्रकाशित करना
(स) विक्रयकर्ताओं को नियुक्त करना
(द) उपरोक्त सभी
विपणन प्रबन्ध की विक्रय प्रक्रिया में सम्मिलित हैं –
(अ) विक्रय शर्ते निर्धारित करना
(ब) मूल्य सूची प्रकाशित करना
(स) विक्रयकर्ताओं को नियुक्त करना
(द) उपरोक्त सभी
प्रश्न 16.
विपणन प्रबन्ध के कार्य हैं –
(अ) बाजार का विश्लेषण करना
(ब) उत्पाद का रूपांकन एवं विकास करना
(स) बाजार वर्गीकरण करना
(द) उपरोक्त सभी
विपणन प्रबन्ध के कार्य हैं –
(अ) बाजार का विश्लेषण करना
(ब) उत्पाद का रूपांकन एवं विकास करना
(स) बाजार वर्गीकरण करना
(द) उपरोक्त सभी
प्रश्न 17.
उपक्रम के लिये विपणन प्रबन्ध का महत्व नहीं है –
(अ) प्रतिस्पर्धा का अस्तित्व बनाये रखना
(ब) ख्याति में कमी
(स) अधिक उत्पादन
(द) लाभों में वृद्धि
उपक्रम के लिये विपणन प्रबन्ध का महत्व नहीं है –
(अ) प्रतिस्पर्धा का अस्तित्व बनाये रखना
(ब) ख्याति में कमी
(स) अधिक उत्पादन
(द) लाभों में वृद्धि
प्रश्न 18.
व्यवसायियों के लिये विपणन प्रबन्ध का महत्व है –
(अ) नियोजन का आधार
(ब) अधिक विक्रय
(स) लाभों में वृद्धि
(द) उपरोक्त सभी
व्यवसायियों के लिये विपणन प्रबन्ध का महत्व है –
(अ) नियोजन का आधार
(ब) अधिक विक्रय
(स) लाभों में वृद्धि
(द) उपरोक्त सभी
प्रश्न 19.
ग्राहकों के लिये विपणन प्रबन्ध का महत्व नहीं –
(अ) जीवन स्तर में कमी
(ब) आवश्यकताओं की पूर्ति
(स) सस्ती एवं श्रेष्ठ वस्तुओं की उपलब्धि
(द) विक्रय उपरान्त पूर्ति
ग्राहकों के लिये विपणन प्रबन्ध का महत्व नहीं –
(अ) जीवन स्तर में कमी
(ब) आवश्यकताओं की पूर्ति
(स) सस्ती एवं श्रेष्ठ वस्तुओं की उपलब्धि
(द) विक्रय उपरान्त पूर्ति
प्रश्न 20.
विपणन द्वारा रोजगार के अवसर प्राप्त होते हैं –
(अ) विज्ञापन से
(ब) विक्रय संवर्द्धन से
(स) बाजार अनुसन्धान से
(द) उपर्युक्त सभी से
विपणन द्वारा रोजगार के अवसर प्राप्त होते हैं –
(अ) विज्ञापन से
(ब) विक्रय संवर्द्धन से
(स) बाजार अनुसन्धान से
(द) उपर्युक्त सभी से
प्रश्न 21.
समाज के लिये विपणन का महत्व है –
(अ) कम मूल्यों पर वस्तु की प्राप्ति
(ब) रोजगार में वृद्धि
(स) सामाजिक मूल्यों की स्थापना
(द) उपरोक्त सभी
समाज के लिये विपणन का महत्व है –
(अ) कम मूल्यों पर वस्तु की प्राप्ति
(ब) रोजगार में वृद्धि
(स) सामाजिक मूल्यों की स्थापना
(द) उपरोक्त सभी
प्रश्न 22.
राष्ट्र के लिये विपणन से लाभ नहीं है –
(अ) राष्ट्रीय साधनों का उपयोग
(ब) मन्दी से रक्षा
(स) विदेशी मुद्रा के अर्जन में कमी
(द) निर्यात वृद्धि
राष्ट्र के लिये विपणन से लाभ नहीं है –
(अ) राष्ट्रीय साधनों का उपयोग
(ब) मन्दी से रक्षा
(स) विदेशी मुद्रा के अर्जन में कमी
(द) निर्यात वृद्धि
उत्तरमाला:
1. (स)
2. (द)
3. (स)
4. (अ)
5. (अ)
6. (द)
7. (द)
8. (ब)
9. (अ)
10. (स)
11. (द)
12. (स)
13. (अ)
14. (द)
15. (द)
16. (द)
17. (ब)
18. (द)
19. (अ)
20. (द)
21. (द)
22. (स)
1. (स)
2. (द)
3. (स)
4. (अ)
5. (अ)
6. (द)
7. (द)
8. (ब)
9. (अ)
10. (स)
11. (द)
12. (स)
13. (अ)
14. (द)
15. (द)
16. (द)
17. (ब)
18. (द)
19. (अ)
20. (द)
21. (द)
22. (स)
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
विपणन प्रक्रिया क्या है?
उत्तर:
विपणन प्रक्रिया से आशय मुद्रा अथवा अन्य मूल्यवान वस्तु के बदले में वस्तु अथवा सेवायें प्राप्त करने से है।
विपणन प्रक्रिया क्या है?
उत्तर:
विपणन प्रक्रिया से आशय मुद्रा अथवा अन्य मूल्यवान वस्तु के बदले में वस्तु अथवा सेवायें प्राप्त करने से है।
प्रश्न 2.
विपणन प्रक्रिया किसके माध्यम से कार्य करती है?
उत्तर:
विपणन प्रक्रिया विनिमय पद्धति के माध्यम से कार्य करती है।
विपणन प्रक्रिया किसके माध्यम से कार्य करती है?
उत्तर:
विपणन प्रक्रिया विनिमय पद्धति के माध्यम से कार्य करती है।
प्रश्न 3.
विपणन में कौन – कौन सी क्रियायें सम्मिलित की जाती हैं?
उत्तर:
विपणन में वस्तुओं एवं सेवाओं के उत्पादन से पूर्व की जाने वाली क्रियाओं से लेकर उनके वितरण और आवश्यक विक्रयोपरान्त सेवाओं तक को सम्मिलित किया जाता है।
विपणन में कौन – कौन सी क्रियायें सम्मिलित की जाती हैं?
उत्तर:
विपणन में वस्तुओं एवं सेवाओं के उत्पादन से पूर्व की जाने वाली क्रियाओं से लेकर उनके वितरण और आवश्यक विक्रयोपरान्त सेवाओं तक को सम्मिलित किया जाता है।
प्रश्न 4.
विपणन की दो विशेषताएँ बताइये।
उत्तर:
विपणन की दो विशेषताएँ बताइये।
उत्तर:
- विपणन का कार्यक्षेत्र बहुत ही व्यापक है।
- विपणन उपयोगिता का सृजन करता है।
प्रश्न 5.
विपणन के दो उद्देश्य बताइये।
उत्तर:
विपणन के दो उद्देश्य बताइये।
उत्तर:
- उपभोक्ताओं की आवश्यकता को सन्तुष्ट करना।
- उपभोक्ताओं के जीवन स्तर को ऊँचा उठाना।
प्रश्न 6.
“विपणन प्रबन्ध सम्पूर्ण प्रबन्ध का वह कार्यकारी क्षेत्र है जो उपक्रम के विपणन उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु उद्देश्यपूर्ण क्रियाओं के संचालन से सम्बन्धित है।” यह परिभाषा किसने दी है?
उत्तर:
स्टिफ एण्ड कण्डिफ ने।
“विपणन प्रबन्ध सम्पूर्ण प्रबन्ध का वह कार्यकारी क्षेत्र है जो उपक्रम के विपणन उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु उद्देश्यपूर्ण क्रियाओं के संचालन से सम्बन्धित है।” यह परिभाषा किसने दी है?
उत्तर:
स्टिफ एण्ड कण्डिफ ने।
प्रश्न 7.
“विपणन विचार का क्रियात्मक रूप से विपणन प्रबन्ध होता है।” यह कथन किसका है?
उत्तर:
विलियम जे. स्टेन्टन का।
“विपणन विचार का क्रियात्मक रूप से विपणन प्रबन्ध होता है।” यह कथन किसका है?
उत्तर:
विलियम जे. स्टेन्टन का।
प्रश्न 8.
विपणन प्रबन्ध की कार्य प्रक्रिया का प्रारम्भ किन कार्यों से होता है?
उत्तर:
बाजार विश्लेषण से।
विपणन प्रबन्ध की कार्य प्रक्रिया का प्रारम्भ किन कार्यों से होता है?
उत्तर:
बाजार विश्लेषण से।
प्रश्न 9.
बाजार में वस्तु की मांग एवं पूर्ति का अनुमान लगाना विपणन की किस प्रक्रिया द्वारा सम्भव होता है?
उत्तर:
बाजार विश्लेषण कार्य द्वारा।
बाजार में वस्तु की मांग एवं पूर्ति का अनुमान लगाना विपणन की किस प्रक्रिया द्वारा सम्भव होता है?
उत्तर:
बाजार विश्लेषण कार्य द्वारा।
प्रश्न 10.
विपणन योजना तैयार करते समय किन महत्वपूर्ण पक्षों को सम्मिलित किया जाता है? किन्हीं दो को बताइए।
उत्तर:
विपणन योजना तैयार करते समय किन महत्वपूर्ण पक्षों को सम्मिलित किया जाता है? किन्हीं दो को बताइए।
उत्तर:
- उत्पादन के स्तर में वृद्धि
- वस्तुओं का प्रवर्तन।
प्रश्न 11.
विपणन संचार कार्य महत्व एवं साधन बताइये।
उत्तर:
विज्ञापन, विक्रय संवर्द्धन, विपणन अनुसन्धान, विक्रय कला, प्रचार, सुझाव आदि।
विपणन संचार कार्य महत्व एवं साधन बताइये।
उत्तर:
विज्ञापन, विक्रय संवर्द्धन, विपणन अनुसन्धान, विक्रय कला, प्रचार, सुझाव आदि।
प्रश्न 12.
बाजार विभक्तीकरण से क्या आशय है?
उत्तर:
ग्राहकों की समान प्रकार की विशेषताओं, आवश्यकताओं, इच्छाओं एवं रुचियों के अनुसार समूहों का वर्गीकरण करना ही बाजार विभक्तीकरण है?
बाजार विभक्तीकरण से क्या आशय है?
उत्तर:
ग्राहकों की समान प्रकार की विशेषताओं, आवश्यकताओं, इच्छाओं एवं रुचियों के अनुसार समूहों का वर्गीकरण करना ही बाजार विभक्तीकरण है?
प्रश्न 13.
बाजार विभक्तीकरण के दो उद्देश्य बताइये।
उत्तर:
बाजार विभक्तीकरण के दो उद्देश्य बताइये।
उत्तर:
- फर्म के कार्यों को ग्राहकोन्मुखी बनाना।
- ग्राहकों की रुचियों, खरीदने की आदतों, आवश्यकताओं तथा उत्पाद प्राथमिकताओं का पता लगाना।
प्रश्न 14.
प्रमापीकरण का क्या अर्थ है?
उत्तर:
प्रमाणीकरण का अर्थ पूर्व निर्धारित विशिष्टताओं के अनुरूप वस्तुओं का उत्पादन करना, जिससे उत्पाद में एकरूपता तथा अनुकूलता आती है।
प्रमापीकरण का क्या अर्थ है?
उत्तर:
प्रमाणीकरण का अर्थ पूर्व निर्धारित विशिष्टताओं के अनुरूप वस्तुओं का उत्पादन करना, जिससे उत्पाद में एकरूपता तथा अनुकूलता आती है।
प्रश्न 15.
विपणन प्रक्रिया में प्रमापीकरण की आवश्यकता क्यों पड़ती है?
उत्तर:
उत्पादें मैं एकरूपता तथा अनुकूलता लाने के लिये।
विपणन प्रक्रिया में प्रमापीकरण की आवश्यकता क्यों पड़ती है?
उत्तर:
उत्पादें मैं एकरूपता तथा अनुकूलता लाने के लिये।
प्रश्न 16.
श्रेणीयन क्या है?
उत्तर:
श्रेणीयन के अन्तर्गत उत्पादित वस्तुओं को उनकी किस्म तथा उनके गुणों के अनुसार विभिन्न वर्गों में बांट दिया जाता है।
श्रेणीयन क्या है?
उत्तर:
श्रेणीयन के अन्तर्गत उत्पादित वस्तुओं को उनकी किस्म तथा उनके गुणों के अनुसार विभिन्न वर्गों में बांट दिया जाता है।
प्रश्न 17.
पैकेजिंग क्या है?
उत्तर:
उत्पाद के पैकेज द्वारा रूपांकन करना पैकेजिंग कहलाता है।
पैकेजिंग क्या है?
उत्तर:
उत्पाद के पैकेज द्वारा रूपांकन करना पैकेजिंग कहलाता है।
प्रश्न 18.
पैकेजिंग से होने वाले दो लाभ बताइये।
उत्तर:
पैकेजिंग से होने वाले दो लाभ बताइये।
उत्तर:
- वस्तुओं की सुरक्षा
- संग्रहण में सुविधा।
प्रश्न 19.
लेबलिंग क्या है?
उत्तर:
पैकेज पर लगाये जाने वाले लेबलों का रूपांकन करना लेबलिंग कहलाता है।
लेबलिंग क्या है?
उत्तर:
पैकेज पर लगाये जाने वाले लेबलों का रूपांकन करना लेबलिंग कहलाता है।
प्रश्न 20.
उत्पाद से क्या आशय है?
उत्तर:
उत्पाद का अर्थ ऐसी किसी वस्तु, सेवा या अन्य किसी मूल्यवान पदार्थ से लगाया जाता है, जिसे बाजार में बिक्री के लिये प्रस्तावित किया जाता है।
उत्पाद से क्या आशय है?
उत्तर:
उत्पाद का अर्थ ऐसी किसी वस्तु, सेवा या अन्य किसी मूल्यवान पदार्थ से लगाया जाता है, जिसे बाजार में बिक्री के लिये प्रस्तावित किया जाता है।
प्रश्न 21.
ब्रांडिंग किसे कहते हैं?
उत्तर:
किसी उत्पाद को नाम, चिन्ह, प्रतीक आदि देने की प्रक्रिया को ब्रांडिंग कहते हैं।
ब्रांडिंग किसे कहते हैं?
उत्तर:
किसी उत्पाद को नाम, चिन्ह, प्रतीक आदि देने की प्रक्रिया को ब्रांडिंग कहते हैं।
प्रश्न 22.
ब्राण्ड क्या है?
उत्तर:
ब्राण्ड एक ऐसा नाम, शब्द चिन्ह, प्रतीक या इनका मिश्रण होता है जिसका प्रयोग विक्रेता द्वारा अपनी वस्तु एवं सेवा की पहचान बनाने के लिये किया जाता है।
ब्राण्ड क्या है?
उत्तर:
ब्राण्ड एक ऐसा नाम, शब्द चिन्ह, प्रतीक या इनका मिश्रण होता है जिसका प्रयोग विक्रेता द्वारा अपनी वस्तु एवं सेवा की पहचान बनाने के लिये किया जाता है।
प्रश्न 23.
ब्राण्ड चिन्ह क्या है?
उत्तर:
ब्राण्ड का वह भाग जिसे बोला नहीं जा सकता है लेकिन पहचाना जा सकता है वह ब्राण्ड चिन्ह कहलाता है।
ब्राण्ड चिन्ह क्या है?
उत्तर:
ब्राण्ड का वह भाग जिसे बोला नहीं जा सकता है लेकिन पहचाना जा सकता है वह ब्राण्ड चिन्ह कहलाता है।
प्रश्न 24.
ब्राडिंग से विपणनकर्ताओं को क्या लाभ होते हैं?
उत्तर:
ब्राडिंग से विपणनकर्ताओं को क्या लाभ होते हैं?
उत्तर:
- उत्पाद में अन्तर करने में सहायक
- विज्ञापन एवं प्रदर्शन कार्यक्रमों में सहायक
- विभेदात्मक मूल्य निर्धारण में सहायक
- नये उत्पादों से परिचित कराने में सरलता।
प्रश्न 25.
मूल्य क्या है?
उत्तर:
मूल्य वह धनराशि है जिसका भुगतान क्रेता उत्पाद प्राप्त करने के बदले में करता है।
मूल्य क्या है?
उत्तर:
मूल्य वह धनराशि है जिसका भुगतान क्रेता उत्पाद प्राप्त करने के बदले में करता है।
प्रश्न 26.
मूल्य निर्धारक तत्व कौन – कौन से हैं?
उत्तर:
मूल्य निर्धारक तत्व कौन – कौन से हैं?
उत्तर:
- वस्तु की लागत
- उपयोगिता एवं माँग
- बाजार में प्रतियोगिता की सीमा
- सरकारी एवं कानूनी नियम
- मूल्य निर्धारण का उद्देश्य
प्रश्न 27.
परिवहन का क्या अर्थ है?
उत्तर:
परिवहन का अर्थ है-माल को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाना।
परिवहन का क्या अर्थ है?
उत्तर:
परिवहन का अर्थ है-माल को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाना।
प्रश्न 28.
भण्डारण क्या है?
उत्तर:
भण्डारण वस्तुओं को संग्रहण एवं वर्गों में विभक्त करने का कार्य है जिससे समय उपयोगिता का सृजन होता है।
भण्डारण क्या है?
उत्तर:
भण्डारण वस्तुओं को संग्रहण एवं वर्गों में विभक्त करने का कार्य है जिससे समय उपयोगिता का सृजन होता है।
प्रश्न 29.
प्रभावी विपणन व्यवस्था से व्यवसायियों के लाभों में वृद्धि कैसे होती है?
उत्तर:
माल की मांग बढ़ने पर क्रय लागत पर अधिक उत्पाद करके मांग की पूर्ति की जाती है तो व्यवसासियों के लाभों में वृद्धि होती है।
प्रभावी विपणन व्यवस्था से व्यवसायियों के लाभों में वृद्धि कैसे होती है?
उत्तर:
माल की मांग बढ़ने पर क्रय लागत पर अधिक उत्पाद करके मांग की पूर्ति की जाती है तो व्यवसासियों के लाभों में वृद्धि होती है।
प्रश्न 30.
प्रभावशाली विपणन व्यवस्था के माध्यम से मध्यस्थों को प्राप्त करना सरल क्यों होता है?
उत्तर:
प्रभावकारी विपणन व्यवस्था के माध्यम से मध्यस्थों – एजेन्ट, थोक व्यापारी, फुटकर व्यापारी आदि को प्राप्त करना सरल होता है क्योंकि मध्यस्थ उसी उत्पादक का माल बेचते हैं जिनकी विपणन व्यवस्था ग्राहक प्रधान होती है।
प्रभावशाली विपणन व्यवस्था के माध्यम से मध्यस्थों को प्राप्त करना सरल क्यों होता है?
उत्तर:
प्रभावकारी विपणन व्यवस्था के माध्यम से मध्यस्थों – एजेन्ट, थोक व्यापारी, फुटकर व्यापारी आदि को प्राप्त करना सरल होता है क्योंकि मध्यस्थ उसी उत्पादक का माल बेचते हैं जिनकी विपणन व्यवस्था ग्राहक प्रधान होती है।
प्रश्न 31.
आधुनिक विपणन सामाजिक उद्देश्यों एवं दायित्वों की पूर्ति में कैसे सहायक होता है?
उत्तर:
उपभोक्ता केन्द्रित होने के कारण।
आधुनिक विपणन सामाजिक उद्देश्यों एवं दायित्वों की पूर्ति में कैसे सहायक होता है?
उत्तर:
उपभोक्ता केन्द्रित होने के कारण।
प्रश्न 32.
विपणन कौन – कौन से अप्रत्यक्ष कार्यों को प्रोत्साहित करके रोजगार के अवसर पैदा करता है?
उत्तर:
यातायात, सन्देशवाहन, बैंकिंग, बीमा, भण्डारण, पूंजी बाजार आदि को प्रोत्साहित करके रोजगार के अवसर पैदा करता है।
विपणन कौन – कौन से अप्रत्यक्ष कार्यों को प्रोत्साहित करके रोजगार के अवसर पैदा करता है?
उत्तर:
यातायात, सन्देशवाहन, बैंकिंग, बीमा, भण्डारण, पूंजी बाजार आदि को प्रोत्साहित करके रोजगार के अवसर पैदा करता है।
प्रश्न 33.
विपणन प्रबन्धन से राष्ट्र की मन्दी से सुरक्षा कैसे होती है?
उत्तर:
विपणन प्रबन्ध मांग व पूर्ति में सन्तुलन एवं मांग का सृजन करके राष्ट्र को आर्थिक मन्दी से बचाता है।
विपणन प्रबन्धन से राष्ट्र की मन्दी से सुरक्षा कैसे होती है?
उत्तर:
विपणन प्रबन्ध मांग व पूर्ति में सन्तुलन एवं मांग का सृजन करके राष्ट्र को आर्थिक मन्दी से बचाता है।
प्रश्न 34.
विपणन प्रबन्ध द्वारा राष्ट्रीय उत्पादन में वृद्धि कैसे होती है?
उत्तर:
विपणन प्रबन्ध वस्तुओं एवं सेवाओं की मांग को प्रोत्साहित करके राष्ट्रीय उत्पादन में वृद्धि करता है।
विपणन प्रबन्ध द्वारा राष्ट्रीय उत्पादन में वृद्धि कैसे होती है?
उत्तर:
विपणन प्रबन्ध वस्तुओं एवं सेवाओं की मांग को प्रोत्साहित करके राष्ट्रीय उत्पादन में वृद्धि करता है।
प्रश्न 35.
विपणने प्रबन्ध द्वारा राष्ट्रीय आय में वृद्धि कैसे होती है?
उत्तर:
प्रभावी विपणन व्यवस्था से माल के उत्पादन, विक्रय आदि में वृद्धि होने से सरकार को विभिन्न करों के माध्यम से आय प्राप्त होती है।
विपणने प्रबन्ध द्वारा राष्ट्रीय आय में वृद्धि कैसे होती है?
उत्तर:
प्रभावी विपणन व्यवस्था से माल के उत्पादन, विक्रय आदि में वृद्धि होने से सरकार को विभिन्न करों के माध्यम से आय प्राप्त होती है।
लघु उत्तरीय प्रश्न (SA – I)
प्रश्न 1.
विपणन से क्या आशय है? इसका उद्देश्य बताइये।
उत्तर:
विपणन से आशय ऐसे व्यापक विचार एवं क्रिया क्षेत्र से है जिसमें वस्तुओं एवं सेवाओं के उत्पादन से पूर्व की जाने वाली क्रियाओं से लेकर उनके वितरण और विक्रय के उपरान्त आवश्यक सेवाओं तक को सम्मिलित किया जाता है। इसका उद्देश्य उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करते हुए लाभ कमाना व उनके जीवन स्तर को ऊँचा उठाना है।
विपणन से क्या आशय है? इसका उद्देश्य बताइये।
उत्तर:
विपणन से आशय ऐसे व्यापक विचार एवं क्रिया क्षेत्र से है जिसमें वस्तुओं एवं सेवाओं के उत्पादन से पूर्व की जाने वाली क्रियाओं से लेकर उनके वितरण और विक्रय के उपरान्त आवश्यक सेवाओं तक को सम्मिलित किया जाता है। इसका उद्देश्य उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करते हुए लाभ कमाना व उनके जीवन स्तर को ऊँचा उठाना है।
प्रश्न 2.
फिलिप कोटलर द्वारा विपणन प्रबन्ध को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
“विपणन प्रबन्ध उन कार्यक्रमों का विश्लेषण, नियोजन, क्रियान्वयन तथा नियन्त्रण करना है जो संगठन के उद्देश्य की प्राप्ति के लिये पारस्परिक हितकारी विनिमय एवं सम्बन्धों का सृजन करने, निर्माण करने तथा उन्हें बनाये रखने के लिये बनाये गये हैं।”
फिलिप कोटलर द्वारा विपणन प्रबन्ध को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
“विपणन प्रबन्ध उन कार्यक्रमों का विश्लेषण, नियोजन, क्रियान्वयन तथा नियन्त्रण करना है जो संगठन के उद्देश्य की प्राप्ति के लिये पारस्परिक हितकारी विनिमय एवं सम्बन्धों का सृजन करने, निर्माण करने तथा उन्हें बनाये रखने के लिये बनाये गये हैं।”
प्रश्न 3.
विपणनकर्ता कौन होता है?
उत्तर:
कोई भी व्यक्ति जो विनिमय प्रक्रिया में अधिक सक्रिय भूमिका निभाता है, उसे विपणनकर्ता माना जाता है। सामान्यत: विक्रेता ही विपणनकर्ता होता है लेकिन क्रेता यदि अधिक सक्रिय है तो वह भी विपणनकर्ता माना जाता सकता है।
विपणनकर्ता कौन होता है?
उत्तर:
कोई भी व्यक्ति जो विनिमय प्रक्रिया में अधिक सक्रिय भूमिका निभाता है, उसे विपणनकर्ता माना जाता है। सामान्यत: विक्रेता ही विपणनकर्ता होता है लेकिन क्रेता यदि अधिक सक्रिय है तो वह भी विपणनकर्ता माना जाता सकता है।
प्रश्न 4.
विपणन प्रबन्ध के कार्यों में बाजार विश्लेषण को समझाइये।
उत्तर:
विपणन प्रबन्ध में विपणन कार्यों का प्रारम्भ बाजार विश्लेषण के साथ ही होता है, इसके द्वारा विपणने प्रबन्धक अपने ग्राहकों की आवश्यकता, इच्छा, रुचि आदि का ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। बाजार में वस्तु की मांग एवं पूर्ति का अनुमान भी बाजार विश्लेषण के द्वारा ही सम्भव होता है। इसी के द्वारा ही प्रबन्धक बाजार की विद्यमान स्थिति, ग्राहकों की स्थिति का पूर्ण अध्ययन कर लेते हैं।
विपणन प्रबन्ध के कार्यों में बाजार विश्लेषण को समझाइये।
उत्तर:
विपणन प्रबन्ध में विपणन कार्यों का प्रारम्भ बाजार विश्लेषण के साथ ही होता है, इसके द्वारा विपणने प्रबन्धक अपने ग्राहकों की आवश्यकता, इच्छा, रुचि आदि का ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। बाजार में वस्तु की मांग एवं पूर्ति का अनुमान भी बाजार विश्लेषण के द्वारा ही सम्भव होता है। इसी के द्वारा ही प्रबन्धक बाजार की विद्यमान स्थिति, ग्राहकों की स्थिति का पूर्ण अध्ययन कर लेते हैं।
प्रश्न 5.
“एक विपणन प्रबन्धक द्विमार्गीय संचार की व्यवस्था करता है।” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
संचार कार्य विपणन का एक महत्वपूर्ण कार्य है। विक्रय कला, प्रचार विज्ञान आदि से संस्था विद्यमान एवं भावी ग्राहकों को आवश्यक सन्देश पहुँचाती है जबकि विपणन अनुसन्धान द्वारा ग्राहक वस्तुओं के बारे में अपने सुझाव तथा शिकायतें संस्था तक पहुँचाते हैं अतः एक विपणन प्रबन्धक द्विमार्गीय संचार की व्यवस्था करता है।
“एक विपणन प्रबन्धक द्विमार्गीय संचार की व्यवस्था करता है।” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
संचार कार्य विपणन का एक महत्वपूर्ण कार्य है। विक्रय कला, प्रचार विज्ञान आदि से संस्था विद्यमान एवं भावी ग्राहकों को आवश्यक सन्देश पहुँचाती है जबकि विपणन अनुसन्धान द्वारा ग्राहक वस्तुओं के बारे में अपने सुझाव तथा शिकायतें संस्था तक पहुँचाते हैं अतः एक विपणन प्रबन्धक द्विमार्गीय संचार की व्यवस्था करता है।
प्रश्न 6.
बाजार विभक्तीकरण क्या है? इसके चार महत्व बताइये।
उत्तर:
ग्राहकों की समान प्रकार की विशेषताओं, आवश्यकताओं, इच्छाओं, रुचियों के अनुसार समूहों का बाजारों के अनुसार वर्गीकरण करना ही बाजार विभक्तीकरण है। बाजार विभक्तीकरण के महत्व निम्नलिखित हैं –
बाजार विभक्तीकरण क्या है? इसके चार महत्व बताइये।
उत्तर:
ग्राहकों की समान प्रकार की विशेषताओं, आवश्यकताओं, इच्छाओं, रुचियों के अनुसार समूहों का बाजारों के अनुसार वर्गीकरण करना ही बाजार विभक्तीकरण है। बाजार विभक्तीकरण के महत्व निम्नलिखित हैं –
- सुदृढ़ एवं प्रभावी विपणन कार्यक्रम तैयार करना।
- विपणन के अवसरों की खोज करना।
- उपलब्ध साधनों का सर्वोत्तम उपयोग करना।
- प्रतिस्पर्धा का सामना करने के लिये उपयोगी।
प्रश्न 7.
प्रमापीकरण का क्या अर्थ है? समझाइये।
उत्तर:
प्रमापीकरण से तात्पर्य उत्पादों की उन आधारभूत विशेषताओं को निर्धारित करने से है, जिनके आधार पर उत्पादों को अलग – अलग वर्गों में परिभाषित किया जा सकता है। किसी उत्पाद को अलग – अलग करने से पूर्व उसकी उपयोगिता, गुण – स्तर, आकार एवं आकृति के विषय में प्रमाप निर्धारण करना ही प्रमापीकरण कहलाता है।
प्रमापीकरण का क्या अर्थ है? समझाइये।
उत्तर:
प्रमापीकरण से तात्पर्य उत्पादों की उन आधारभूत विशेषताओं को निर्धारित करने से है, जिनके आधार पर उत्पादों को अलग – अलग वर्गों में परिभाषित किया जा सकता है। किसी उत्पाद को अलग – अलग करने से पूर्व उसकी उपयोगिता, गुण – स्तर, आकार एवं आकृति के विषय में प्रमाप निर्धारण करना ही प्रमापीकरण कहलाता है।
प्रश्न 8.
पैकेजिंग के महत्व को समझाइये।
उत्तर:
पैकेजिंग के द्वारा वस्तुओं के रूप रंग एवं किस्म को सुरक्षा प्रदान की जाती है। इसके द्वारा वस्तु को आकर्षक स्वरूप में प्रस्तुत किया जाता है जिससे लोग उसको खरीदने के लिये प्रेरित हो सकें। पैकेजिंग से विपणन सम्भावनाओं में वृद्धि होती है तथा उत्पादों का वर्गीकरण करने में सहायता मिलती है।
पैकेजिंग के महत्व को समझाइये।
उत्तर:
पैकेजिंग के द्वारा वस्तुओं के रूप रंग एवं किस्म को सुरक्षा प्रदान की जाती है। इसके द्वारा वस्तु को आकर्षक स्वरूप में प्रस्तुत किया जाता है जिससे लोग उसको खरीदने के लिये प्रेरित हो सकें। पैकेजिंग से विपणन सम्भावनाओं में वृद्धि होती है तथा उत्पादों का वर्गीकरण करने में सहायता मिलती है।
प्रश्न 9.
लेबलिंग का क्या महत्व है?
उत्तर:
वस्तुओं के ब्रांड और पैकेजिंग के साथ लेबलिंग का भी विशेष महत्व होता है। लेबलिंग में उत्पाद और उसके निर्माता के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण सूचनायें दी जाती हैं, जैसे – उत्पाद का नाम, गुण, उपयोग की अवधि, वजन यो मात्रा मूल्य, प्रयोग विधि, उत्पाद के निर्माता का नाम, पता आदि का विवरण दिया जाता है।
लेबलिंग का क्या महत्व है?
उत्तर:
वस्तुओं के ब्रांड और पैकेजिंग के साथ लेबलिंग का भी विशेष महत्व होता है। लेबलिंग में उत्पाद और उसके निर्माता के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण सूचनायें दी जाती हैं, जैसे – उत्पाद का नाम, गुण, उपयोग की अवधि, वजन यो मात्रा मूल्य, प्रयोग विधि, उत्पाद के निर्माता का नाम, पता आदि का विवरण दिया जाता है।
प्रश्न 10.
विपणन प्रबन्ध द्वारा संस्था की ख्याति कैसे बढ़ती है?
उत्तर:
जब ग्राहकों को उनकी आवश्यकता के अनुसार न्यूनतम लागत पर अच्छी वस्तुयें प्राप्त हो जाती हैं तो उनको सन्तुष्टि होती है परिणामस्वरूप सन्तुष्ट ग्राहकों की संख्या में वृद्धि होती है और संस्था की ख्याति में वृद्धि होने लगती है। विज्ञापन व विक्रय सम्बर्द्धन योजनायें भी संस्था की ख्याति बढ़ाती हैं।
विपणन प्रबन्ध द्वारा संस्था की ख्याति कैसे बढ़ती है?
उत्तर:
जब ग्राहकों को उनकी आवश्यकता के अनुसार न्यूनतम लागत पर अच्छी वस्तुयें प्राप्त हो जाती हैं तो उनको सन्तुष्टि होती है परिणामस्वरूप सन्तुष्ट ग्राहकों की संख्या में वृद्धि होती है और संस्था की ख्याति में वृद्धि होने लगती है। विज्ञापन व विक्रय सम्बर्द्धन योजनायें भी संस्था की ख्याति बढ़ाती हैं।
प्रश्न 11.
प्रभावकारी विपणन से अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में सफलता कैसे प्राप्त की जाती है?
उत्तर:
प्रभावकारी विपणन द्वारा विदेशी ग्राहकों की इच्छा, आवश्यकता, रीतिरिवाज, प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति आदि के सम्बन्ध में सूचनायें एकत्रित करके उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप वस्तुओं को रंग, रूप, आकार देकर उचित किस्म की वस्तुओं का निर्माण किया जाता है। जिससे अन्र्तराष्ट्रीय व्यापार में सफलता प्राप्त की जा सकती है।
प्रभावकारी विपणन से अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में सफलता कैसे प्राप्त की जाती है?
उत्तर:
प्रभावकारी विपणन द्वारा विदेशी ग्राहकों की इच्छा, आवश्यकता, रीतिरिवाज, प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति आदि के सम्बन्ध में सूचनायें एकत्रित करके उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप वस्तुओं को रंग, रूप, आकार देकर उचित किस्म की वस्तुओं का निर्माण किया जाता है। जिससे अन्र्तराष्ट्रीय व्यापार में सफलता प्राप्त की जा सकती है।
प्रश्न 12.
आप कैसे कह सकते हैं कि विपणन प्रबन्ध द्वारा ग्राहकों के द्वार तक वस्तु पहुँचाने में सहायता मिलती है?
उत्तर:
प्रभावी विपणन प्रबन्ध द्वारा किये गये बाजार विभक्तीकरण के निर्धारित कार्यक्रम द्वारा आज सभी वस्तुयें घर द्वार तक पहुँचने लगी हैं। आज शहरों में ही नहीं, अब तो ज्यादातर गाँवों तथा कस्बों में भी आवश्यकता की अधिकांश वस्तुएँ उपलब्ध होने लगी हैं। प्रत्येक उपभोक्ता अपने घर के आस – पास ही आवश्यकता की लगभग सभी वस्तुयें प्राप्त कर सकता है।
आप कैसे कह सकते हैं कि विपणन प्रबन्ध द्वारा ग्राहकों के द्वार तक वस्तु पहुँचाने में सहायता मिलती है?
उत्तर:
प्रभावी विपणन प्रबन्ध द्वारा किये गये बाजार विभक्तीकरण के निर्धारित कार्यक्रम द्वारा आज सभी वस्तुयें घर द्वार तक पहुँचने लगी हैं। आज शहरों में ही नहीं, अब तो ज्यादातर गाँवों तथा कस्बों में भी आवश्यकता की अधिकांश वस्तुएँ उपलब्ध होने लगी हैं। प्रत्येक उपभोक्ता अपने घर के आस – पास ही आवश्यकता की लगभग सभी वस्तुयें प्राप्त कर सकता है।
प्रश्न 13.
‘विपणन द्वारा समाज में रोजगार के अवसरों की प्राप्ति होती है।’ कैसे?
उत्तर:
विपणन में वितरण, विज्ञापन, विक्रय सम्वर्द्धन, पैकिंग, बाजार अनुसंधान आदि विभिन्न प्रकार की क्रियाओं द्वारा रोजगार की प्राप्ति होती है। इसके अतिरिक्त विपणन कई अप्रत्यक्ष कार्यों, जैसे – यातायात, सन्देशवाहन, बैंकिंग, बीमा, भण्डारण, पूंजी बाजार आदि को प्रोत्साहित करके भी रोजगार के अवसरों की प्राप्ति होती है।
‘विपणन द्वारा समाज में रोजगार के अवसरों की प्राप्ति होती है।’ कैसे?
उत्तर:
विपणन में वितरण, विज्ञापन, विक्रय सम्वर्द्धन, पैकिंग, बाजार अनुसंधान आदि विभिन्न प्रकार की क्रियाओं द्वारा रोजगार की प्राप्ति होती है। इसके अतिरिक्त विपणन कई अप्रत्यक्ष कार्यों, जैसे – यातायात, सन्देशवाहन, बैंकिंग, बीमा, भण्डारण, पूंजी बाजार आदि को प्रोत्साहित करके भी रोजगार के अवसरों की प्राप्ति होती है।
प्रश्न 14.
विपणन प्रबन्ध विदेशी मुद्रा के अर्जन में किस प्रकार सहायक होता है? बताइये।
उत्तर:
विपणन प्रबन्ध अन्तर्राष्ट्रीय बाजार अनुसन्धान करके विदेशी बाजारों में फर्म को प्रवेश दिलाता है। साथ ही लागत एवं किस्म में सुधार करके निर्यात व्यापार में वृद्धि करता है। परिणामस्वरूप विदेशी मुद्रा की प्राप्ति होती है। जो किसी राष्ट्र की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिये आवश्यक है।
विपणन प्रबन्ध विदेशी मुद्रा के अर्जन में किस प्रकार सहायक होता है? बताइये।
उत्तर:
विपणन प्रबन्ध अन्तर्राष्ट्रीय बाजार अनुसन्धान करके विदेशी बाजारों में फर्म को प्रवेश दिलाता है। साथ ही लागत एवं किस्म में सुधार करके निर्यात व्यापार में वृद्धि करता है। परिणामस्वरूप विदेशी मुद्रा की प्राप्ति होती है। जो किसी राष्ट्र की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिये आवश्यक है।
लघु उत्तरीय प्रश्न (SA – II)
प्रश्न 1.
विपणन की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
विपणन की विशेषताओं को निम्न बिन्दुओं में व्यक्त किया जा सकता है –
1. आवश्यकता एवं अपेक्षाएँ – ग्राहकों की आवश्यकताएँ तथा अपेक्षाएँ ही विपणन का मुख्य केन्द्र होते हैं। विपणन की सभी क्रियाएँ ग्राहकों की आवश्यकताओं एवं अपेक्षाओं को सन्तुष्ट करने के लिए ही की जाती हैं।
2. ग्राहक के लिए मूल्य – ग्राहक को जब किसी उत्पाद के प्रयोग से सन्तुष्टि प्राप्त होती है। वह तभी उस वस्तु का मूल्य देने के लिए तत्पर होता है तथा वह उससे प्राप्त होने वाली सन्तुष्टि के आधार पर ही उस वस्तु का मूल्य देता है।
3. विनिमय प्रणाली – विनिमय प्रणाली में दो पक्षों का होना जरूरी होता है। विनिमय प्रणाली के अन्तर्गत विपणन में मुद्रा के लिए सेवा एवं उत्पाद का विनिमय किया जाता है। मुद्रा विनिमय में ग्राहक वस्तु या सेवा के लिए मुद्रा (धन/२) देता है। ग्राहक एवं निर्माता के बीच विनिमय परोक्ष या अपरोक्ष रूप में भी हो सकता है।
4. उत्पाद सृजन – विपणनकर्ता बाजार के लिए उत्पाद का निर्माण करता है, बाजार उत्पाद से अभिप्राय किसी सेवा अथवा वस्तु से परिचित कराने से है जिसका एक निर्धारित मूल्य, रंग, डिजाइन, गुणवत्ता तथा आकार है और वह निश्चित स्थानों पर उपलब्ध है।
विपणन की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
विपणन की विशेषताओं को निम्न बिन्दुओं में व्यक्त किया जा सकता है –
1. आवश्यकता एवं अपेक्षाएँ – ग्राहकों की आवश्यकताएँ तथा अपेक्षाएँ ही विपणन का मुख्य केन्द्र होते हैं। विपणन की सभी क्रियाएँ ग्राहकों की आवश्यकताओं एवं अपेक्षाओं को सन्तुष्ट करने के लिए ही की जाती हैं।
2. ग्राहक के लिए मूल्य – ग्राहक को जब किसी उत्पाद के प्रयोग से सन्तुष्टि प्राप्त होती है। वह तभी उस वस्तु का मूल्य देने के लिए तत्पर होता है तथा वह उससे प्राप्त होने वाली सन्तुष्टि के आधार पर ही उस वस्तु का मूल्य देता है।
3. विनिमय प्रणाली – विनिमय प्रणाली में दो पक्षों का होना जरूरी होता है। विनिमय प्रणाली के अन्तर्गत विपणन में मुद्रा के लिए सेवा एवं उत्पाद का विनिमय किया जाता है। मुद्रा विनिमय में ग्राहक वस्तु या सेवा के लिए मुद्रा (धन/२) देता है। ग्राहक एवं निर्माता के बीच विनिमय परोक्ष या अपरोक्ष रूप में भी हो सकता है।
4. उत्पाद सृजन – विपणनकर्ता बाजार के लिए उत्पाद का निर्माण करता है, बाजार उत्पाद से अभिप्राय किसी सेवा अथवा वस्तु से परिचित कराने से है जिसका एक निर्धारित मूल्य, रंग, डिजाइन, गुणवत्ता तथा आकार है और वह निश्चित स्थानों पर उपलब्ध है।
प्रश्न 2.
विपणन किसका किया जा सकता है?
उत्तर:
उत्पाद सन्तुष्टि का स्रोत अर्थात् उपयोगिता का समूह होता है जिसे मानव की इच्छाओं की पूर्ति हेतु उपयोग में लाया जाता है। इसमें केवल देखने एवं छूने योग्य भौतिक पदार्थों को ही सम्मिलित नहीं किया जा सकता है बल्कि अन्य चीजें, जैसे – सीमाएं, विचार, स्थान आदि जिन्हें सम्भावित ग्राहकों को बेचा जा सकता है उन्हें भी सम्मिलित किया जाता है। अतः यह कहा जा सकता है कि किसी भी चीज का विपणन किया जा सकता है। लेकिन उसका दूसरों के लिए कुछ मूल्य होना चाहिए। यह एक उत्पाद हो सकता है या सेवा या एक व्यक्ति या स्थान, विचार, घटना, संगठन, अनुभव या सम्पत्ति कुछ भी हो सकता है।
विपणन किसका किया जा सकता है?
उत्तर:
उत्पाद सन्तुष्टि का स्रोत अर्थात् उपयोगिता का समूह होता है जिसे मानव की इच्छाओं की पूर्ति हेतु उपयोग में लाया जाता है। इसमें केवल देखने एवं छूने योग्य भौतिक पदार्थों को ही सम्मिलित नहीं किया जा सकता है बल्कि अन्य चीजें, जैसे – सीमाएं, विचार, स्थान आदि जिन्हें सम्भावित ग्राहकों को बेचा जा सकता है उन्हें भी सम्मिलित किया जाता है। अतः यह कहा जा सकता है कि किसी भी चीज का विपणन किया जा सकता है। लेकिन उसका दूसरों के लिए कुछ मूल्य होना चाहिए। यह एक उत्पाद हो सकता है या सेवा या एक व्यक्ति या स्थान, विचार, घटना, संगठन, अनुभव या सम्पत्ति कुछ भी हो सकता है।
प्रश्न 3.
विपणन प्रबन्ध को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
विपणन प्रबन्ध:
विपणन प्रबन्ध का अर्थ विपणन कार्य का प्रबन्ध है। अन्य शब्दों में, विपणन प्रबन्ध से अभिप्राय उन क्रियाओं के नियोजन संगठन, निदेशन एवं नियन्त्रण से है जो उत्पादक एवं उपभोक्ता के मध्य वस्तु एवं सेवाओं के विनिमय को सुगम बनाते हैं। सामान्य रूप से विपणन प्रबन्ध का सम्बन्ध माँग के निर्माण से है। यह बाजार में विपणन से इच्छित परिणाम प्राप्त करने पर केन्द्रित रहता है।
विपणन प्रबन्ध को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
विपणन प्रबन्ध:
विपणन प्रबन्ध का अर्थ विपणन कार्य का प्रबन्ध है। अन्य शब्दों में, विपणन प्रबन्ध से अभिप्राय उन क्रियाओं के नियोजन संगठन, निदेशन एवं नियन्त्रण से है जो उत्पादक एवं उपभोक्ता के मध्य वस्तु एवं सेवाओं के विनिमय को सुगम बनाते हैं। सामान्य रूप से विपणन प्रबन्ध का सम्बन्ध माँग के निर्माण से है। यह बाजार में विपणन से इच्छित परिणाम प्राप्त करने पर केन्द्रित रहता है।
- स्टिफ एवं कण्डिफ के अनुसार – “विपणन प्रबन्ध सम्पूर्ण प्रबन्ध का वह कार्यकारी क्षेत्र है, जो उपक्रम के विपणन उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु उद्देश्यपूर्ण क्रियाओं के संचालन से सम्बन्धित है।”
- प्रो. जॉनसन के अनुसार – “विपणन प्रबन्ध व्यावसायिक क्रिया का वह क्षेत्र है जिसमें सम्पूर्ण विक्रय अभियान के सभी चरणों के सम्बन्ध में योजनाओं का निर्माण एवं क्रियान्वयन सम्मिलित है।”
प्रश्न 4.
विपणन अवधारणा के प्रमुख स्तम्भों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
विपणन अवधारणा के निम्नलिखित स्तम्भ हैं –
विपणन अवधारणा के प्रमुख स्तम्भों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
विपणन अवधारणा के निम्नलिखित स्तम्भ हैं –
- बाजार अथवा ग्राहकों का विपणन के लक्ष्यों के अनुरूप चयन करना।
- लक्षित बाजार के ग्राहकों की इच्छा एवं आवश्यकताओं को समझना।
- लक्षित बाजार की आवश्यकताओं के अनुरूप उत्पाद एवं सेवाओं का विकास करना।
- लक्षित बाजार की आवश्यकताओं को अपने प्रतियोगियों की अपेक्षा अधिक अच्छी प्रकार से पूरा करना।
- उपरोक्त सभी कार्य करते हुए संगठन के लाभ को बनाये रखना तथा उसमें वृद्धि करना।
प्रश्न 5.
उत्पादों के विपणन में लेबलिंग के कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
लेबलिंग के कार्य:
1. उत्पाद का विवरण एवं विषयवस्तु – लेबलिंग की एक महत्वपूर्ण कार्य उत्पाद की उपयोगिता, उपयोग करने में सावधानियाँ तथा इसके घटकों का वर्णन करना होता है।
2. उत्पाद अथवा ब्राण्ड की पहचान करना – लेबलों पर निर्माता का नाम, पता, पैकिंग के समय वजन, उत्पादन तिथि, अधिकतम खुदरा मूल्य एवं बैच संख्या से सम्बन्धित सूचनाएँ दी जाती हैं। इससे उत्पाद की पहचान बनती है।
3. उत्पादों का श्रेणीकरण – लेबलिंग के माध्यम से उत्पादों को विभिन्न श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है। जिससे विपणनकर्ता आसानी से उत्पाद को गुणवत्ता के आधार पर वर्गीकृत कर सकते हैं।
4. उत्पाद के प्रवर्तन में सहायता करना – एक भली प्रकार बनाया गया लेबल क्रेताओं को ध्यानाकर्षित करता है। इसके कारण भी लोग वस्तु का क्रय करते हैं। अतः लेबलिंग से उत्पाद का प्रवर्तन होता है।
5. कानून सम्मत जानकारी देना – लेबलिंग का एक और महत्वपूर्ण कार्य कानूनी रूप से अनिवार्य सूचनाएँ देना है। जैसे – सिगरेट की डिब्बी पर वैधानिक चेतावनी लिखी होती है – “सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।”
उत्पादों के विपणन में लेबलिंग के कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
लेबलिंग के कार्य:
1. उत्पाद का विवरण एवं विषयवस्तु – लेबलिंग की एक महत्वपूर्ण कार्य उत्पाद की उपयोगिता, उपयोग करने में सावधानियाँ तथा इसके घटकों का वर्णन करना होता है।
2. उत्पाद अथवा ब्राण्ड की पहचान करना – लेबलों पर निर्माता का नाम, पता, पैकिंग के समय वजन, उत्पादन तिथि, अधिकतम खुदरा मूल्य एवं बैच संख्या से सम्बन्धित सूचनाएँ दी जाती हैं। इससे उत्पाद की पहचान बनती है।
3. उत्पादों का श्रेणीकरण – लेबलिंग के माध्यम से उत्पादों को विभिन्न श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है। जिससे विपणनकर्ता आसानी से उत्पाद को गुणवत्ता के आधार पर वर्गीकृत कर सकते हैं।
4. उत्पाद के प्रवर्तन में सहायता करना – एक भली प्रकार बनाया गया लेबल क्रेताओं को ध्यानाकर्षित करता है। इसके कारण भी लोग वस्तु का क्रय करते हैं। अतः लेबलिंग से उत्पाद का प्रवर्तन होता है।
5. कानून सम्मत जानकारी देना – लेबलिंग का एक और महत्वपूर्ण कार्य कानूनी रूप से अनिवार्य सूचनाएँ देना है। जैसे – सिगरेट की डिब्बी पर वैधानिक चेतावनी लिखी होती है – “सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।”
प्रश्न 6.
भण्डारण एवं परिवहन पर टिप्पणी लिखिए?
उत्तर:
भण्डारण – उत्पादक द्वारा प्रत्येक उत्पाद माँग उत्पन्न होने की आशा से ही तैयार किया जाता है। तैयार माल का भण्डार गृहों में भण्डारण किया जाता है ताकि उन्हें पानी, धूप, दीमक, चूहे आदि से बचाया जा सके। आधे गुनिक व्यापारिक परिवेश में सभी निर्माताओं, उत्पादनकर्ताओं, व्यापारियों, मध्यस्थों, निर्यातकों तथा आयातकों द्वारा अपने माल का भण्डारण ग्राहकों की माँग को समयानुसार पूरा करने के लिए रखना होता है।
परिवहन – आधुनिक व्यावसायिक समयानुसार सभी व्यवसायों द्वारा वृहत् पैमाने पर उत्पादन किया जाता है जिससे देश के समस्त उपभोक्ताओं की माँग को पूरा किया जा सके। इसके लिए उत्पादक को अपना उत्पाद उपभोग स्थल तक पहुँचाना पड़ता है जिसके लिए परिवहन के भौतिक साधनों का सहारा लेना होता है जिनकी सहायता द्वारा सेवाओं तथा उत्पादों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक परिवहन द्वारा पहुँचाया जाता है।
भण्डारण एवं परिवहन पर टिप्पणी लिखिए?
उत्तर:
भण्डारण – उत्पादक द्वारा प्रत्येक उत्पाद माँग उत्पन्न होने की आशा से ही तैयार किया जाता है। तैयार माल का भण्डार गृहों में भण्डारण किया जाता है ताकि उन्हें पानी, धूप, दीमक, चूहे आदि से बचाया जा सके। आधे गुनिक व्यापारिक परिवेश में सभी निर्माताओं, उत्पादनकर्ताओं, व्यापारियों, मध्यस्थों, निर्यातकों तथा आयातकों द्वारा अपने माल का भण्डारण ग्राहकों की माँग को समयानुसार पूरा करने के लिए रखना होता है।
परिवहन – आधुनिक व्यावसायिक समयानुसार सभी व्यवसायों द्वारा वृहत् पैमाने पर उत्पादन किया जाता है जिससे देश के समस्त उपभोक्ताओं की माँग को पूरा किया जा सके। इसके लिए उत्पादक को अपना उत्पाद उपभोग स्थल तक पहुँचाना पड़ता है जिसके लिए परिवहन के भौतिक साधनों का सहारा लेना होता है जिनकी सहायता द्वारा सेवाओं तथा उत्पादों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक परिवहन द्वारा पहुँचाया जाता है।
प्रश्न 7.
एक व्यावसायिक संगठन एवं अर्थव्यवस्था के विकास में विपणन की भूमिका को निरूपित कीजिए।
उत्तर:
व्यावसायिक संगठन के विकास में भूमिका – आधुनिक व्यवसाय व्यवस्था में विपणन की भूमिका व्यवसाय के उद्देश्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। इस अवधारणा का मानना है कि ग्राहक बाजार का राजा होता है। अतः व्यवसाय की समग्र कार्यविधियाँ ग्राहकोन्मुखी होनी चाहिए। ग्राहक सन्तुष्टि सभी व्यवसायों के लिए महत्वपूर्ण होती है क्योंकि इससे व्यावसायिक संगठन प्रगति के पथ पर अग्रसर होता है।
अर्थव्यवस्था के विकास में भूमिका – अर्थव्यवस्था के विकास में भी विपणन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। अर्थव्यवस्था के विकास में विपणन द्वारा उत्पादक बेहतर प्रमापों की वस्तुएँ एवं सेवाएँ देने में सक्षम होता है। किसी देश की अर्थव्यवस्था उस देश के लोगों के जीवन – स्तर तथा प्रतिव्यक्ति आय पर निर्भर होती है। विपणन द्वारा उत्पादक अपने उत्पादन में तथा विक्रय में वृद्धि कर सकता है जिसके परिणामस्वरूप घरेलू उत्पाद तथा व्यक्तियों की आय में वृद्धि परिलक्षित होती है और देश की अर्थव्यवस्था विकसित होती है।
एक व्यावसायिक संगठन एवं अर्थव्यवस्था के विकास में विपणन की भूमिका को निरूपित कीजिए।
उत्तर:
व्यावसायिक संगठन के विकास में भूमिका – आधुनिक व्यवसाय व्यवस्था में विपणन की भूमिका व्यवसाय के उद्देश्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। इस अवधारणा का मानना है कि ग्राहक बाजार का राजा होता है। अतः व्यवसाय की समग्र कार्यविधियाँ ग्राहकोन्मुखी होनी चाहिए। ग्राहक सन्तुष्टि सभी व्यवसायों के लिए महत्वपूर्ण होती है क्योंकि इससे व्यावसायिक संगठन प्रगति के पथ पर अग्रसर होता है।
अर्थव्यवस्था के विकास में भूमिका – अर्थव्यवस्था के विकास में भी विपणन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। अर्थव्यवस्था के विकास में विपणन द्वारा उत्पादक बेहतर प्रमापों की वस्तुएँ एवं सेवाएँ देने में सक्षम होता है। किसी देश की अर्थव्यवस्था उस देश के लोगों के जीवन – स्तर तथा प्रतिव्यक्ति आय पर निर्भर होती है। विपणन द्वारा उत्पादक अपने उत्पादन में तथा विक्रय में वृद्धि कर सकता है जिसके परिणामस्वरूप घरेलू उत्पाद तथा व्यक्तियों की आय में वृद्धि परिलक्षित होती है और देश की अर्थव्यवस्था विकसित होती है।
विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
विपणन से क्या आशय है? यह विक्रय से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर:
विपणन – विपणन एक ऐसी सामाजिक प्रक्रिया है जिसमें लोग वस्तु एवं सेवाओं को मुद्रा अथवा अन्य मूल्यवान वस्तु में विनिमय करते हैं। इसके अन्तर्गत उत्पादक रूपांकन, व्यापार, पैकेजिंग, भण्डारण, परिवहन, ब्रांडिंग, विक्रय, विज्ञापन, मूल्य निर्धारण शामिल होता है।
विपणन एवं विक्रय – सामान्यतः विपणन एवं विक्रय को व्यक्तियों द्वारा एक ही अर्थ में समझा एवं प्रयोग किया जाता है लेकिन ये दोनों ही अलग – अलग अवधारणाएँ हैं। विपणन क्रियाओं में विक्रय सिर्फ उसका एक भाग है जबकि विपणन एक विस्तृत एवं व्यापक शब्द है, इसमें बहुत – सी क्रियाएँ नियोजित होती हैं। विक्रय एवं विपणन के अन्तर या भिन्नता को निम्न आधारों पर बताया जा सकता है –
विपणन से क्या आशय है? यह विक्रय से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर:
विपणन – विपणन एक ऐसी सामाजिक प्रक्रिया है जिसमें लोग वस्तु एवं सेवाओं को मुद्रा अथवा अन्य मूल्यवान वस्तु में विनिमय करते हैं। इसके अन्तर्गत उत्पादक रूपांकन, व्यापार, पैकेजिंग, भण्डारण, परिवहन, ब्रांडिंग, विक्रय, विज्ञापन, मूल्य निर्धारण शामिल होता है।
विपणन एवं विक्रय – सामान्यतः विपणन एवं विक्रय को व्यक्तियों द्वारा एक ही अर्थ में समझा एवं प्रयोग किया जाता है लेकिन ये दोनों ही अलग – अलग अवधारणाएँ हैं। विपणन क्रियाओं में विक्रय सिर्फ उसका एक भाग है जबकि विपणन एक विस्तृत एवं व्यापक शब्द है, इसमें बहुत – सी क्रियाएँ नियोजित होती हैं। विक्रय एवं विपणन के अन्तर या भिन्नता को निम्न आधारों पर बताया जा सकता है –
- केन्द्रबिन्दु
- कार्यक्षेत्र
- दृष्टिकोण
- उद्देश्य
- प्रयास
- माँग
- आरम्भ और अन्त
प्रश्न 2.
उत्पादों में अन्तर करने में ब्रांडिंग किस प्रकार से सहायक होती है? क्या यह वस्तु एवं सेवाओं के विपणन में भी सहायता करती है? समझाइए।
उत्तर:
किसी उत्पाद को नाम, चिन्ह या कोई प्रतीक प्रदान करने की प्रक्रिया ब्रांडिंग कहलाती है। उत्पाद के सम्बन्ध में किसी भी विपणनकर्ता को जो सर्वाधिक महत्वपूर्ण निर्णय लेना होता है वह ब्रांडिंग के सम्बन्ध में ही होता है क्योंकि यदि उत्पादों को उनक लाक्षणिक नाम से बेचा जाता है तो विपणनकर्ताओं को अपने प्रतियोगियों के उत्पादों से अन्तर करना कठिन हो जाता है। इसलिए अधिकांश विपणनकर्ता अपने उत्पादों को कोई खास नाम दे देते हैं जिससे कि उनके उत्पादों को अलग से पहचाना जा सके तथा प्रतियोगी उत्पादों से भी उनका अन्तर किया जा सके, इसी को ब्रांडिंग कहते हैं। ब्रांडिंग के अन्तर्गत नाम, चिन्ह, प्रतीक आदि के द्वारा अपने उत्पाद को पहचान प्रदान की जाती है इससे वह अन्य उत्पादों से भिन्न दिखाई देता है।
किसी उत्पाद का ब्राण्ड निर्धारण उसकी पहचान के रूप में ज्यादा प्रभावी होता है। ब्राण्ड द्वारा उत्पादक अपने उपभोक्ताओं को उत्पाद की गुणवत्ता तथा उससे प्राप्त होने वाली सन्तुष्टि के लिए वचनबद्ध होता है। ब्राण्ड के द्वारा किसी कम्पनी के उत्पादों को आसानी से पहचाना जा सकता है। जब उपभोक्ताओं को किसी विशेष ब्राण्ड के प्रति विश्वास हो जाता है और उत्पादक को प्रसिद्धि प्राप्त हो जाती है तो वह ब्राण्ड द्वारा बाजार के अधिक भाग पर कब्जा करने में भी सफल हो सकता है तथा उपभोक्ताओं पर भी नियन्त्रण रख सकता है। इस प्रकार विपणनकर्ता अपनी बिक्री को बढ़ा सकता है। अतः हम कह सकते हैं कि ब्रांडिंग से वस्तु एवं सेवाओं के विपणन में सहायता मिलती है।
यद्यपि ब्रांडिंग के कारण पैकेजिंग, लेबलिंग, कानूनी संरक्षण आदि की लागत से वस्तु की लागत में वृद्धि होती है फिर भी इससे विक्रेता व उपभोक्ता दोनों को अनेक लाभ हैंग्राहकों के लाभ हैं।
1. उत्पाद की पहचान में सहायता – ब्रांडिंग के कारण उपभोक्ता उत्पाद की अलग – अलग पहचान आसानी से कर लेता है और उसे हर बार जाँच करने की आवश्यकता नहीं होती।
2. गुणवत्ता सुनिश्चित करना – ब्रांडिंग, उत्पाद की विशेष स्तर की गुणवत्ता को सुनिश्चित करता है। यदि कभी ग्राहक को गुणवत्ता में अन्तर मिलता है तो वह उत्पादक या विक्रेता को इसकी शिकायत कर सकता है जिससे ग्राहकों की सन्तुष्टि में वृद्धि होती है।
3. सामाजिक सम्मान का प्रतीक – कुछ ब्रांड अपनी गुणवत्ता के कारण सम्मान के प्रतीक बन जाते हैं। इन ब्राण्डों का प्रयोग करने में उपभोक्ता गौरव का अनुभव करते हैं तथा इससे उपभोक्ताओं की सन्तुष्टि के स्तर में वृद्धि होती है।
विक्रेतार्ओं को लाभ:
वस्तु व सेवाओं के विपणनकर्ताओं को ब्रांडिंग से निम्नांकित लाभ प्राप्त होते हैं –
1. उत्पाद की पहचान में सहायक – विपणनकर्ता ब्राण्ड निर्धारित करके बाजार में प्रतियोगियों से अपने उत्पाद की अलग पहचान बना सकता है।
2. सही मूल्य – ब्राण्ड नाम निर्धारित होने से प्रतियोगियों के उत्पाद की तुलना में अपने उत्पाद का सही मूल्य निर्धारित करके उत्पादक उपभोक्ताओं से उचित मूल्य प्राप्त कर सकता है।
3. नये उत्पाद से परिचित कराना – व्यवसाय द्वारा अपने नाम को ब्राण्ड के रूप में निर्धारित करने से उपभोक्ताओं को नये उत्पाद से परिचित कराने में आसानी होती है।
4. विज्ञापन एवं प्रदर्शन कार्यक्रमों में सहायक – ब्रांड, फर्म को अपने विज्ञापन एवं प्रदर्शन कार्यक्रमों में सहायता प्रदान करता है। ब्राण्ड नाम के बिना विज्ञापनकर्ता उत्पाद की जानकारी तो दे सकता है लेकिन अपने उत्पाद की बिक्री के लिए आश्वस्त नहीं हो सकता है।
उत्पादों में अन्तर करने में ब्रांडिंग किस प्रकार से सहायक होती है? क्या यह वस्तु एवं सेवाओं के विपणन में भी सहायता करती है? समझाइए।
उत्तर:
किसी उत्पाद को नाम, चिन्ह या कोई प्रतीक प्रदान करने की प्रक्रिया ब्रांडिंग कहलाती है। उत्पाद के सम्बन्ध में किसी भी विपणनकर्ता को जो सर्वाधिक महत्वपूर्ण निर्णय लेना होता है वह ब्रांडिंग के सम्बन्ध में ही होता है क्योंकि यदि उत्पादों को उनक लाक्षणिक नाम से बेचा जाता है तो विपणनकर्ताओं को अपने प्रतियोगियों के उत्पादों से अन्तर करना कठिन हो जाता है। इसलिए अधिकांश विपणनकर्ता अपने उत्पादों को कोई खास नाम दे देते हैं जिससे कि उनके उत्पादों को अलग से पहचाना जा सके तथा प्रतियोगी उत्पादों से भी उनका अन्तर किया जा सके, इसी को ब्रांडिंग कहते हैं। ब्रांडिंग के अन्तर्गत नाम, चिन्ह, प्रतीक आदि के द्वारा अपने उत्पाद को पहचान प्रदान की जाती है इससे वह अन्य उत्पादों से भिन्न दिखाई देता है।
किसी उत्पाद का ब्राण्ड निर्धारण उसकी पहचान के रूप में ज्यादा प्रभावी होता है। ब्राण्ड द्वारा उत्पादक अपने उपभोक्ताओं को उत्पाद की गुणवत्ता तथा उससे प्राप्त होने वाली सन्तुष्टि के लिए वचनबद्ध होता है। ब्राण्ड के द्वारा किसी कम्पनी के उत्पादों को आसानी से पहचाना जा सकता है। जब उपभोक्ताओं को किसी विशेष ब्राण्ड के प्रति विश्वास हो जाता है और उत्पादक को प्रसिद्धि प्राप्त हो जाती है तो वह ब्राण्ड द्वारा बाजार के अधिक भाग पर कब्जा करने में भी सफल हो सकता है तथा उपभोक्ताओं पर भी नियन्त्रण रख सकता है। इस प्रकार विपणनकर्ता अपनी बिक्री को बढ़ा सकता है। अतः हम कह सकते हैं कि ब्रांडिंग से वस्तु एवं सेवाओं के विपणन में सहायता मिलती है।
यद्यपि ब्रांडिंग के कारण पैकेजिंग, लेबलिंग, कानूनी संरक्षण आदि की लागत से वस्तु की लागत में वृद्धि होती है फिर भी इससे विक्रेता व उपभोक्ता दोनों को अनेक लाभ हैंग्राहकों के लाभ हैं।
1. उत्पाद की पहचान में सहायता – ब्रांडिंग के कारण उपभोक्ता उत्पाद की अलग – अलग पहचान आसानी से कर लेता है और उसे हर बार जाँच करने की आवश्यकता नहीं होती।
2. गुणवत्ता सुनिश्चित करना – ब्रांडिंग, उत्पाद की विशेष स्तर की गुणवत्ता को सुनिश्चित करता है। यदि कभी ग्राहक को गुणवत्ता में अन्तर मिलता है तो वह उत्पादक या विक्रेता को इसकी शिकायत कर सकता है जिससे ग्राहकों की सन्तुष्टि में वृद्धि होती है।
3. सामाजिक सम्मान का प्रतीक – कुछ ब्रांड अपनी गुणवत्ता के कारण सम्मान के प्रतीक बन जाते हैं। इन ब्राण्डों का प्रयोग करने में उपभोक्ता गौरव का अनुभव करते हैं तथा इससे उपभोक्ताओं की सन्तुष्टि के स्तर में वृद्धि होती है।
विक्रेतार्ओं को लाभ:
वस्तु व सेवाओं के विपणनकर्ताओं को ब्रांडिंग से निम्नांकित लाभ प्राप्त होते हैं –
1. उत्पाद की पहचान में सहायक – विपणनकर्ता ब्राण्ड निर्धारित करके बाजार में प्रतियोगियों से अपने उत्पाद की अलग पहचान बना सकता है।
2. सही मूल्य – ब्राण्ड नाम निर्धारित होने से प्रतियोगियों के उत्पाद की तुलना में अपने उत्पाद का सही मूल्य निर्धारित करके उत्पादक उपभोक्ताओं से उचित मूल्य प्राप्त कर सकता है।
3. नये उत्पाद से परिचित कराना – व्यवसाय द्वारा अपने नाम को ब्राण्ड के रूप में निर्धारित करने से उपभोक्ताओं को नये उत्पाद से परिचित कराने में आसानी होती है।
4. विज्ञापन एवं प्रदर्शन कार्यक्रमों में सहायक – ब्रांड, फर्म को अपने विज्ञापन एवं प्रदर्शन कार्यक्रमों में सहायता प्रदान करता है। ब्राण्ड नाम के बिना विज्ञापनकर्ता उत्पाद की जानकारी तो दे सकता है लेकिन अपने उत्पाद की बिक्री के लिए आश्वस्त नहीं हो सकता है।
प्रश्न 3.
विपणन प्रबन्ध का व्यवसायियों के लिये क्या महत्व है? विस्तार से समझाइये।
अथवा
उपक्रमों के लिये विपणन प्रबन्ध की उपयोगिता को समझाइये।
उत्तर:
व्यवसायियों/उपक्रमों के लिये विपणन प्रबन्ध का महत्व:
वर्तमान में प्रतिस्पर्धा के युग में व्यवसाय का अस्तित्व विकास एवं सफलता कुशल विपणन व्यवस्था पर निर्भर करता है। फर्म में विपणन के महत्व को निम्न शीषकों द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है –
1. प्रतिस्पर्धा का सामना – आज बढ़ते हुए वैश्वीकरण के कारण विभिन्न व्यवसायी संस्थाओं में आपस में प्रतिस्पर्धायें निरन्तर बढ़ती जा रही हैं लेकिन आधुनिक प्रतिस्पर्धात्मक वातावरण में विपणन कार्यों के द्वारा फर्मे अपने अस्तित्व की रक्षा कर सकती हैं। कोई भी संस्था या व्यवसाय प्रभावकारी विपणन समूह रचना निर्धारित करके व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा का आसानी से मुकाबला कर सकता है।
2. नियोजन का आधार – विपणन प्रबन्ध बाजार एवं उपभोक्ता से जुड़ी हुई प्रणाली होने के कारण व्यवसायियों को ग्राहकों की आवश्यकताओं, इच्छाओं, रुचियों आदि का समुचित ज्ञान हो जाता है जिससे विभिन्न योजनायें बनाने में सरलता हो जाती है। विभिन्न विपणन सूचनाओं, बाजार माँग, प्रतिस्पर्धा, फैशन, ग्राहक की रुचि, क्रये शक्ति आदि के आधार पर ही कम्पनी योजनाओं को तैयार करती है।
3. विक्रय में वृद्धि – विपणन प्रबन्ध के द्वारा बाजार एवं उपभोक्ता का विश्लेषण किया जाता है। जिससे ग्राहकों की बदलती हुई रुचियों, आवश्यकताओं व फैशन का ज्ञान प्रबन्धकों को हो जाता है व उन्हीं के अनुरूप वस्तुएँ उत्पादित की जाती हैं। फलस्वरूप माल के विक्रय में आसानी हो जाती है तथा बिक्री में भी वृद्धि होती है।
4. न्यूनतम लागत पर वितरण – जब व्यवसासियों द्वारा विपणन प्रक्रिया के अन्तर्गत ग्राहकों की आवश्यकताओं, इच्छाओं एवं रुचियों के अनुरूप निश्चित योजनानुसार उत्पादित वस्तुओं का वितरण किया जाता है तो निश्चित ही लागतें न्यूनतम होती हैं।
5. लाभों में वृद्धि – प्रभावशाली विपणन व्यवसायिके लाभ को बढ़ाने में सहयोग प्रदान करता है। माल की मांग बढ़ने पर क्रय लागत पर अधिक उत्पादन करके मांग की पूर्ति की जाती है तो लाभों में निश्चित ही वृद्धि होती है।
6. मध्यस्थों की प्राप्ति में सहायक – प्रभावशाली विपणन व्यवस्था के माध्यम से व्यवसासियों को मध्यस्थों, एजेन्ट, थोक व्यापारी, फुटकर व्यापारी आदि को प्राप्त करने में सरलता होती है। मध्यस्थ उसी उत्पादक का माल बेचते हैं जिनकी विपणन व्यवस्था ग्राहक प्रधान होती है।
7. ख्याति का निर्माण – जब ग्राहक को उनकी आवश्यकता के अनुसार न्यूनतम लागत पर अच्छी वस्तुएँ प्राप्त होती हैं तो उनको सन्तुष्टि प्राप्त होती है। इससे बाजार में सन्तुष्ट ग्राहकों की संख्या में निरन्तर वृद्धि होने लगती है जिसके परिणामस्वरूप संस्था की ख्याति में वृद्धि होती है। विज्ञापन व विक्रय संवर्द्धन योजनायें भी संस्था की ख्याति में वृद्धि करती हैं।
8. विकास एवं विस्तार – विपणन प्रबन्ध का उत्पाद विविधीकरण एवं नव प्रवर्तन कार्यों में महत्वपूर्ण योगदान रहता है जिससे संस्था अपने विद्यमान ढांचे के अन्तर्गत नई वस्तुओं को जोड़ सकती है तथा वर्तमान उत्पादन क्षमता का विस्तार कर सकती है। इस प्रकार संस्था की उत्पादन क्षमता में वृद्धि हो जाने से विकास की सम्भावनायें बढ़ जाती हैं।
9. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में सफलता – प्रभावकारी विपणन प्रबन्ध द्वारा विदेशी ग्राहकों की इच्छा, आवश्यकता, रीतिरिवाज, प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति आदि के सम्बन्ध में सूचनायें एकत्रित करके उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप वस्तुओं का रंग, रूप, आकार देकर उचित किस्म की वस्तुओं का निर्माण किया जाता है। जिससे अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में सफलता मिलती है।
10. उपभोक्ताओं की सेवा – विपणन प्रबन्ध के माध्यम से उपभोक्ताओं की सेवा सम्भव हो पाती है। बड़े पैमाने पर उत्पादन कर फर्म तथा उद्योग अप्रत्यक्ष रूप से विपणन के माध्यम से उपभोक्ताओं की सेवा कर पाते हैं। मध्यस्थों के माध्यम से सूचनाओं तथा शिकायकतों के प्राप्त होने पर उन पर विचार करके निर्णय लिया जाता है। वस्तुओं की कमियों का पता लगाना तथा उसमें सुधार करना विपणन के द्वारा ही किया जाता है।
विपणन प्रबन्ध का व्यवसायियों के लिये क्या महत्व है? विस्तार से समझाइये।
अथवा
उपक्रमों के लिये विपणन प्रबन्ध की उपयोगिता को समझाइये।
उत्तर:
व्यवसायियों/उपक्रमों के लिये विपणन प्रबन्ध का महत्व:
वर्तमान में प्रतिस्पर्धा के युग में व्यवसाय का अस्तित्व विकास एवं सफलता कुशल विपणन व्यवस्था पर निर्भर करता है। फर्म में विपणन के महत्व को निम्न शीषकों द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है –
1. प्रतिस्पर्धा का सामना – आज बढ़ते हुए वैश्वीकरण के कारण विभिन्न व्यवसायी संस्थाओं में आपस में प्रतिस्पर्धायें निरन्तर बढ़ती जा रही हैं लेकिन आधुनिक प्रतिस्पर्धात्मक वातावरण में विपणन कार्यों के द्वारा फर्मे अपने अस्तित्व की रक्षा कर सकती हैं। कोई भी संस्था या व्यवसाय प्रभावकारी विपणन समूह रचना निर्धारित करके व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा का आसानी से मुकाबला कर सकता है।
2. नियोजन का आधार – विपणन प्रबन्ध बाजार एवं उपभोक्ता से जुड़ी हुई प्रणाली होने के कारण व्यवसायियों को ग्राहकों की आवश्यकताओं, इच्छाओं, रुचियों आदि का समुचित ज्ञान हो जाता है जिससे विभिन्न योजनायें बनाने में सरलता हो जाती है। विभिन्न विपणन सूचनाओं, बाजार माँग, प्रतिस्पर्धा, फैशन, ग्राहक की रुचि, क्रये शक्ति आदि के आधार पर ही कम्पनी योजनाओं को तैयार करती है।
3. विक्रय में वृद्धि – विपणन प्रबन्ध के द्वारा बाजार एवं उपभोक्ता का विश्लेषण किया जाता है। जिससे ग्राहकों की बदलती हुई रुचियों, आवश्यकताओं व फैशन का ज्ञान प्रबन्धकों को हो जाता है व उन्हीं के अनुरूप वस्तुएँ उत्पादित की जाती हैं। फलस्वरूप माल के विक्रय में आसानी हो जाती है तथा बिक्री में भी वृद्धि होती है।
4. न्यूनतम लागत पर वितरण – जब व्यवसासियों द्वारा विपणन प्रक्रिया के अन्तर्गत ग्राहकों की आवश्यकताओं, इच्छाओं एवं रुचियों के अनुरूप निश्चित योजनानुसार उत्पादित वस्तुओं का वितरण किया जाता है तो निश्चित ही लागतें न्यूनतम होती हैं।
5. लाभों में वृद्धि – प्रभावशाली विपणन व्यवसायिके लाभ को बढ़ाने में सहयोग प्रदान करता है। माल की मांग बढ़ने पर क्रय लागत पर अधिक उत्पादन करके मांग की पूर्ति की जाती है तो लाभों में निश्चित ही वृद्धि होती है।
6. मध्यस्थों की प्राप्ति में सहायक – प्रभावशाली विपणन व्यवस्था के माध्यम से व्यवसासियों को मध्यस्थों, एजेन्ट, थोक व्यापारी, फुटकर व्यापारी आदि को प्राप्त करने में सरलता होती है। मध्यस्थ उसी उत्पादक का माल बेचते हैं जिनकी विपणन व्यवस्था ग्राहक प्रधान होती है।
7. ख्याति का निर्माण – जब ग्राहक को उनकी आवश्यकता के अनुसार न्यूनतम लागत पर अच्छी वस्तुएँ प्राप्त होती हैं तो उनको सन्तुष्टि प्राप्त होती है। इससे बाजार में सन्तुष्ट ग्राहकों की संख्या में निरन्तर वृद्धि होने लगती है जिसके परिणामस्वरूप संस्था की ख्याति में वृद्धि होती है। विज्ञापन व विक्रय संवर्द्धन योजनायें भी संस्था की ख्याति में वृद्धि करती हैं।
8. विकास एवं विस्तार – विपणन प्रबन्ध का उत्पाद विविधीकरण एवं नव प्रवर्तन कार्यों में महत्वपूर्ण योगदान रहता है जिससे संस्था अपने विद्यमान ढांचे के अन्तर्गत नई वस्तुओं को जोड़ सकती है तथा वर्तमान उत्पादन क्षमता का विस्तार कर सकती है। इस प्रकार संस्था की उत्पादन क्षमता में वृद्धि हो जाने से विकास की सम्भावनायें बढ़ जाती हैं।
9. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में सफलता – प्रभावकारी विपणन प्रबन्ध द्वारा विदेशी ग्राहकों की इच्छा, आवश्यकता, रीतिरिवाज, प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति आदि के सम्बन्ध में सूचनायें एकत्रित करके उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप वस्तुओं का रंग, रूप, आकार देकर उचित किस्म की वस्तुओं का निर्माण किया जाता है। जिससे अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में सफलता मिलती है।
10. उपभोक्ताओं की सेवा – विपणन प्रबन्ध के माध्यम से उपभोक्ताओं की सेवा सम्भव हो पाती है। बड़े पैमाने पर उत्पादन कर फर्म तथा उद्योग अप्रत्यक्ष रूप से विपणन के माध्यम से उपभोक्ताओं की सेवा कर पाते हैं। मध्यस्थों के माध्यम से सूचनाओं तथा शिकायकतों के प्राप्त होने पर उन पर विचार करके निर्णय लिया जाता है। वस्तुओं की कमियों का पता लगाना तथा उसमें सुधार करना विपणन के द्वारा ही किया जाता है।
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