RBSE - Class 12 Business Studies Chapter 5 नेतृत्व
नेतृत्व
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर
अतिलघु उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
नेतृत्व का अर्थ बताइए।
उत्तर:
नेतृत्व व्यक्तियों के व्यवहार को प्रभावित करने की वह प्रक्रिया है जो उन्हें सांगठनिक लक्ष्यों की पूर्ति हेतु कार्य करने के लिये प्रेरित करती है।
नेतृत्व का अर्थ बताइए।
उत्तर:
नेतृत्व व्यक्तियों के व्यवहार को प्रभावित करने की वह प्रक्रिया है जो उन्हें सांगठनिक लक्ष्यों की पूर्ति हेतु कार्य करने के लिये प्रेरित करती है।
प्रश्न 2.
किसी एक प्रबन्थशास्त्री द्वारा दी गई नेतृत्व की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
फ्रेंकलिन जी. मूरे के अनुसार “नेतृत्व व्यक्तियों को नेता की इच्छानुसार क्रिया करने के लिये तैयार करने की योग्यता है।”
किसी एक प्रबन्थशास्त्री द्वारा दी गई नेतृत्व की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
फ्रेंकलिन जी. मूरे के अनुसार “नेतृत्व व्यक्तियों को नेता की इच्छानुसार क्रिया करने के लिये तैयार करने की योग्यता है।”
प्रश्न 3.
नेतृत्व की कोई दो विशेषतायें बताइए?
उत्तर:
नेतृत्व की कोई दो विशेषतायें बताइए?
उत्तर:
- नेतृत्व नेता का व्यक्तिगत गुण है, जो अपने व्यवहार से अन्य व्यक्तियों के व्यवहार में परिवर्तन लाने का प्रयास करता है।
- नेतृत्व एक गतिशील एवं सतत् प्रक्रिया है।
प्रश्न 4.
नेता के कोई दो गुण बताइए।
उत्तर:
नेता के कोई दो गुण बताइए।
उत्तर:
- नेता कुशाग्र बुद्धि वाला होना चाहिये।
- नेता में आत्मविश्वास एवं इच्छाशक्ति होनी चाहिये।
प्रश्न 5.
नेता में उत्तम स्वास्थ्य गुण की आवश्यकता बताइए।
उत्तर:
स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क होता है यदि नेता का स्वास्थ्य उत्तम नहीं होगा तो उसे अपने कार्यों को करने में कठिनाई होगी। इसीलिये नेता का शारीरिक रूप से सक्षम तथा स्फूर्तिवान होना आवश्यक है।
नेता में उत्तम स्वास्थ्य गुण की आवश्यकता बताइए।
उत्तर:
स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क होता है यदि नेता का स्वास्थ्य उत्तम नहीं होगा तो उसे अपने कार्यों को करने में कठिनाई होगी। इसीलिये नेता का शारीरिक रूप से सक्षम तथा स्फूर्तिवान होना आवश्यक है।
लघु उतरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
नेतृत्व का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
नेतृत्व का अर्थ:
नेतृत्व को अलग – अलग दृष्टिकोण से परिभाषित किया गया है। व्यवहारवादी प्रबन्धशास्त्रियों ने इसे दूसरे व्यक्तियों को प्रभावित करने की प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया है, वहीं अन्य प्रबन्धशास्त्रियों ने इसे उद्देश्य प्राप्ति के लिये दिशा – निर्देशन देने के रूप में परिभाषित किया है। सामान्य अर्थों में, नेतृत्व व्यक्तियों के व्यवहार को प्रभावित करने की वह प्रक्रिया है, जो उन्हें सांगठनिक लक्ष्यों की पूर्ति हेतु कार्य करने के लिये प्रेरित करती है।
जार्ज आर. टैरी के अनुसार – “नेतृत्व व्यक्तियों को पारस्परिक उद्देश्यों के लिये स्वैच्छिक प्रयत्न करने हेतु प्रभावित करने की योग्यता है।”
नेतृत्व का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
नेतृत्व का अर्थ:
नेतृत्व को अलग – अलग दृष्टिकोण से परिभाषित किया गया है। व्यवहारवादी प्रबन्धशास्त्रियों ने इसे दूसरे व्यक्तियों को प्रभावित करने की प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया है, वहीं अन्य प्रबन्धशास्त्रियों ने इसे उद्देश्य प्राप्ति के लिये दिशा – निर्देशन देने के रूप में परिभाषित किया है। सामान्य अर्थों में, नेतृत्व व्यक्तियों के व्यवहार को प्रभावित करने की वह प्रक्रिया है, जो उन्हें सांगठनिक लक्ष्यों की पूर्ति हेतु कार्य करने के लिये प्रेरित करती है।
जार्ज आर. टैरी के अनुसार – “नेतृत्व व्यक्तियों को पारस्परिक उद्देश्यों के लिये स्वैच्छिक प्रयत्न करने हेतु प्रभावित करने की योग्यता है।”
प्रश्न 2.
नेतृत्व की विशेषतायें बताइए।
उत्तर:
नेतृत्व की विशेषताएँ:
नेतृत्व की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
नेतृत्व की विशेषतायें बताइए।
उत्तर:
नेतृत्व की विशेषताएँ:
नेतृत्व की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
- नेतृत्व किसी व्यक्ति की दूसरों को प्रभावित करने की योग्यता को दर्शाता है।
- नेतृत्व दूसरों के व्यवहार में परिवर्तन लाने का प्रयास करता है।
- नेतृत्व, नेता तथा उसके अनुयायियों के मध्य पारस्परिक सम्बन्धों को दर्शाता है।
- नेतृत्व का अभ्यास संस्था के समाने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए किया जाता है।
- नेतृत्व एक निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया है अर्थात् नेतृत्व की प्रक्रिया कभी रुकती नहीं है तथा प्रबन्ध के सभी स्तरों पर अनवरत चलती रहती है।
प्रश्न 3.
हेनरी फेयोल के द्वारा नेता में होने वाले गुणों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
हेनरी फेयोल के अनुसार – नेता में निम्नलिखित गुण होने चाहिये –
हेनरी फेयोल के द्वारा नेता में होने वाले गुणों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
हेनरी फेयोल के अनुसार – नेता में निम्नलिखित गुण होने चाहिये –
- स्वास्थ्य एवं शारीरिक क्षमता – हेनरी फेयोल के अनुसार, एक नेता का उत्तम स्वास्थ्य एवं शारीरिक रूप से ऊर्जावान होना चाहिये।
- योग्यता एवं मानसिक सन्तुलन – एक सफल नेता में प्रबन्धकीय कार्यों के कुशल निष्पादन हेतु निर्धारित योग्यता एवं मानसिक स्थिति ठीक होनी चाहिये।
- नैतिक गुण – एक नेता के अन्दर अपने कार्य के प्रति ईमानदारी जैसे नैतिक गुणों का होना बहुत जरूरी है।
- ज्ञान – नेता को अपने कार्य क्षेत्र के बारे में सम्पूर्ण जानकारी होनी चाहिये।
- प्रबन्धकीय योग्यता – प्रबन्धकीय योग्यता एक कुशल नेता का सर्वोच्च गुण है। नेता में दूसरे व्यक्तियों से कार्य कराने की कला होनी चाहिये।
प्रश्न 4.
नेतृत्व के किन्हीं पाँच गुणों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
नेतृत्व के किन्हीं पाँच गुणों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
- शारीरिक विशेषताएँ – शारीरिक विशेषताएँ, जैसे – कद, वजन, स्वास्थ्य, रूप – रंग आदि व्यक्ति के शारीरिक व्यक्तित्व का निर्धारण करती हैं। अच्छा शारीरिक व्यक्तित्व लोगों को आकर्षित करता है। इससे दूसरे लोग अपने नेता का अनुसरण करने को तैयार होते हैं।
- ज्ञान – एक अच्छे नेता में आवश्यक ज्ञान तथा कौशल अवश्य होने चाहिए, क्योंकि ज्ञान और कौशल से युक्त व्यक्ति ही अपने अधीनस्थों को आदेश दे सकते हैं तथा प्रभावित कर सकते हैं।
- ईमानदारी – एक नेता में उच्चतर की सत्यनिष्ठा तथा ईमानदारी होनी चाहिए, जिससे कि वह दूसरों के लिए आदर्श बन सके।
- पहल – एक नेता में साहस तथा पहल शक्ति अवश्य होनी चाहिए। उसे सुअवसर को हथियाकर संस्था के लाभ के लिए प्रयोग करना चाहिए।
- सम्प्रेषण कौशल – एक नेता को अच्छा सम्प्रेषक होना चाहिए। उसमें दूसरों के विचार समझने तथा अपने विचार समझाने की क्षमता होनी चाहिए। उसमें अच्छे श्रोता, शिक्षक, परामर्शक के गुण होने चाहिए।
प्रश्न 5.
जार्ज आर. टैरी के अनुसार नेता में किन गुर्गों का होना आवश्यक है?
उत्तर:
जार्ज आर. टैरी के अनुसार नेता में निम्नलिखित गुणों का होना आवश्यक है –
जार्ज आर. टैरी के अनुसार नेता में किन गुर्गों का होना आवश्यक है?
उत्तर:
जार्ज आर. टैरी के अनुसार नेता में निम्नलिखित गुणों का होना आवश्यक है –
- शक्ति
- भावनात्मक स्थिरता
- मानवीय सम्बंन्धों का ज्ञान
- व्यक्तिगत अभिप्रेरणा
- सम्प्रेषण योग्यता
- शिक्षण योग्यता
- सामाजिक योग्यता
- तकनीकी योग्यता
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
प्रबन्ध में नेतृत्व से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताओं की विवेचना कीजिये।
उत्तर:
नेतृत्व:
नेतृत्व व्यक्तियों के व्यवहार को प्रभावित करने की वह प्रक्रिया है, जो उन्हें स्वतः ही संस्था के लक्ष्यों की पूर्ति हेतु प्रतिस्पर्धित करती है। नेतृत्व को अनेक विद्वानों ने निम्न प्रकार परिभाषित किया है –
नेतृत्व की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
प्रबन्ध में नेतृत्व से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताओं की विवेचना कीजिये।
उत्तर:
नेतृत्व:
नेतृत्व व्यक्तियों के व्यवहार को प्रभावित करने की वह प्रक्रिया है, जो उन्हें स्वतः ही संस्था के लक्ष्यों की पूर्ति हेतु प्रतिस्पर्धित करती है। नेतृत्व को अनेक विद्वानों ने निम्न प्रकार परिभाषित किया है –
- चेस्टर आई. बर्नाड के अनुसार – “नेतृत्व से तात्पर्य किन्हीं व्यक्तियों के व्यवहार के उस गुण से है जिसके द्वारा वे सामूहिक प्रयास में लोगों की क्रियाओं का मार्गदर्शन करते हैं।”
- कीथ डेविस के अनुसार – “नेतृत्व दूसरे व्यक्तियों को पूर्व निर्धारित उद्देश्यों को उत्साहपूर्वक प्राप्त करने के लिये प्रेरित करने की योग्यता है। यह वह मानवीय तत्व है,जो एक समूह को एक सूत्र में बाँधे रखता है और इसे अपने लक्ष्य की ओर अभिप्रेरित करता है।”
नेतृत्व की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
- दूसरों को प्रभावित करने की प्रक्रिया – नेतृत्व दूसरे व्यक्तियों को इस प्रकार प्रभावित करता है कि वह उसकी (नेता) इच्छा के अनुरूप कार्य करने के लिए तैयार हो जाते हैं। नेतृत्व में एक नेता अपने अनुयायियों के साथ इस प्रकार से व्यवहार करता है कि वे उसके प्रभाव में आ जाते हैं और उसकी इच्छानुरूप कार्य करते हैं। अत: नेतृत्व एक प्रभावीकरण प्रक्रिया है।
- व्यवहार में परिवर्तन लाने की प्रक्रिया – नेतृत्व अनुयायियों के व्यवहार में परिवर्तन लाता है। अगर संगठन प्रबन्धक में नेतृत्व की क्षमता होती है तो अधीनस्थ कार्य – निष्पादन बेहतर ढंग से एवं अपेक्षानुसार निष्पादित करते हैं।
- नेता एवं अनुयायियों में अंतः सम्बन्ध – एक नेता का अस्तित्व उसके अनुयायियों से होता है, बगैर अनुयायियों के नेता का कोई अस्तित्व नहीं होता। अत: नेतृत्व की सफलता के लिए अनुयायियों का होना आवश्यक है। यह नेता एवं अनुयायियों के अन्तः सम्बन्ध को स्पष्ट रूप से बताता है।
- सतत् प्रक्रिया – संगठन प्रबन्धक को अपनी नेतृत्व क्षमता का लगातार प्रयोग करना होता है अर्थात् नेतृत्व किसी समय विशेष पर ही आवश्यक नहीं होता अपितु इसकी लगातार आवश्यकता होती है। अतः नेतृत्व एक सतत् प्रक्रिया है।
- सामूहिक उद्देश्यों की प्राप्ति – सामूहिक उद्देश्यों की प्राप्ति ही नेतृत्व की विशेषता है। इसके अन्तर्गत न सिर्फ संगठनात्मक उद्देश्यों की प्राप्ति बल्कि व्यक्तिगत उद्देश्यों की प्राप्ति भी की जाती है।
- व्यक्तिगत सम्बन्धों पर आधारित – नेतृत्व नेता तथा अनुयायियों के व्यक्तिगत सम्बन्धों पर आधारित होता है। यदि उसके व्यक्तिगत सम्बन्ध अच्छे होते हैं तो नेतृत्व सफल होता है।
- सभी के हितों की पूर्ति – कुशल नेतृत्व नेता, अनुयायी तथा संगठन तीनों के हितों को ध्यान में रखकर उनका संरक्षण करता है।
- एक उद्देश्य के लिए कार्य – नेतृत्व किसी एक उद्देश्य की प्राति हेतु कार्यरत रहता है। तथा उसे प्राप्त करने के लिए ही अपनी सारी शक्ति लगाता है।
प्रश्न 2.
प्रबन्ध में एक कुशल नेता के गुणों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
एक कुशल नेता के गुण:
प्रबन्ध में एक कुशल नेता के निम्नलिखित गुण होते हैं –
प्रबन्ध में एक कुशल नेता के गुणों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
एक कुशल नेता के गुण:
प्रबन्ध में एक कुशल नेता के निम्नलिखित गुण होते हैं –
- शारीरिक विशेषताएँ – शारीरिक विशेषताएँ, जैसे – कद, वजन, स्वास्थ्य, रूप – रंग आदि व्यक्ति के शारीरिक व्यक्तित्व का निर्धारण करती हैं। अच्छी शारीरिक व्यक्तित्व लोगों को आकर्षित करता है। इससे दूसरे लोग अपने नेता को अनुसरण करने को तैयार होते हैं।
- ज्ञान – एक अच्छे नेता में आवश्यक ज्ञान तथा कौशल अवश्य होने चाहिए, क्योंकि ज्ञान और कौशल से युक्त व्यक्ति ही अपने अधीनस्थों को आदेश दे सकते हैं तथा प्रभावित कर सकते हैं।
- ईमानदारी – एक नेता में उच्चस्तर की सत्यनिष्ठा तथा ईमानदारी होनी चाहिए, जिससे कि वह दूसरों के लिए आदर्श बन सके।
- पहल – एक नेता में साहस तथा पहल शक्ति अवश्य होनी चाहिए। उसे सुअवसर को हथियाकर संस्था के लाभ के लिए प्रयोग करना चाहिए।
- सम्प्रेषण कौशल – एक नेता को अच्छा सम्प्रेषक होना चाहिए उसमें दूसरों के विचार समझने तथा अपने विचार समझाने की क्षमता होनी चाहिए। उसमें अच्छे श्रोता, शिक्षक, परामर्शक के गुण होने चाहिए।
- अभिप्रेरणा कौशल – एक नेता को प्रभावी अभिप्रेरक भी होना चाहिए। उसे लोगों की आवश्यकता को समझकर उनकी आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करना चाहिए तथा उन्हें प्रेरित करना चाहिए।
- आत्मविश्वास – एक नेता में उच्चस्तर का आत्मविश्वास होना चाहिए। उसे कठिनतम परिस्थिति में भी अपना आत्मविश्वास नहीं खोना चाहिए अन्यथा उसके अनुयायियों का उससे विश्वास उठ जायेगा।
- निर्णय लेने की क्षमता – नेता में श्रेष्ठ निर्णय लेने की क्षमता होनी चाहिए। यदि वह एक बार निर्णय ले ले तो उसे बदलना नहीं चाहिए।
- सामाजिक कौशल – एक नेता को सबके साथ मिल – जुलकर रहना चाहिए तथा अपने साथियों एवं अनुयायियों के साथ मैत्रीपूर्ण व्यवहार करना चाहिए। उसे व्यक्तियों को समझकर अच्छे मानवीय सम्बन्ध बनाने चाहिए।
एक नेता के उपर्युक्त सभी गुण एक व्यक्ति में होना आवश्यक नहीं है क्योंकि सभी नेताओं में सभी गुणों का होना सम्भव नहीं है, अत: एक अच्छा नेता बनने के लिए ऊपर बताये गये गुणों की समझ अवश्य होनी चाहिए। जिससे कि वह अपने में इन गुणों का विकास कर सके क्योंकि इनके होने से ही नेतृत्व की सफलता को सुनिश्चित करने में सहायता मिलती है।
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न एवं उनके उत्तर
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
“प्रबन्धक किसी व्यावसायिक उपक्रम का प्रमुख एवं दुर्लभ प्रसाधन है। अधिकांश व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के असफल होने का प्रमुख कारण अकुशल नेतृत्व ही है।” यह कथन है –
(अ) पीटर एफ डुकर
(ब) जार्ज आर. टैरी
(स) कीथ डेविस
द) इनमें से कोई नहीं
“प्रबन्धक किसी व्यावसायिक उपक्रम का प्रमुख एवं दुर्लभ प्रसाधन है। अधिकांश व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के असफल होने का प्रमुख कारण अकुशल नेतृत्व ही है।” यह कथन है –
(अ) पीटर एफ डुकर
(ब) जार्ज आर. टैरी
(स) कीथ डेविस
द) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 2.
किसी व्यक्ति का वह गुण जिसके माध्यम से वह अन्य व्यक्तियों का मार्गदर्शन करता है, उसे कहते है –
(अ) नियोजन
(ब) समन्वय
(स) नेतृत्व
(द) अभिप्रेरणा
किसी व्यक्ति का वह गुण जिसके माध्यम से वह अन्य व्यक्तियों का मार्गदर्शन करता है, उसे कहते है –
(अ) नियोजन
(ब) समन्वय
(स) नेतृत्व
(द) अभिप्रेरणा
प्रश्न 3.
“नेतृत्व व्यक्तियों को पारस्परिक उद्देश्यों के लिये स्वैच्छिक प्रयत्न करने हेतु प्रभावित करने की योग्यता है।” यह परिभाषा है –
(अ) कीथ डेविस की
(ब) जार्ज आर. टैरी की
(स) फ्रैंकलिन जी. भूरे की
(द) इनमें से कोई नहीं।
“नेतृत्व व्यक्तियों को पारस्परिक उद्देश्यों के लिये स्वैच्छिक प्रयत्न करने हेतु प्रभावित करने की योग्यता है।” यह परिभाषा है –
(अ) कीथ डेविस की
(ब) जार्ज आर. टैरी की
(स) फ्रैंकलिन जी. भूरे की
(द) इनमें से कोई नहीं।
प्रश्न 4.
नेतृत्व की विशेषता है –
(अ) नेतृत्व एक गतिशील एवं सतत प्रक्रिया है।
(ब) नेतृत्व औपचारिक एवं अनौपचारिक दोनों रूपों में पाया जाता है।
(स) नेतृत्व में नेता के अनुयायी सर्वाधिक उसके आचरण से प्रभावित होते हैं।
(द) उपरोक्त सभी।
नेतृत्व की विशेषता है –
(अ) नेतृत्व एक गतिशील एवं सतत प्रक्रिया है।
(ब) नेतृत्व औपचारिक एवं अनौपचारिक दोनों रूपों में पाया जाता है।
(स) नेतृत्व में नेता के अनुयायी सर्वाधिक उसके आचरण से प्रभावित होते हैं।
(द) उपरोक्त सभी।
प्रश्न 5.
नेतृत्व की विशेषता नहीं है –
(अ) नेतृत्व नेता का व्यक्तिगत गुण है।
(ब) नेतृत्व एक गतिशील एवं सतत प्रक्रिया है।
(स) सभी प्रबन्धक नेता होते हैं।
(द) नेतृत्व परस्पर तथा आपसी सम्बन्धों पर निर्भर है।
नेतृत्व की विशेषता नहीं है –
(अ) नेतृत्व नेता का व्यक्तिगत गुण है।
(ब) नेतृत्व एक गतिशील एवं सतत प्रक्रिया है।
(स) सभी प्रबन्धक नेता होते हैं।
(द) नेतृत्व परस्पर तथा आपसी सम्बन्धों पर निर्भर है।
प्रश्न 6.
“नेतृत्व पारस्परिक उद्देश्यों की पूर्ति हेतु व्यक्तियों को स्वैच्छिक प्रयास करने की प्रेरणा देता है।” यह कथन है –
(अ) जार्ज आर. टैरी का
(ब) प्रो. रॉस एवं हैन्ड्री का
(स) एल.एफ. उर्विक का
(द) हेनरी फेयोल का।
“नेतृत्व पारस्परिक उद्देश्यों की पूर्ति हेतु व्यक्तियों को स्वैच्छिक प्रयास करने की प्रेरणा देता है।” यह कथन है –
(अ) जार्ज आर. टैरी का
(ब) प्रो. रॉस एवं हैन्ड्री का
(स) एल.एफ. उर्विक का
(द) हेनरी फेयोल का।
प्रश्न 7.
नेतृत्व (नेता) में सर्वप्रथम होनी चाहिए।
(अ) दूसरों को प्रभावित करने की कला
(ब) दूसरों से प्रभावित होने की कला
(स) गपशप करने की कला
(द) उपरोक्त सभी।
नेतृत्व (नेता) में सर्वप्रथम होनी चाहिए।
(अ) दूसरों को प्रभावित करने की कला
(ब) दूसरों से प्रभावित होने की कला
(स) गपशप करने की कला
(द) उपरोक्त सभी।
प्रश्न 8.
हेनरी फेयोल के अनुसार एक नेता में गुण होना चाहिए –
(अ) स्वास्थ्य एवं शारीरिक
(ब) योग्यता एवं मानसिक सन्तुलन
(स) प्रबन्धकीय योग्यता
(द) उपरोक्त सभी।
हेनरी फेयोल के अनुसार एक नेता में गुण होना चाहिए –
(अ) स्वास्थ्य एवं शारीरिक
(ब) योग्यता एवं मानसिक सन्तुलन
(स) प्रबन्धकीय योग्यता
(द) उपरोक्त सभी।
प्रश्न 9. ओर्डवे टीड के अनुसार एक नेता में गुण होना चाहिए –
(अ) उद्देश्य एवं दिशा की चेतनता
(ब) शारीरिक व स्नायुशक्ति
(स) मैत्रीभाव व स्नेह
(द) उपरोक्त सभी
(अ) उद्देश्य एवं दिशा की चेतनता
(ब) शारीरिक व स्नायुशक्ति
(स) मैत्रीभाव व स्नेह
(द) उपरोक्त सभी
प्रश्न 10.
चेस्टर आई. बर्नाड के अनुसार नेता का गुण नहीं है।
(अ) निर्णयन क्षमता
(ब) उत्तरदायित्व
(स) विनम्रता
(द) इनमें से कोई नहीं
चेस्टर आई. बर्नाड के अनुसार नेता का गुण नहीं है।
(अ) निर्णयन क्षमता
(ब) उत्तरदायित्व
(स) विनम्रता
(द) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 11. स्टोगडिल के अनुसार नेता का गुण है –
(अ) शारीरिक एवं संरचनात्मक
(ब) बौद्धिक क्षमता
(स) आत्मविश्वास
(द) उपरोक्त सभी
(अ) शारीरिक एवं संरचनात्मक
(ब) बौद्धिक क्षमता
(स) आत्मविश्वास
(द) उपरोक्त सभी
प्रश्न 12.
सी. एल. उर्विक के अनुसार नेता का गुण नहीं है.”
(अ) साहस
(ब) इच्छाशक्ति
(स) पहलपन
(द) चारित्रिक बल
सी. एल. उर्विक के अनुसार नेता का गुण नहीं है.”
(अ) साहस
(ब) इच्छाशक्ति
(स) पहलपन
(द) चारित्रिक बल
प्रश्न 13.
“अनुयायियों का पूर्ण विश्वास प्राप्त करने के लिये नेता में आत्मविश्वास होना चाहिये।” यह कथन है –
(अ) एल. एफ. उर्विक का
(ब) जार्ज. आर. टैरी का
(स) हेनरी फेयोल का
(द) इनमें से कोई नहीं
“अनुयायियों का पूर्ण विश्वास प्राप्त करने के लिये नेता में आत्मविश्वास होना चाहिये।” यह कथन है –
(अ) एल. एफ. उर्विक का
(ब) जार्ज. आर. टैरी का
(स) हेनरी फेयोल का
(द) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 14.
एक कुशल नेता को अपने कार्य से सम्बन्धित जानकारी होनी चाहिए –
(अ) कार्य – विधियों की
(ब) तकनीकी ज्ञान की।
(स) नियम व कानून की।
(द) उपरोक्त सभी।
एक कुशल नेता को अपने कार्य से सम्बन्धित जानकारी होनी चाहिए –
(अ) कार्य – विधियों की
(ब) तकनीकी ज्ञान की।
(स) नियम व कानून की।
(द) उपरोक्त सभी।
प्रश्न 15.
एक नेता में गुण होना चाहिये –
(अ) मानवीय दृष्टिकोण एवं मानवीय सम्बन्धों के निर्माण की क्षमता का
(ब) मिलनसारिता एवं व्यवहार कुशलता का
(स) उत्तरदायित्व की भावना का
(द) उपरोक्त सभी.
एक नेता में गुण होना चाहिये –
(अ) मानवीय दृष्टिकोण एवं मानवीय सम्बन्धों के निर्माण की क्षमता का
(ब) मिलनसारिता एवं व्यवहार कुशलता का
(स) उत्तरदायित्व की भावना का
(द) उपरोक्त सभी.
उत्तरमाला:
1. (अ)
2. (स)
3. (ब)
4. (द)
5. (स)
6. (अ)
7. (अ)
8. (द)
9. (द)
10. (द)
11. (द)
12. (स)
3. (अ)
14. (द)
15. (द)
1. (अ)
2. (स)
3. (ब)
4. (द)
5. (स)
6. (अ)
7. (अ)
8. (द)
9. (द)
10. (द)
11. (द)
12. (स)
3. (अ)
14. (द)
15. (द)
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
संस्था में नेतृत्व की क्या आवश्यकता है?
उत्तर:
संस्था में समूहों द्वारा सम्पन्न की जाने वाली विभिन्न क्रियाओं के श्रेष्ठ निष्पादन हेतु कुशल नेतृत्व की ही आवश्यकता होती है।
संस्था में नेतृत्व की क्या आवश्यकता है?
उत्तर:
संस्था में समूहों द्वारा सम्पन्न की जाने वाली विभिन्न क्रियाओं के श्रेष्ठ निष्पादन हेतु कुशल नेतृत्व की ही आवश्यकता होती है।
प्रश्न 2.
व्यवहारवादी प्रबन्धशास्त्रियों ने नेतृत्व को किस रूप में परिभाषित किया है?
उत्तर:
व्यवहावादी प्रबन्धशास्त्रियों में नेतृत्व को दूसरे व्यक्तियों को प्रभावित करने की प्रक्रिया बताया है।
व्यवहारवादी प्रबन्धशास्त्रियों ने नेतृत्व को किस रूप में परिभाषित किया है?
उत्तर:
व्यवहावादी प्रबन्धशास्त्रियों में नेतृत्व को दूसरे व्यक्तियों को प्रभावित करने की प्रक्रिया बताया है।
प्रश्न 3.
गैर व्यवहारवादी प्रबन्धशास्त्रियों ने नेतृत्व को किस रूप में पारिभाषित किया है?
उत्तर:
गैर व्यवहारवादी प्रबन्धशास्त्रियों ने नेतृत्व को उद्देश्य प्राप्ति के लिये दिशा निर्देशन देने के रूप में परिभाषित किया है।
गैर व्यवहारवादी प्रबन्धशास्त्रियों ने नेतृत्व को किस रूप में पारिभाषित किया है?
उत्तर:
गैर व्यवहारवादी प्रबन्धशास्त्रियों ने नेतृत्व को उद्देश्य प्राप्ति के लिये दिशा निर्देशन देने के रूप में परिभाषित किया है।
प्रश्न 4.
जार्ज अ. टैरी ने नेतृत्व को किस प्रकार परिभाषित किया है?
उत्तर:
“नेतृत्व व्यक्तियों को पारस्परिक उददेश्यों के लिय स्वैच्छिक प्रयत्न करने हेतु प्रभावित करने की योग्यता है।”
जार्ज अ. टैरी ने नेतृत्व को किस प्रकार परिभाषित किया है?
उत्तर:
“नेतृत्व व्यक्तियों को पारस्परिक उददेश्यों के लिय स्वैच्छिक प्रयत्न करने हेतु प्रभावित करने की योग्यता है।”
प्रश्न 5.
“नेतृत्व नेता का व्यक्तिगत गुण है” इसे बर्नाड ने किस प्रकार परिभाषित किया?
उत्तर:
“नेतृत्व किसी व्यक्ति के व्यवहार का वह गुण है जिसके द्वारा वह दूसरे व्यक्तियों का मार्गदर्शन करता है।”
“नेतृत्व नेता का व्यक्तिगत गुण है” इसे बर्नाड ने किस प्रकार परिभाषित किया?
उत्तर:
“नेतृत्व किसी व्यक्ति के व्यवहार का वह गुण है जिसके द्वारा वह दूसरे व्यक्तियों का मार्गदर्शन करता है।”
प्रश्न 6.
क्या बिना अनुयायियों के नेता की कल्पना सम्भव है?
उत्तर:
बिना अनुयायियों के नेता की कल्पना सम्भव नहीं है क्योंकि अधीनस्र्थों का अथवा अनुयायियों का समूह होने पर ही नेतृत्व किया जा सकता है।
क्या बिना अनुयायियों के नेता की कल्पना सम्भव है?
उत्तर:
बिना अनुयायियों के नेता की कल्पना सम्भव नहीं है क्योंकि अधीनस्र्थों का अथवा अनुयायियों का समूह होने पर ही नेतृत्व किया जा सकता है।
प्रश्न 7.
संगठन में नेतृत्व एवं उसके अनुयायियों के हित एक समान क्यों होने चाहिए?
उत्तर:
किसी संगठन में यदि नेता एवं उसके अनुयायियों के हित अलग – अलग हैं तो वहाँ नेतृत्व का कोई भी प्रभाव नहीं रहेगा।
संगठन में नेतृत्व एवं उसके अनुयायियों के हित एक समान क्यों होने चाहिए?
उत्तर:
किसी संगठन में यदि नेता एवं उसके अनुयायियों के हित अलग – अलग हैं तो वहाँ नेतृत्व का कोई भी प्रभाव नहीं रहेगा।
प्रश्न 8.
नेतृत्व क्षमता विकसित करने के सम्बन्ध में परम्परागत अवधारणा क्या है?
उत्तर:
नेतृत्व क्षमता विकसित करने के सम्बन्ध परम्परागत अवधारणा यह है कि नेता पैदा होते हैं, बनाये नहीं जा सकते हैं।
नेतृत्व क्षमता विकसित करने के सम्बन्ध में परम्परागत अवधारणा क्या है?
उत्तर:
नेतृत्व क्षमता विकसित करने के सम्बन्ध परम्परागत अवधारणा यह है कि नेता पैदा होते हैं, बनाये नहीं जा सकते हैं।
प्रश्न 9.
नेतृत्व क्षमता विकसित होने के सम्बन्ध में प्रो. रॉस एवं हैन्ड्री का क्या मत है?
उत्तर:
“नेतृत्व क्षमता जन्म लेती है, विकसित होती है तथा इसे प्राप्त किया जा सकता है।”
नेतृत्व क्षमता विकसित होने के सम्बन्ध में प्रो. रॉस एवं हैन्ड्री का क्या मत है?
उत्तर:
“नेतृत्व क्षमता जन्म लेती है, विकसित होती है तथा इसे प्राप्त किया जा सकता है।”
प्रश्न 10.
नेतृत्व में परस्पर तथा आपसी सम्बन्ध किन – किन के मध्य पाये जाते हैं?
उत्तर:
नेतृत्व में परस्पर तथा आपसी सम्बन्ध अनुयायियों तथा नेता के मध्य, नेता एवं नेता के मध्य, अनुयायियों एवं अनुयायियों के मध्य अथवा अनुयायियों के एक विशेष समूह एवं नेता के मध्य में पाये जाते है।
नेतृत्व में परस्पर तथा आपसी सम्बन्ध किन – किन के मध्य पाये जाते हैं?
उत्तर:
नेतृत्व में परस्पर तथा आपसी सम्बन्ध अनुयायियों तथा नेता के मध्य, नेता एवं नेता के मध्य, अनुयायियों एवं अनुयायियों के मध्य अथवा अनुयायियों के एक विशेष समूह एवं नेता के मध्य में पाये जाते है।
प्रश्न 11.
नेतृत्व में अनुयायी किसके आचरण से सर्वाधिक प्रभावित होते हैं?
उत्तर:
नेता के आचरण से।
नेतृत्व में अनुयायी किसके आचरण से सर्वाधिक प्रभावित होते हैं?
उत्तर:
नेता के आचरण से।
प्रश्न 12.
क्या नेतृत्व की सभी शैलियों एवं तकनीकों को समान रूप से लागू किया जा सकता है?
उत्तर:
नेतृत्व की सभी शैलियों एवं तकनीकों को समान रूप से लागू नहीं किया जा सकता है इन्हें समय एवं परिस्थिति के अनुरूप ही लागू किया जा सकता है।
क्या नेतृत्व की सभी शैलियों एवं तकनीकों को समान रूप से लागू किया जा सकता है?
उत्तर:
नेतृत्व की सभी शैलियों एवं तकनीकों को समान रूप से लागू नहीं किया जा सकता है इन्हें समय एवं परिस्थिति के अनुरूप ही लागू किया जा सकता है।
प्रश्न 13.
ओर्डवे टीड के मतानुसार एक नेता के कोई दो गुण बताइए।
उत्तर:
ओर्डवे टीड के मतानुसार एक नेता के कोई दो गुण बताइए।
उत्तर:
- उद्देश्य एवं दिशा की चेतनता
- शारीरिक व स्नायुशक्ति।
प्रश्न 14.
चेस्टर आई. बर्नाड के अनुसार नेता के कोई दो गुण बताइए।
उत्तर:
चेस्टर आई. बर्नाड के अनुसार नेता के कोई दो गुण बताइए।
उत्तर:
- निर्णयन
- उत्तरदायित्व।
प्रश्न 15.
सी. एल अर्विक ने एक नेता के कौन-कौन से गुणों का वर्णन किया है?
उत्तर:
सी. एल अर्विक ने एक नेता के कौन-कौन से गुणों का वर्णन किया है?
उत्तर:
- साहस
- इच्छा शक्ति
- मस्तिष्क की लोचशीलता
- ज्ञान
- चारित्रिक बल
प्रश्न 16.
नेता का बुद्धिमान होना क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
विषम परिस्थितियों में धैर्य व गम्भीरता से समस्याओं का समाधान करने के लिये नेता का बुद्धिमान होना आवश्यक है।
नेता का बुद्धिमान होना क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
विषम परिस्थितियों में धैर्य व गम्भीरता से समस्याओं का समाधान करने के लिये नेता का बुद्धिमान होना आवश्यक है।
प्रश्न 17.
नेता की शिक्षण व तकनीकी योग्यता से क्या आशय है?
उत्तर:
शिक्षण व तकनीकी योग्यता से आशय नेता को अपने कार्य क्षेत्र से सम्बन्धित कार्य विधियों, तकनीकों, ज्ञान, नियम एवं कानून आदि की जानकारी होना।
नेता की शिक्षण व तकनीकी योग्यता से क्या आशय है?
उत्तर:
शिक्षण व तकनीकी योग्यता से आशय नेता को अपने कार्य क्षेत्र से सम्बन्धित कार्य विधियों, तकनीकों, ज्ञान, नियम एवं कानून आदि की जानकारी होना।
प्रश्न 18.
दूरदर्शिता से क्या आशय है?
उत्तर:
दूरदर्शिता व्यक्ति का सर्वोच्च गुण है जो भविष्य में आने वाले परिणामों की प्राप्ति का पूर्वानुमान लगाने में सहायता प्रदान करता है।
दूरदर्शिता से क्या आशय है?
उत्तर:
दूरदर्शिता व्यक्ति का सर्वोच्च गुण है जो भविष्य में आने वाले परिणामों की प्राप्ति का पूर्वानुमान लगाने में सहायता प्रदान करता है।
प्रश्न 19.
नेता के मिलन सारिता गुण को समझाइए।
उत्तर:
नेता को अपने अनुयायियों के साथ मिलकर एवं प्रेमपूर्वक व्यवहार करने की भावना।
नेता के मिलन सारिता गुण को समझाइए।
उत्तर:
नेता को अपने अनुयायियों के साथ मिलकर एवं प्रेमपूर्वक व्यवहार करने की भावना।
लघु उत्तरीय प्रश्न (SA – I)
प्रश्न 1.
व्यावसायिक संस्थाओं में नेतृत्व की भूमिका को समझाइए।
उत्तर:
किसी भी व्यावसायिक संस्थान में पर्याप्त पूंजी एवं मानवीय संसाधन प्रचुर मात्रा में क्यों न हों लेकिन कुशल नेतृत्व के अभाव में उनका सही प्रयोग नहीं किया जा सकता है। प्रत्येक व्यावसायिक संस्था में समूह द्वारा की जाने वाली विभिन्न क्रियाओं का श्रेष्ठ निष्पादन कुशल नेतृत्व द्वारा ही सम्भव होता है। पीटर एफ.डूकर के शब्दों में,” प्रबन्धक किसी व्यावसायिक उपक्रम का प्रमुख एवं दुर्लभ प्रसाधन है। अधिकांश व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के असफल होने का प्रमुख कारण नेतृत्व ही है।”
व्यावसायिक संस्थाओं में नेतृत्व की भूमिका को समझाइए।
उत्तर:
किसी भी व्यावसायिक संस्थान में पर्याप्त पूंजी एवं मानवीय संसाधन प्रचुर मात्रा में क्यों न हों लेकिन कुशल नेतृत्व के अभाव में उनका सही प्रयोग नहीं किया जा सकता है। प्रत्येक व्यावसायिक संस्था में समूह द्वारा की जाने वाली विभिन्न क्रियाओं का श्रेष्ठ निष्पादन कुशल नेतृत्व द्वारा ही सम्भव होता है। पीटर एफ.डूकर के शब्दों में,” प्रबन्धक किसी व्यावसायिक उपक्रम का प्रमुख एवं दुर्लभ प्रसाधन है। अधिकांश व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के असफल होने का प्रमुख कारण नेतृत्व ही है।”
प्रश्न 2.
नेता किसे कहते हैं?
उत्तर:
नेता शब्द का प्रादुर्भाव नेतृत्व से हुआ है। एक व्यक्ति जिसमें नेतृत्व के सभी गुण विद्यमान होते हैं वह नेता कहलाता है। सामान्यतया किसी संगठन की सफलता का श्रेय उसके नेता को ही दिया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि अनुयायी स्वीकृति के द्वारा एक व्यक्ति को अच्छा नेता बनाते हैं। इसलिए यह मान्य है कि नेता तथा अनुयायी दोनों ही नेतृत्व की प्रक्रिया में एक मुख्य भूमिका निभाते हैं।
नेता किसे कहते हैं?
उत्तर:
नेता शब्द का प्रादुर्भाव नेतृत्व से हुआ है। एक व्यक्ति जिसमें नेतृत्व के सभी गुण विद्यमान होते हैं वह नेता कहलाता है। सामान्यतया किसी संगठन की सफलता का श्रेय उसके नेता को ही दिया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि अनुयायी स्वीकृति के द्वारा एक व्यक्ति को अच्छा नेता बनाते हैं। इसलिए यह मान्य है कि नेता तथा अनुयायी दोनों ही नेतृत्व की प्रक्रिया में एक मुख्य भूमिका निभाते हैं।
प्रश्न 3.
नेतृत्व को दूसरों को प्रभावित करने की प्रक्रिया क्यों माना जाता है?
उत्तर:
नेतृत्व दूसरे व्यक्तियों को इस प्रकार प्रभावित करता है कि वह उसकी (नेता) इच्छा के अनुरूप कार्य करने के लिये तैयार ह्ये जाते हैं। नेतृत्व में एक नेता अपने अनुयायियों के साथ इस प्रकार से व्यवहार करता है कि वे उसके प्रभाव में आ जाते हैं और उसकी इच्छानुरूप कार्य करते हैं। इसलिय नेतृत्व को दूसरों को प्रभावित करने की प्रक्रिया माना जाता है।
नेतृत्व को दूसरों को प्रभावित करने की प्रक्रिया क्यों माना जाता है?
उत्तर:
नेतृत्व दूसरे व्यक्तियों को इस प्रकार प्रभावित करता है कि वह उसकी (नेता) इच्छा के अनुरूप कार्य करने के लिये तैयार ह्ये जाते हैं। नेतृत्व में एक नेता अपने अनुयायियों के साथ इस प्रकार से व्यवहार करता है कि वे उसके प्रभाव में आ जाते हैं और उसकी इच्छानुरूप कार्य करते हैं। इसलिय नेतृत्व को दूसरों को प्रभावित करने की प्रक्रिया माना जाता है।
प्रश्न 4.
“नेतृत्व क्षमता विकसित एवं प्राप्त की जा सकती है।” स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
नेतृत्व क्षमता विकसित करने के सम्बन्ध में परम्परागत अवधारणा है कि नेता पैदा होते हैं, बनाये नहीं जाते किन्तु आधुनिक अवधारणा द्वारा नेतृत्व का शिक्षण – प्रशिक्षण द्वारा व्यवस्थित विकास किया जा सकता है। इस क्षमता का विकास करने के लिये नेतृत्व द्वारा कार्य वातावरण, अधिकार, पहलपन, आत्म विश्वास आदि तत्वों का सहयोग लिया जाता है। प्रो. रास एवं हैण्डी का मत है, “नेतृत्व क्षमता जन्म लेती है, विकसित होती है तथा इसे प्राप्त किया जा सकता है।”
“नेतृत्व क्षमता विकसित एवं प्राप्त की जा सकती है।” स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
नेतृत्व क्षमता विकसित करने के सम्बन्ध में परम्परागत अवधारणा है कि नेता पैदा होते हैं, बनाये नहीं जाते किन्तु आधुनिक अवधारणा द्वारा नेतृत्व का शिक्षण – प्रशिक्षण द्वारा व्यवस्थित विकास किया जा सकता है। इस क्षमता का विकास करने के लिये नेतृत्व द्वारा कार्य वातावरण, अधिकार, पहलपन, आत्म विश्वास आदि तत्वों का सहयोग लिया जाता है। प्रो. रास एवं हैण्डी का मत है, “नेतृत्व क्षमता जन्म लेती है, विकसित होती है तथा इसे प्राप्त किया जा सकता है।”
प्रश्न 5.
“नेतृत्व एक गतिशील एवं सतत् प्रक्रिया है।” समझाइए।
उत्तर:
संगठन में प्रबन्धक को अपनी नेतृत्व क्षमता का लगातार प्रयोग करना होता है अर्थात नेतृत्व किसी समय विशेष पर ही आवश्यक नहीं होता अपितु इसकी लगातार आवश्यकता होती है। नेतृत्व का कार्य संगठन की स्थापना से लेकर उसकी विद्यमानता तक सदैव चलता ही रहता है। अतः नेतृत्व एक गतिशील एवं सतत् प्रक्रिया है।
“नेतृत्व एक गतिशील एवं सतत् प्रक्रिया है।” समझाइए।
उत्तर:
संगठन में प्रबन्धक को अपनी नेतृत्व क्षमता का लगातार प्रयोग करना होता है अर्थात नेतृत्व किसी समय विशेष पर ही आवश्यक नहीं होता अपितु इसकी लगातार आवश्यकता होती है। नेतृत्व का कार्य संगठन की स्थापना से लेकर उसकी विद्यमानता तक सदैव चलता ही रहता है। अतः नेतृत्व एक गतिशील एवं सतत् प्रक्रिया है।
प्रश्न 6.
विद्वान ओर्डवे टीड के अनुसार एक नेता में कौन – कौन से गुण होने चाहिए?
उत्तर:
विद्वान ओर्डवे टीड के अनुसार, एक नेता में निम्न गुण होने चाहिए –
विद्वान ओर्डवे टीड के अनुसार एक नेता में कौन – कौन से गुण होने चाहिए?
उत्तर:
विद्वान ओर्डवे टीड के अनुसार, एक नेता में निम्न गुण होने चाहिए –
- उद्देश्य एवं दिशा की चेतनता
- शारीरिक व स्नायुशक्ति
- मैत्री व स्नेह
- उत्साह
- शिक्षण क्षमता
- निर्णयन क्षमता
- बौद्धिक चातुर्य
- चरित्रवान
- विश्वसनीयता
- परिवक्वता
- तकनीकी क्षमता
प्रश्न 7.
स्टोगडिल के अनुसार नेता में किन गुणों का होना आवश्यक है?
उत्तर:
स्टोगडिल के अनुसार, नेता में निम्न गुणों का होना आवश्यक है –
स्टोगडिल के अनुसार नेता में किन गुणों का होना आवश्यक है?
उत्तर:
स्टोगडिल के अनुसार, नेता में निम्न गुणों का होना आवश्यक है –
- शारीरिक एवं संरचनात्मक गुण
- बौद्धिक क्षमता
- आत्म विश्वास
- इच्छाशक्ति
- पहलपर्ने ।
- प्रभुत्व क्षमता
- उमंग व उत्साह
- मौलिकता एवं सतर्कता
- सामाजिकता।
प्रश्न 8.
एक नेता का चरित्रवान होना क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
विभिन्न संस्थानों में नेतृत्व करने के लिये नेता की महत्वपूर्ण भूमिका होती है जिसके आचरण से उसके अनुयायी प्रभावित होते हैं। यदि नेता का चरित्र उत्तम प्रकृति का नहीं होगा तो उसके अनुयायी उससे प्रभावित नहीं होंगे। कहा भी जाता है यदि पैसा खोया तो कुछ नहीं खोया, स्वास्थ्य खोया तो कुछ खो दिया परन्तु चरित्र खो दिया तो सब कुछ खो दिया। अतः नेता को हमेशा उच्च चरित्र वाला होना चाहिए।
एक नेता का चरित्रवान होना क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
विभिन्न संस्थानों में नेतृत्व करने के लिये नेता की महत्वपूर्ण भूमिका होती है जिसके आचरण से उसके अनुयायी प्रभावित होते हैं। यदि नेता का चरित्र उत्तम प्रकृति का नहीं होगा तो उसके अनुयायी उससे प्रभावित नहीं होंगे। कहा भी जाता है यदि पैसा खोया तो कुछ नहीं खोया, स्वास्थ्य खोया तो कुछ खो दिया परन्तु चरित्र खो दिया तो सब कुछ खो दिया। अतः नेता को हमेशा उच्च चरित्र वाला होना चाहिए।
प्रश्न 9.
एक नेता को शिक्षण में तकनीकी योग्यता की आवश्यकता क्यों पड़ती है?
उत्तर:
एक नेता को अपने अनुयायियों की जिज्ञासा शान्त करने एवं अच्छा मार्गदर्शन करने के लिये अपने कार्य से सम्बन्धित कार्य – विधियों, तकनीकी ज्ञान, नियम एवं कानून आदि की जानकारी होना आवश्यक है अन्य स्थिति में वह तकनीकी रूप से अपने अनुयायियों का सही रूप से मार्गदर्शन नहीं कर पायेगा और न ही उनकी त्रुटियों का पता लगा पायेगा।
एक नेता को शिक्षण में तकनीकी योग्यता की आवश्यकता क्यों पड़ती है?
उत्तर:
एक नेता को अपने अनुयायियों की जिज्ञासा शान्त करने एवं अच्छा मार्गदर्शन करने के लिये अपने कार्य से सम्बन्धित कार्य – विधियों, तकनीकी ज्ञान, नियम एवं कानून आदि की जानकारी होना आवश्यक है अन्य स्थिति में वह तकनीकी रूप से अपने अनुयायियों का सही रूप से मार्गदर्शन नहीं कर पायेगा और न ही उनकी त्रुटियों का पता लगा पायेगा।
लघु उत्तरीय प्रश्न (SA – II)
प्रश्न 1.
नेतृत्व से क्या आशय है? इसकी आवश्यकता बताइए।
उत्तर:
नेतृत्व से आशय:
नेतृत्व व्यक्तियों के व्यवहार को प्रभावित करने की वह प्रक्रिया है जो उन्हें सांगठनिक लक्ष्यों की पूर्ति हेतु कार्य करने के लिये प्रेरित करता है।
जार्ज, आर. टैरी के अनुसार – ”नेतृत्व व्यक्तियों को पारस्परिक उद्देश्यों के लिये स्वैच्छिक प्रयत्न करने हेतु प्रभावित करने की योग्यता है।”
कीथ डेविस के अनुसार – “नेतृत्व दूसरे व्यक्तियों को पूर्व निर्धारित उद्देश्यों को उत्साहपूर्वक प्राप्त करने के लिये प्रोरित करने की योग्यता है। यह वह मानवीय तत्व है जो एक समूह को एक सूत्र में बाँधे रखता है और इसे अपने लक्ष्य की ओर अभिप्रेरित करता है।”
उपरोक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है नेतृत्व वह व्यक्तिगत गुण है जिससे एक व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति की इच्छा को इस प्रकार प्रभावित करता है कि वह संस्था के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिये स्वैच्छिक रूप से उत्साहपूर्वक तैयार हो जाये। यह दूसरों को प्रभावित करने तथा उनके साथ सहयोग पूर्ण व्यवहार करने का कार्य है तथा इसमें अन्य व्यक्तियों की क्रियाओं का मार्गदर्शन किया जाता है।
नेतृत्व की आवश्यकता – प्रबन्ध जगत में नेतृत्व का महत्वपूर्ण स्थान है। कुशल नेतृत्व के अभाव में कोई भी संस्था सफलता के सोपानों को पार नहीं कर सकती है। प्रत्येक संस्था में समूह द्वारा की जाने वाली विभिन्न क्रियाओं का श्रेष्ठ निष्पादन कुशल नेतृत्व से ही सम्भव है।
नेतृत्व से क्या आशय है? इसकी आवश्यकता बताइए।
उत्तर:
नेतृत्व से आशय:
नेतृत्व व्यक्तियों के व्यवहार को प्रभावित करने की वह प्रक्रिया है जो उन्हें सांगठनिक लक्ष्यों की पूर्ति हेतु कार्य करने के लिये प्रेरित करता है।
जार्ज, आर. टैरी के अनुसार – ”नेतृत्व व्यक्तियों को पारस्परिक उद्देश्यों के लिये स्वैच्छिक प्रयत्न करने हेतु प्रभावित करने की योग्यता है।”
कीथ डेविस के अनुसार – “नेतृत्व दूसरे व्यक्तियों को पूर्व निर्धारित उद्देश्यों को उत्साहपूर्वक प्राप्त करने के लिये प्रोरित करने की योग्यता है। यह वह मानवीय तत्व है जो एक समूह को एक सूत्र में बाँधे रखता है और इसे अपने लक्ष्य की ओर अभिप्रेरित करता है।”
उपरोक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है नेतृत्व वह व्यक्तिगत गुण है जिससे एक व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति की इच्छा को इस प्रकार प्रभावित करता है कि वह संस्था के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिये स्वैच्छिक रूप से उत्साहपूर्वक तैयार हो जाये। यह दूसरों को प्रभावित करने तथा उनके साथ सहयोग पूर्ण व्यवहार करने का कार्य है तथा इसमें अन्य व्यक्तियों की क्रियाओं का मार्गदर्शन किया जाता है।
नेतृत्व की आवश्यकता – प्रबन्ध जगत में नेतृत्व का महत्वपूर्ण स्थान है। कुशल नेतृत्व के अभाव में कोई भी संस्था सफलता के सोपानों को पार नहीं कर सकती है। प्रत्येक संस्था में समूह द्वारा की जाने वाली विभिन्न क्रियाओं का श्रेष्ठ निष्पादन कुशल नेतृत्व से ही सम्भव है।
प्रश्न 2.
नेता का आचरण अपने अनुयायियों के मध्य आदर्श क्यों होना चाहिए?
उत्तर:
किसी संस्था में नेता के अनुयायी उसके आचरण से ही सर्वाधिक प्रभावित होते हैं इसलिए नेता को अपने अनुयायियों के मध्य आचरण उत्तम एवं आदर्श रखना चाहिए। नेता की कथनी एवं करनी समान होनी चाहिये जिससे अधीनस्थ उसको अनुसरण कर सकें। एल. एफ. अर्विक के अनुसार “अनुयायियों को केवल यह प्रभावित नहीं करता है कि उसका नेता क्या करता है, वह क्या लिखता है बल्कि वह क्या है, वह कौन से कार्य करता है, वह किस प्रकार का व्यवहार करता है, आदि तथ्य प्रभावित करते हैं।”
नेता का आचरण अपने अनुयायियों के मध्य आदर्श क्यों होना चाहिए?
उत्तर:
किसी संस्था में नेता के अनुयायी उसके आचरण से ही सर्वाधिक प्रभावित होते हैं इसलिए नेता को अपने अनुयायियों के मध्य आचरण उत्तम एवं आदर्श रखना चाहिए। नेता की कथनी एवं करनी समान होनी चाहिये जिससे अधीनस्थ उसको अनुसरण कर सकें। एल. एफ. अर्विक के अनुसार “अनुयायियों को केवल यह प्रभावित नहीं करता है कि उसका नेता क्या करता है, वह क्या लिखता है बल्कि वह क्या है, वह कौन से कार्य करता है, वह किस प्रकार का व्यवहार करता है, आदि तथ्य प्रभावित करते हैं।”
प्रश्न 3.
एक कुशल नेता में आत्म विश्वास एवं इच्छा शक्ति का गुण क्यों जरूरी है?
उत्तर:
जब एक नेता में आत्माविश्वास होता है तब ही वह अपने अनुयायियों का विश्वास जीतने में सफल हो पाता है। और कठिन व दुर्गम कार्यों को सरलता से कर पाता है। एल.एफ.र्विक ने लिखा है कि “अनुयायियों का पूर्ण विश्वास प्राप्त करने के लिये नेता में आत्म विश्वास होना चाहिए।” किसी ने सही लिखा भी है कि सफलता की पहली सीढ़ी आत्मविश्वास होता है। इच्छा शक्ति के अभाव में कोई भी नेतां अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल नहीं हो सकता है, एक कुशल नेता में आत्म विश्वास एवं इच्छा शक्ति होनी चाहिये।
एक कुशल नेता में आत्म विश्वास एवं इच्छा शक्ति का गुण क्यों जरूरी है?
उत्तर:
जब एक नेता में आत्माविश्वास होता है तब ही वह अपने अनुयायियों का विश्वास जीतने में सफल हो पाता है। और कठिन व दुर्गम कार्यों को सरलता से कर पाता है। एल.एफ.र्विक ने लिखा है कि “अनुयायियों का पूर्ण विश्वास प्राप्त करने के लिये नेता में आत्म विश्वास होना चाहिए।” किसी ने सही लिखा भी है कि सफलता की पहली सीढ़ी आत्मविश्वास होता है। इच्छा शक्ति के अभाव में कोई भी नेतां अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल नहीं हो सकता है, एक कुशल नेता में आत्म विश्वास एवं इच्छा शक्ति होनी चाहिये।
प्रश्न 4.
एक कुशल नेता के निर्णयन क्षमता के गुण को समझाइए।
उत्तर:
संस्थानों में एक नेता को किसी समस्या के समाधान के लिये वर्तमान व भावी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुये उपलब्ध विभिन्न विकल्पों में से श्रेष्ठ विकल्प का चयन करना होता है। यह चयन नेता अपनी दूरदर्शिता एवं निर्णय लेने की योग्यता के आधार पर ही करता है। एक प्रभावकारी नेतृत्व के लिये नेता में असाधारण निर्णयन क्षमता का गुण होना चाहिये जिससे वह संस्थान के लक्ष्य को आसामी से प्राप्त कर सके। नेता में परिस्थितियों को समझने तथा उसके अनुरूप यथासमय निर्णय लेने की क्षमता के अभाव में उपक्रम के लक्ष्यों को प्राप्त नहीं किया जा सकता है।
एक कुशल नेता के निर्णयन क्षमता के गुण को समझाइए।
उत्तर:
संस्थानों में एक नेता को किसी समस्या के समाधान के लिये वर्तमान व भावी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुये उपलब्ध विभिन्न विकल्पों में से श्रेष्ठ विकल्प का चयन करना होता है। यह चयन नेता अपनी दूरदर्शिता एवं निर्णय लेने की योग्यता के आधार पर ही करता है। एक प्रभावकारी नेतृत्व के लिये नेता में असाधारण निर्णयन क्षमता का गुण होना चाहिये जिससे वह संस्थान के लक्ष्य को आसामी से प्राप्त कर सके। नेता में परिस्थितियों को समझने तथा उसके अनुरूप यथासमय निर्णय लेने की क्षमता के अभाव में उपक्रम के लक्ष्यों को प्राप्त नहीं किया जा सकता है।
प्रश्न 5.
एक नेता के उत्तरदायित्व की भावना एवं समूह भावना के गुण पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
उत्तरदायित्व की भावना:
जो नेता उत्तरदायित्व से बचकर रहना पसन्द करता है, वह कभी एक कुशल नेता नहीं बन सकता है और न ही अपने अनुयायियों को प्रभावित कर सकता है, जिसका कि वे उसके आचरण का अनुकरण करते हैं। नेता में उत्तरदायित्व को स्वीकार करने एवं उसकी पूर्ति करने की भावना होनी चाहिये। समूह भावना एक नेता को व्यक्ति हितों की अपेक्षा सामूहिक हितों को प्राथमिकता देनी चाहिये। उसे हमेशा इस बात पर बल देना चाहिये कि संस्था के लक्ष्यों की प्रप्ति में ही व्यक्तिगत हित शामिल है। यदि नेता अपने हितों के लिये समूह के हितों को त्याग देता है तो वह कभी अच्छा नेता नहीं बन सकता है।
एक नेता के उत्तरदायित्व की भावना एवं समूह भावना के गुण पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
उत्तरदायित्व की भावना:
जो नेता उत्तरदायित्व से बचकर रहना पसन्द करता है, वह कभी एक कुशल नेता नहीं बन सकता है और न ही अपने अनुयायियों को प्रभावित कर सकता है, जिसका कि वे उसके आचरण का अनुकरण करते हैं। नेता में उत्तरदायित्व को स्वीकार करने एवं उसकी पूर्ति करने की भावना होनी चाहिये। समूह भावना एक नेता को व्यक्ति हितों की अपेक्षा सामूहिक हितों को प्राथमिकता देनी चाहिये। उसे हमेशा इस बात पर बल देना चाहिये कि संस्था के लक्ष्यों की प्रप्ति में ही व्यक्तिगत हित शामिल है। यदि नेता अपने हितों के लिये समूह के हितों को त्याग देता है तो वह कभी अच्छा नेता नहीं बन सकता है।
विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
नेतृत्व को परिभाषित करते हुये इसके महत्व को लिखिए।
उत्तर:
जब भी हम किसी संगठन की सफलता की चर्चा करते हैं तब हमें उसके नेताओं की याद आती है। नेतृत्व व्यक्तियों के व्यवहार को प्रभावित करने की वह प्रक्रिया है जो उन्हें सांगठनिक लक्ष्यों की पूर्ति हेतु कार्य करने के लिये प्रेरित करती है।
कीथ डेविस के अनुसार – “नेतृत्व दूसरे व्यक्तियों को पूर्व निर्धारित उद्देश्यों को उत्साहपूर्वक प्राप्त करने लिये प्रेरित करने की योग्यता है। यह वह मानवीय तत्व है जो एक समूह को एक सूत्र में बांधे रखता है और इसे अपने लक्ष्य की ओर अभिप्रेरित करता है।”
नेतृत्व का महत्व:
नेतृत्व का महत्व नेताओं द्वारा पूर्ण किये जाने वाले कार्यों से भली-भाँति स्पष्ट होता है। नेतृत्व किसी भी प्रबन्धं के कार्य का अनिवार्य अंग होता है। प्रबन्धक में अपने अधीन कार्यरत कर्मचारियों के समूह का नेतृत्व करने की योग्यता होनी चाहिए ताकि वह संगठन के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए सामूहिक प्रयासों में वृद्धि कर सके। प्रबन्धक समूह के सदस्यों के निजी लक्ष्यों का संस्था के लक्ष्यों के साथ सामंजस्य बैठाकर उनकी क्रियाओं का समन्वय भी करता है। नेतृत्व के महत्व को संस्था को होने वाले निम्नलिखित लाभों से भी स्पष्ट किया सकता है –
नेतृत्व को परिभाषित करते हुये इसके महत्व को लिखिए।
उत्तर:
जब भी हम किसी संगठन की सफलता की चर्चा करते हैं तब हमें उसके नेताओं की याद आती है। नेतृत्व व्यक्तियों के व्यवहार को प्रभावित करने की वह प्रक्रिया है जो उन्हें सांगठनिक लक्ष्यों की पूर्ति हेतु कार्य करने के लिये प्रेरित करती है।
कीथ डेविस के अनुसार – “नेतृत्व दूसरे व्यक्तियों को पूर्व निर्धारित उद्देश्यों को उत्साहपूर्वक प्राप्त करने लिये प्रेरित करने की योग्यता है। यह वह मानवीय तत्व है जो एक समूह को एक सूत्र में बांधे रखता है और इसे अपने लक्ष्य की ओर अभिप्रेरित करता है।”
नेतृत्व का महत्व:
नेतृत्व का महत्व नेताओं द्वारा पूर्ण किये जाने वाले कार्यों से भली-भाँति स्पष्ट होता है। नेतृत्व किसी भी प्रबन्धं के कार्य का अनिवार्य अंग होता है। प्रबन्धक में अपने अधीन कार्यरत कर्मचारियों के समूह का नेतृत्व करने की योग्यता होनी चाहिए ताकि वह संगठन के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए सामूहिक प्रयासों में वृद्धि कर सके। प्रबन्धक समूह के सदस्यों के निजी लक्ष्यों का संस्था के लक्ष्यों के साथ सामंजस्य बैठाकर उनकी क्रियाओं का समन्वय भी करता है। नेतृत्व के महत्व को संस्था को होने वाले निम्नलिखित लाभों से भी स्पष्ट किया सकता है –
- व्यक्तियों के व्यवहार को प्रभावित करना –
नेतृत्व संगठन में लगे व्यक्तियों के व्यवहार को प्रभावित करता है तथा उन्हें अपनी ऊर्जा को संस्था के हित में लगाने हेतु प्रेरित करता है। - कार्य के लिए उपयुक्त वातावरण बनाना –
एक अच्छा नेता अपने अनुयायियों के साथ व्यक्तिगत सम्बन्ध बनाये रखता है तथा उनकी आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायता करता है। इससे कार्य करने हेतु अनुकूल वातावरण तैयार होता है। - आवश्यक परिवर्तन में सहायक –
नेतृत्व संस्था में होने वाले आवश्यक परिवर्तनों को स्वीकार करने के लिए अपने अधीनस्थों को तैयार करता है। इस प्रकार परिवर्तन के कारण उठने वाली असंतोष की भावनाएँ कम हो जाती हैं। - आपसी द्वन्द्व को निपटाना –
एक नेता कर्मचारियों के मध्य होने वाले आपसी द्वन्द्व को प्रभावपूर्ण तरीके से निपटाता है तथा इसके दुष्परिणामों को फैलने से रोकता है। - प्रशिक्षण की व्यवस्था करना –
एक अच्छा नेता अपने-अपने अधीनस्थों को प्रशिक्षण देता है या प्रशिक्षण की व्यवस्था करता है। इस प्रकार वह अगला नेतृत्व प्रतिनिधि तैयार कर लेता है। - अभिप्रेरित करना –
कर्मचारी अपने नेता से ही कर्म की प्रेरणा प्राप्त करते हैं। अतः नेतृत्व कर्मचारियों को अभिप्रेरित करने का कार्य भी करता है। - टीम भावना का विकास –
नेतृत्व संस्था के सभी कर्मचारियों में टीम भावना का विकास करने का प्रयास करता है जिससे वे और भी उत्साह से कार्य करते हैं। - प्रतिनिधित्व करना –
नेतृत्व अपने अधीनस्थ कर्मचारियों/अनुयायियों का प्रतिनिधित्व करता है। यदि कोई समस्या हो, तो उसे वही कर्मचारियों की तरफ से उच्चाधिकारियों के समक्ष रखता है। - कर्मचारियों के मनोबल को उच्च बनाना –
नेतृत्व कर्मचारियों के मनोबल को उच्च बनाये रखने का प्रयास करता है जिसके परिणामस्वरूप कर्मचारी बेहतर कार्य निष्पादन करते हैं।
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